महाराष्ट्र में ‘ठाकरे’ पर ठनी, मनसे के BJP के साथ आने से महायुति में मची खलबली

मुंबई। देश में इस समय चुनावी बयार काफी तेज चल रही है। चारों ओर लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा चल रही है और सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। जिसके चलते देश के अलग-अलग राज्यों में भी चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बीच देश के दूसरे सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से सियासी हलचल काफी तेज है। यहां आए दिन सियासी घटनाक्रम में नए-नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं। ये बदलाव इसलिए भी देखने को मिल रहे हैं और ये हलचल इसलिए भी काफी तेज है क्योंकि लोकसभा चुनाव के पहले चरण में अब एक महीने से भी कम वक्त बाकी रह गया है। लेकिन अभी तक प्रदेश में सीट बंटवारे पर बात फाइनल नहीं हो पाई है। ये हाल किसी एक पक्ष का नहीं बल्कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ हालात ये ही हैं। हालांकि, इस बीच दोनों ही दलों की तरफ से ये कहा जा रहा है कि सीट बंटवारे पर बात फाइनल है बस औपचारिक ऐलान होना बाकी है। लेकिन इस बात को कहते-कहते भी काफी वक्त बीत गया है लेकिन फिर भी अभी तक सीट बंटवारे पर कोई बात फाइनल नहीं हो पाई है।

एक ओर सीट बंटवारे पर अब तक महाराष्ट्र में बात नहीं बन पाई है। दूसरी ओर प्रदेश में नए-नए सियासी उठापटक देखने को मिल रही है। आए दिन प्रदेश की सियासत एक नया करवट ले रही है। इस बीच प्रदेश की सियासत में उस वक्त फिर एक नई हलचल देखने को मिली। जब मनसे प्रमुख राज ठाकरे दिल्ली आए और उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। उसके बाद प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई थी., क्योंकि इन कयासों को और भी हवा मिल गई कि राज ठाकरे अब महाराष्ट्र के महायुति में शामिल होने वाले हैं। इसीलिए उन्होंने गृहमंत्री शाह से मुलाकात की है। वहीं राज ठाकरे को अपने साथ शामिल करना ये भी दिखाता है कि भाजपा को प्रदेश में विपक्षी एकजुटता से हार का डर सता रहा है। और अपनी इसी हार को टालने के लिए अब भाजपा राज ठाकरे के आगे माथा टेकने को तैयार है। हालांकि, राज ठाकरे के दिल्ली जाने और शाह से मुलाकात करने के बाद राज्य की सियासत गरमा गई है।

एक ओर विपक्ष जहां इसको लेकर भाजपा पर हमला बोल रहा है। तो वहीं भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन में भी राज ठाकरे के आने की खबरों से हलचल पैदा हो गई है। इस मुलाकात के बाद ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि राज ठाकरे ने दो सीटें मनसे के लिए मांगी हैं। जबकि भाजपा व शाह की ओर से एक सीट पर ही हामी भरी गई है। अब फाइनल बात क्या होती है ये वक्त आने पर ही पता चलेगा। फिलहाल तो कहा जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद जल्द ही एमएनएस-बीजेपी गठबंधन पर मुहर लग जाएगी। अब इस बैठके के बारे में जानकारी देते हुए मनसे नेता बाला नंदगांवकर ने बताया कि राज ठाकरे और अमित शाह के बीच लोकसभा को लेकर सकारात्मक चर्चा हुई। मनसे नेता बाला नंदगांवकर ने कहा कि राज ठाकरे और अमित ठाकरे दिल्ली गए थे।

दिल्ली में उनकी अमित शाह से मुलाकात हुई। दोनों के बीच सकारात्मक चर्चा हुई। एक-दो दिन में जानकारी सामने आ जाएगी। अभी लोकसभा चुनाव चल रहा है, इसलिए इसको लेकर सकारात्मक चर्चा हुई। राज ठाकरे ने अमित शाह को कितनी लोकसभा सीटें लानी हैं इसकी जानकारी दी। बाला नंदगांवकर ने आगे बाताया कि यह सभी दलों और पार्टी प्रमुखों का निर्णय है कि मुझे नामांकित करना है या नहीं। मैंने दो बार लोकसभा चुनाव लड़ा, दक्षिण मुंबई से चुनाव लड़ा। अब अगर राज ठाकरे कहते हैं, आप गढ़चिरौली जाकर लड़ना चाहते हैं, तो मैं वहां जाऊंगा और लडूंगा।

वहीं राज ठाकरे की इस मुलाकात के बाद ये जानकारी भी निकलकर सामने आ रही है कि बैठक के दौरान राज ठाकरे ने प्रस्ताव रखा कि मनसे को दो सीटें आवंटित की जाएं। राज ठाकरे दक्षिण मुंबई और दक्षिण मध्य मुंबई सीट की मांग कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, हालांकि, अमित शाह ने स्पष्ट किया कि मनसे को केवल एक सीट आवंटित की जा सकती है। उन्हें दो सीटें देना संभव नहीं होगा। हालांकि, ये बैठक तो अमित शाह और राज ठाकरे के बीच हुई थी लेकिन इस बैठक में उद्धव ठाकरे को लेकर भी चर्चा हुई। बैठक में मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे, उनके बेटे अमित ठाकरे के साथ-साथ बीजेपी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े, उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले भी मौजूद रहे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज ठाकरे ने प्रस्ताव दिया था कि दक्षिण मुंबई और दक्षिण मध्य मुंबई एमएनएस को दो सीटें दी जानी चाहिए। जिस पर अमित शाह ने कहा कि सिर्फ एक सीट दे सकते हैं और दूसरी सीट देना मुश्किल है। अमित शाह ने कहा कि हम विधानसभा का चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे लेकिन सीटों का बंटवारा तभी तय होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि अमित शाह ने स्पष्ट रुख अपना लिया है कि जो पहले उद्धव ठाकरे के साथ हुआ उसे दोहराया नहीं जाना चाहिए और इसलिए हम केवल लोकसभा के बारे में बात करेंगे।

दरअसल, राज ठाकरे को अपने साथ जोड़ने की कवायद करके भाजपा एक नई चाल चलना चाह रही है। कहा जा रहा है कि बीजेपी ने उद्धव ठाकरे की सहानुभूति लहर को तोड़ने के लिए ही राज ठाकरे को समर्थन देने का फैसला किया है। जैसे-जैसे चर्चा आगे बढ़ रही है, सभी की निगाहें मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे पर टिकी हैं कि वह बीजेपी के प्रस्ताव के जवाब में क्या कदम उठाएंगे। जाहिर है कि उद्धव ठाकरे महागठबंधन में बीजेपी के पुराने सहयोगी और एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे के चचेरे भाई हैं। 2019 के चुनाव के बाद तस्वीर बदल गई और बीजेपी शिवसेना अलग हो गई और उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस, एनसीपी को समर्थन देने का फैसला किया। राज्य में महा विकास अघाड़ी अस्तित्व में आई और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। लेकिन उसके बाद केवल दो वर्षों में ही बड़ा उलटफेर हो गया और उनकी कुर्सी चली है।

वहीं दूसरी ओर राज ठाकरे के महायुति में शामिल होने की चर्चाओं और इस बैठक के बाद हलचल विपक्ष के साथ-साथ महायुति गठबंधन में मची हुई है। क्योंकि जैसे ही राज ठाकरे ने दिल्ली में गृहमंत्री शाह से मुलाकात की। वैसे ही महाराष्ट्र में भी सियासी पारा हाई हो गया। और तुरंत ही महायुति गठबंधन में शामिल सीएम एकनाथ शिंदे के गुट ने भी सीएम शिंदे से मुलाकात की। शिंदे गुट के सभी सांसद सीएम शिंदे से मिलने मुख्यमंत्री के ठाणे स्थित निवास स्थान पर पहुंचे थे।

सूत्रों के मुताबिक, एनडीए/महायुति में राज ठाकरे के शामिल होने की संभावनाओं को देखते हुए कई सांसदों को इस बात का डर सता रहा है कि लोकसभा चुनाव में उनका पत्ता कट सकता है। वहीं दूसरी तरफ सूत्र यह भी जानकारी दे रहे हैं कई सांसद सीटों के बंटवारे को लेकर हो रही देरी से नाराज हैं। बता दें कि एकनाथ शिंदे को 13 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। यानी जाहिर है कि महायुति में भी राज ठाकरे के आने से हलचल तेज हो गई है। क्योंकि अजित पवार गुट में भी इस खबर के बाद हलचल देखी गई।

एक ओर जहां महायुति में हलचल तेज है। तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी राज ठाकरे और अमिक शाह की मुलाकात पर निशाना साध रहा है। शिवसेना (यूबीटी) चीफ उद्धव ठाकरे ने इस मुलाकात को लेकर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी चुनाव जीतने के लिए एक ‘ठाकरे’ को चुराने की कोशिश में है। महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक जनसभा में उद्धव ठाकरे ने कहा उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि बीजेपी उनके भाई (जो पहले ही दूर हो चुके हैं) को अपने साथ ले जाना चाहती है। उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि बीजेपी अच्छी तरह से जानती है कि महाराष्ट्र की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट नहीं देती। बल्कि बाल ठाकरे के नाम पर मतदान करती है। इसी बात को ध्यान में रख कर अब बीजेपी एक ठाकरे को अपने पक्ष में कर रही है।

यूबीटी प्रमुख ने कहा कि बीजेपी चुनाव जीतने के लिए अलग पैंतरे अपनाती है। पहले उन्होंने बाल ठाकरे की तस्वीर चुराई और अब ठाकरे परिवार के एक सदस्य को अपने साथ ले जाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि वह और उनके लोग महाराष्ट्र के लिए काफी हैं। वहीं हिन्दुत्व की बात करते हुए उद्धव ठाकरे ने दावा किया कि महाराष्ट्र की क्रिश्चियन और मुस्लिम जनता को भी उनके हिन्दुत्व के तरीके से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि शिवसेना जब बीजेपी के साथ थी, तब पार्टी की छवि खराब हो रही थी।

वहीं एमवीए में शामिल शरद पवार गुट की ओर से भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी गई। शरद पवार गुट के एससीपी प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा कि राज ठाकरे का दिल्ली जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि वह लंबे समय से बीजेपी से अपनी नजदीकी का अहसास करा रहे थे। शरद गुट के प्रवक्ता ने आगे कहा कि इसलिए मुझे लगता है कि वहां जाकर वह सिर्फ अपनी पार्टी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। शायद खुद को भी बचा रहे हैं क्योंकि पहले भी उन पर जांच हो चुकी है।

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