जांच एजेंसियां संभालेंगी लोकतंत्र की लाठी!
4पीएम की परिचर्चा में उठे कई सवाल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सीबीआई ने केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान हुए जमीन के बदले नौकरी संबंधी कथित घोटाले को लेकर बिहार में राष्टï्रीय जनता दल (राजद) के कई नेताओं के परिसरों पर छापेमारी की। यह छापेमारी ऐसे समय में की गयी जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधान सभा में विश्वास मत हासिल किया। ऐसे में सवाल उठता हैं कि यह छापेमारी क्यूं? क्या लोकतंत्र की लाठी अब एजेंसियाँ संभालेंगी। इस मुद्ïदे पर वरिष्ठï पत्रकार सतीश के सिंह, अभिषेक कुमार, धीरेंद्र कुमार, अभिषेक मिश्रा, विवेक अग्निहोत्री, तुलसीदास भोईटे, ऋषि मिश्रा और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने एक लंबी परिचर्चा की।
धीरेंद्र कुमार ने कहा, ईडी, सीबीआई व किसी अन्य एजेंसी की रेड पडऩे से संदेश यही जाता है कि समाज का शुद्घिकरण हो रहा है लेकिन परेशानी तब होती है जब भ्रष्टïचारी सिर्फ विपक्ष में ही खोजा जाता है। बिहार में आंदोलन शुरू है। छापेमारी के दौरान समर्थक नीतीश के जिंदाबाद के नारे लगाते रहे।
अभिषेक मिश्रा ने कहा, जो खेल दरअसल नीतीश ने बीजेपी के साथ खेला है, वह अभी खत्म नहीं हुआ है। आरजेडी के नेताओं को पहले से पता था कि सीबीआई की छापेमारी हो सकती है। जिन नेताओं के घर छापेमारी हुई है, वे लालू के करीबी हैं। बहुत से लोग सीबीआई की चपेट में है। बिहार में खेला अभी शुरू हुआ है। अभिषेक कुमार ने कहा, नीतीश कुमार जब भी गठबंधन छोड़ते हैं, उसके बाद वे उस पर तीखा हमला करते हैं। राजनीतिक पार्टी में सभी यही करते हैं, यह राजनीतिक परंपरा है। नीतीश ने आठवीं बार नहीं, पांचवीं बार विश्वासमत हासिल किया है। मौजूदा दौर में नीतीश की अहमियत जिसके साथ जुड़ जाती है, उसकी लोकसभा सीटें बढ़ जाती है। विवेक अग्निहोत्री ने कहा, छापे भी पड़ेंगे, राजनीति भी होगी। नीतीश की छवि किसी भी मामले में नरेंद्र मोदी से कम नहीं है, ईमानदार तो हैं नीतीश। दिल्ली में मनीष सिसौदिया के यहां भी छापे पड़ रहे मगर लोगों की अवधारणा मजबूत है कि वे ईमानदार है। छापे पडऩा कोई बड़ी बात नहीं। सतीश के सिंह ने कहा कि जांच एजेंसियों के छापे का जो चरित्र है इस बार वेे सही भी छापे हो मगर जो माहौल चल रहा है। वह ठीक नहीं। हर छापे के ऊपर ठप्पा लग गया है कि ये एकतरफा होता है। क्रमबद्घ होता है। एक इशारे पर होता है। इससे एक विश्वसनीयता का प्रश्न खड़ा हो गया है। नीतीश का आक्रामक हमला कि 24 में भाजपा सरकार गिराएंगे ऐसा हमला बीजेपी पर पहले कभी नहीं हुआ। तुलसीदास भोईटे और ऋषि मिश्रा भी परिचर्चा में शामिल हुए।