2024 में भाजपा के लिए मुश्किल है सत्ता वापसी, सर्वे में नुकसान का अनुमान

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में अभी एक साल से अधिक का समय शेष है, लेकिन सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। एक ओर देश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा सत्ता में फिर से वापसी करने की रणनीति बना रही है, तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष सरकार की घेराबंदी कर उसे सत्ता से बेदखल करने की योजना बना रा है। इस बीच एक सर्वे सामने आया है जिसमें ये जानने का प्रयास किया गया है कि अगर अभी लोकसभा चुनाव होते हैं तो जनता का क्या मूड होगा और सरकार में कौन बैठेगा। इस सर्वे में ये दावा किया गया है कि अगर अभी चुनाव हुए तो देश में एक बार फिर एनडीए की सरकार की वापसी हो रही है। हालांकि, कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी यह इतना नहीं है कि मोदी सरकार को हटाया जा सके।

भाजपा को हो रहा नुकसान

सर्वे में भाजपा के अगुवाई वाले एनडीए को बहुमत जरूर मिलता दिखाया गया है, लेकिन यहां भाजपा के लिए भी कुछ खतरा जरूर है। सर्वे में दिखाए गए आंकड़ों को ध्यान में रखें तो 2024 में अगर विपक्ष एकजुट हो जाए तो सत्ताधारी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। आंकड़ों पर ध्यान दें तो सर्वे के मुताबिक लोकसभा की 543 सीटों में से 298 सीटें बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को मिल रही हैं। जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए सिर्फ 153 सीटों पर ही सिमट रहा है।

जबकि शेष 92 सीटें अन्य के खाते में जाती नजर आ रही हैं। वहीं वोट प्रतिशत के हिसाब से देखें तो तो एनडीए को 43 प्रतिशत, यूपीए को 29 प्रतिशत जबकि अन्य को 28 प्रतिशत वोट मिलता दिख रहा है। अब जरा 2019 के चुनाव पर नजर डालिए। तब एनडीए गठबंधन को 353 सीटें मिली थीं। इसमें बीजेपी को अकेले 303 सीट मिली थीं, जो इस बार के सर्वे में घटकर 284 हो गई हैं। सर्वे में 2019 के मुकाबले एनडीए को 55 सीटों का जबकि बीजेपी को अकेले 17 सीटों का घाटा उठाना पड़ रहा है।

विपक्ष की एकजुटता खड़ी कर सकती है मुश्किलें

सर्वे में ये हाल तब है जब विपक्ष एकजुट नहीं है। केसीआर अलग राष्ट्रीय पार्टी लेकर केंद्र की तरफ देख रहे हैं। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जल्द ही पैन इंडिया पार्टी बनने का ख्वाब बनाए हुए हैं। ममता बनर्जी और नीतीश कुमार भी अपने बड़े सपनों को संजो रहे हैं। ऐसे में अगर विपक्ष एकजुट होता है, तो लोकसभा में बाजी पलट सकती है। विपक्ष के एकजुट होने से एक दूसरे के वोट ट्रांसफर भी होंगे। ऐसे में नए समीकरण बनेंगे जो सीटों की संख्या में भी बदलाव करेंगे।

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