भारतीय मुक्केबाज मंदीप का खिताबी पंच
अमेरिका में इंटरकांटिनेंटल में दिखाया दम
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
वाशिंगटन। भारतीय मुक्केबाज मनदीप जांगड़ा ने वाशिंगटन के टॉप्पेनिश सिटी में गेरार्डो एसक्विवेल को हराकर अमेरिका स्थित ‘नेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (एनबीए)’ का ‘इंटरकांन्टिनेंटल सुपर फेदरवेट’ खिताब जीता। अपने पेशेवर करियर में अब तक अपराजित रहने वाले 30 साल के जांगड़ा ओलंपिक के पूर्व रजत पदक विजेता रॉय जोन्स जूनियर के मार्गदर्शन में अभ्यास करते हैं।
उन्हें अमेरिका के मुक्केबाज के खिलाफ शुक्रवार को प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपने पिछले 75 किलोग्राम भार वर्ग को छोड़ कर कम भार वर्ग में उतरना पड़ा। यह जीत सिर्फ मेरी नहीं है, बल्कि हर उस व्यक्ति की है, जिसने इस पूरी यात्रा में मेरा साथ दिया। इसमें मेरे कोच, परिवार, प्रशंसक और मेरे साथ खड़े रहने वाले शामिल हैं। मैं यह खिताब अपने देश को समर्पित करता हूं। मैं देश के लिए भविष्य में भी इसी तरह का सम्मान और खिताब हासिल करने की कोशिश करूंगा।’’ जांगड़ा ने 2021 में पेशेवर मुक्केबाजी में पदार्पण किया था। एसक्विेल को हराने से पहले जांगड़ा ने अपने छह मुकाबलों में से चार में नॉकआउट जीत दर्ज की है। जांगड़ा ने अमेच्योर सर्किट में भी अच्छा प्रदर्शन किया है।
उन्होंने 2014 ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था। फ्लोरिडा स्थित ‘नेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (एनबीए)’ पेशेवर मुकाबलों के लिए मान्यता प्राप्त संस्था है।
विदित गुजराती ने आनंद को पीछे छोड़ा
29 वर्षीय शतरंज मास्टर विदित गुजराती ने इतिहास रच दिया है। इस मामले में उन्होंने दिग्गज विश्वनाथ आनंद को पीछे छोड़ा है। इस दौरान उन्होंने नीदरलैंड के विज्क आन जी में टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन से चिन्हित हुआ। 2751.5 की लाइट रेटिंग के साथ, गुजराती अब दुनिया में 10वें स्थान पर है। गुजराती ने नोदिरबेक अब्दुसत्तारोव को मात दिया। उनकी ये उपलब्धि प्रगनानंद के मौजूदा वल्र्ड चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर भारत का नया नंबर 1 बनने के कुछ ही दिनों बाद आई है। लेकिन प्रज्ञानानंद निचले क्रम में चले गए और अब तीसरे स्थान पर हैं। टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट में गुजराती की सफलता ने न केवल उन्हें भारत में टॉप स्थान पर पहुंचाया, बल्कि उन्हें वलर्ड रैंकिंग में टॉप 10 शतरंज खिलाडिय़ों में भी जगह दिलाई। ये किसी भी शतरंज खिलाड़ी के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, और ये भविष्य में विश्व चैंपियनशिप खिताब के लिए चुनौती देने की गुजराती क्षमता का प्रतीक है।