भारतीय सेना का विजन 2047: आधुनिकीकरण, तकनीकी क्षमता और वैश्विक साझेदारी का रोडमैप
चाणक्य डिफेंस डायलॉग में सेना प्रमुख ने भारतीय सेना के लिए 2047 तक का रोडमैप पेश किया. उन्होंने बताया किस तरह आधुनिकीकरण, तकनीकी अपनाने, आत्मनिर्भरता और नई तकनीकों जैसे AI व साइबर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: चाणक्य डिफेंस डायलॉग में सेना प्रमुख ने भारतीय सेना के लिए 2047 तक का रोडमैप पेश किया. उन्होंने बताया किस तरह आधुनिकीकरण, तकनीकी अपनाने, आत्मनिर्भरता और नई तकनीकों जैसे AI व साइबर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत वसुधैव कुटुम्बकम की सोच के साथ आगे बढ़ेगा और दुनिया के देशों के साथ भरोसेमंद साझेदारी करेगा.
राजधानी में चाणक्य डिफेंस डायलॉग का आयोजन हुआ, जिसमें देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और कई देशों के सैन्य अधिकारी मौजूद रहे. इस कार्यक्रम में भारतीय सेना प्रमुख ने आने वाले वर्षों में सेना किस दिशा में आगे बढ़ेगी, इसका बड़ा रोडमैप पेश किया. सेना प्रमुख ने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है. संघर्ष बढ़ रहे हैं और ऐसे समय में भारत को अपनी सैन्य तैयारी और मज़बूत करनी होगी.
उन्होंने बताया कि दुनिया में इस समय 50 से ज़्यादा संघर्ष चल रहे हैं और वैश्विक हालात पहले से ज़्यादा अस्थिर
हैं. ऐसे माहौल में भारत को एक भविष्य-तैयार सेना की ज़रूरत है. सेना प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री के “5S– सम्मान, संवाद, सहयोग, समृद्धि और सुरक्षा” यही वो आधार हैं, जिन पर भारत अगले कई सालों तक अपनी रक्षा रणनीति आगे बढ़ाएगा.
इस साल के डिफेंस डायलॉग की थीम है: Reform to Transform सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत. सेना के भविष्य के लिए तीन-स्टेप प्लान हैं, सेना प्रमुख ने बताया कि सेना ने रूपांतरण का एक बड़ा रोडमैप तैयार किया है, जिसमें-
पहला चरण 2032 तक तेज आधुनिकीकरण और तकनीक अपनाने का दशक.
दूसरा चरण 2037 तक जो सुधार हुए हैं उन्हें और मजबूत करना.
तीसरा चरण 2047 तक पूरी तरह आधुनिक, टेक्नोलॉजी-ड्रिवन, एकीकृत भारतीय सेना.
उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने साबित किया कि आधुनिक तकनीक, तैयारी और
सुधार जमीन पर नतीजे देते हैं.
चार बड़े बिंदु जिन पर सेना करेगी काम
आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण रक्षा उत्पादन में भारत काफी आगे बढ़ा है, लेकिन और तेजी से काम करना होगा. तेज नवाचार और नई तकनीकें AI, साइबर, क्वांटम, स्पेस और ड्रोन जैसी तकनीकें युद्ध का भविष्य तय करेंगी. सिस्टम में सुधार और अनुकूलन रक्षा व्यवस्था को नए दौर की जरूरतों के हिसाब से ढालना होगा. सेनाउद्योगअकादमिक साझेदारी युद्ध क्षमता सिर्फ सेना नहीं बनाती। देश के वैज्ञानिक, उद्योग और विश्वविद्यालय भी इसमें बराबर के भागीदार होंगे.
सेना प्रमुख का संदेश “दुनिया एक परिवार”
उन्होंने कहा कि भारत वसुधैव कुटुम्बकम की सोच के साथ आगे बढ़ेगा और दुनिया के देशों के साथ भरोसेमंद
साझेदारी करेगा. अंत में सेना प्रमुख ने कहा कि चाणक्य डिफेंस डायलॉग से मिलने वाले सुझाव भारत की सैन्य
तैयारी को और मज़बूत करेंगे.



