पद्म सम्मान : कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना तो नहीं!
नेताजी को पद्म विभूषण मिलने पर खुशी की लहर
- शिवपाल बोले-पूर्व रक्षामंत्री को मिले भारत रत्न
- दिवगंत मुलायम सिंह यादव की जनता में थी गहरी पैठ
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। नेता जी मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण मिलने पर यूपी समेत पूरेे देश में खुशी की लहर है। उनको राष्टï्रपति द्वारा यह सम्मान दिया जाएगा। उनको यह सम्मान देने की घोषणा का सभी दलों ने स्वागत किया है। हालांकि सियासी गलियारे में इस पर बहस भी शुरू हो गई है। सत्ता व विपक्ष अपने-अपने हिसाब से कयास लगा रहा है। जहां कुछ जानकार इसे भाजपा की राजनीति मान रहे है। चूकिं यूपी के सियासत में मुलायम सिंह का बहुत बड़ा नाम हैं। उनका देश के आम लोगों पर आज भी गहरा प्रभाव है। इन लोगों उनकी राजनीतिक को हमेशा मजबूती दी है। उनकी इसी विरासत को चुनाव में भुनाने की भी योजना हो सकती है। मोदी सरकार उनको पद्म पुरस्कार देकर कुछ न कुछ राजनीति संदेश तो देना चाहती है। ऐसा लगता आने वाले समय मोदी उनके नाम का वह इस्तेमाल कर सकते है। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है सरदार पटेल, नेता सुभाष चंद्र बोस से लेकर पीवी नरसिंहा राव तक का उन्होंने राजनीतिक फायदे के लिए नाम लिया है। विपक्ष तो हमेशा हमलावर रहता है कि वह सेना व धर्म का इस्तेमाल अपने वोट बैंक को साधने में करते है। उधर विपक्ष ने कहा मुलायम सिंह ने रक्षा मंत्री रहते सेना के लिए कई अहम फैसले लेकर उनका मनोबल बढ़ाया था। यूपी के सीएम के रुप में जनता के लिए लाभ वाली योजनाएं बनाईं । जिससे उनका सामाजिक, आर्थिक विकास हुआ। ऐसे में उनको यह पुरस्कार तो पहले ही मिल जाना चाहिए था, बल्कि उनको भारत रत्न दिया जाना चाहिए। ज्ञात हो कि मुलायम सिंह यादव की अमित शाह से भी दोस्ती थी। कहा जाता है कि नरेन्द्र मोदी 2014 में जब पहली बार पीएम पद की शपथ ले रहे थे, तो उस दौरान वह पीछे बैठे हुए थे। लेकिन जैसे ही अमित शाह की नजऱ उनपर पड़ी, उन्होंने उनका हाथ पकड़ा और आगे लेकर आए।
न्यूक्लियर डील में समर्थन
साल 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार अमरीका के साथ परमाणु करार को लेकर संकट में आ गई थी जब वामपंथी दलों ने समर्थन वापस ले लिया था. ऐसे वक्त पर मुलायम सिंह ने मनमोहन सरकार को बाहर से समर्थन देकर सरकार बचाई थी।
शहीदों के लिए ऐतिहासिक फैसला
आज अगर किसी शहीद सैनिक का शव सम्मान के साथ उनके घर पहुंच रहा है, तो इसका श्रेय मुलायम सिंह यादव को ही जाता है। आजादी के बाद से कई सालों तक अगर सीमा पर कोई जवान शहीद होता था, तो उनका शव घर पर नहीं पहुंचाया जाता था। उस समय तक शहीद जवानों की टोपी उनके घर पहुंचाई जाती थी. लेकिन जब मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बने, तब उन्होंने कानून बनाया कि अब से कोई भी सैनिक अगर शहीद होता है तो उसका शव सम्मान के साथ घर तक पहुंचाया जाएगा। मुलायम सिंह यादव ने फैसला लिया था कि शहीद जवान का शव पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके घर पहुंचाया जाएगा। डीएम और एसपी शहीद जवान के घर जाएंगे. मुलायम के रक्षा मंत्री रहते ही भारत ने सुखोई-30 लड़ाकू विमान की डील की थी।
नेताजी ने जवानों की आवाज को बुलंद किया : शिवपाल
- पद्म विभूषण मिलने पर जताई खुशी
इटावा। शिवपाल ने मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण मिलने पर खुशी जताई। गणतंत्र दिवस के मौके पर कोऑपरेटिव बैंक में शिवपाल यादव ने ध्वजारोहण किया। साथ ही गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी की देशवासियों को बधाई दी। बीते बुधवार को सरकार के द्वारा नेताजी मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण दिया गया। जिसके मिलने पर शिवपाल यादव ने कहा कि नेताजी ने हमेशा देश, प्रदेश के किसानों, गरीबों, नौजवानों की आवाज को बुलंद किया है। इसलिए मिला है नेताजी को पद्म विभूषण। भारत रत्न के सवाल पर शिवपाल सिंह ने कि नेताजी जब रक्षा मंत्री रहे तो उन्होंने जवानों की आवाज को बुलंद किया। सरकार से उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए। शिवपाल यादव ने अपने जन्मदिन के उपलक्ष्य पर सभी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया। साथ ही समाजवादी पार्टी को मजबूत करने का आह्वान किया।
सैनिकों की आर्थिक सहायता को भी बढ़ाया
किताब के अनुसार मुलायम सिंह यादव ने रक्षा मंत्री रहते हुए पूर्व सैनिकों की समस्याओं पर भी ध्यान दिया. उन्होंने पूर्व सेनिकों की विधवाओं को मिलने वाली रकम को 250 से बढ़ाकर 500 रुपये मासिक कर दिया. उनकी बेटियों के लिए दी जाने वाली सहायता राशि को 4 हजार से बढ़ाकर 8 हजार, मकान की मरम्मत की राशि को 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार और इलाज के लिए 8 की जगह 15 हजार रुपये देने का फैसला किया।
आरटीआई का खुलासा : बिना न्यौते के ही बना दी गई थी महाराष्ट्र सरकार
- राज्यपाल सचिवालय के पास इस तरह के किसी पत्र का कोई रिकॉर्ड नहीं, अधिकारियों ने दी जानकारी
- एकनाथ-फडणवीस पर एनसीपी नेता महेश तपासे ने बोला हमला
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। आरटीआई कार्यकर्ता संतोष जाधव ने महाराष्ट्र राजभवन से एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने के पत्र की तारीख और उसके जावक नंबर की जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में राज्यपाल के सचिवालय से यह जानकारी मिली कि इस तरह के किसी पत्र का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसीलिए इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा सकती। आरटीआई से हुए खुलासे के बाद एनसीपी के प्रवक्ता महेश तपासे ने सवाल उठाया है कि क्या बिना राज्यपाल के न्योते बिना ही शिंदे-फडणवीस सरकार बन गई है? वहीं महाराष्ट्र की सियासत में आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर जमकर घमासान होगा। उद्धव गुट के नेता इस मुद्दे को भी अदालत और चुनाव आयोग के समक्ष उठा सकते हैं। तपासे ने कहा कि जब कोई नेता उसके पक्ष में बहुमत होने का पत्र राज्यपाल को देता है, उसके बाद राज्यपाल उसे सदन में बहुमत साबित करने का लिखित पत्र देते हैं। लेकिन महाराष्ट्र के राजभवन में ऐसे किसी पत्र का कोई रिकॉर्ड न होने की बात सामने आने के बाद यह सवाल उठना लाजमी है कि राज्यपाल का न्योता न होने के बावजूद सरकार की स्थापना कैसे और किसके आदेश से हुई?
हमलावर हुई महाविकास अघाड़ी
इस आरटीआई के बहाने महाविकास अघाड़ी के तीनों घटक दल के शिंदे सरकार और महाराष्ट्र के राज्यपाल पर हमला बोल रहे हैं। उनका कहना है कि इस मुद्दे पर राज्यपाल को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। हालांकि दूसरी तरफ राज्यपाल अब महाराष्ट्र से जाने की इच्छा जता चुके हैं। एक तरह से राजनीतिक संन्यास लेने की बात वह पीएम मोदी के सामने रख चुके हैं। महाराष्ट्र में जब से शिंदे फडणवीस सरकार आई है। तब से ही महाविकास अघाड़ी के नेता इस सरकार को असंवैधानिक और अनैतिक सरकार बता रहे हैं। उनकी इन दावों को अब इस आरटीआई के जवाब ने और भी ज्यादा ताकत दे दी है।
सरकार के संवैधानिक दर्जे पर भी सवाल
क्या इस तरह अस्तित्व में आई सरकार का कोई संवैधानिक दर्जा है। तपासे ने कहा कि इस बारे में किसी और के बजाय खुद राज्यपाल को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। तपासे ने कहा कि आरटीआई से यह जानकारी सामने आने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने खुद पदमुक्त होने की इच्छा जताई है। क्या इन दोनों बातों के बीच कोई संबंध है?