जय श्री विश्वकर्मा

शिल्प-शस्त्र का जग में ज्ञान विकास किया ...

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
विश्वकर्मा पूजा हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। भगवान विश्वकर्मा को सृजन, निर्माण और वास्तुकला के देवता के रूप में हिंदू धर्म में पूजा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा विश्व के प्रथम वास्तुकार और निर्माता थे। वेदों में भी कई स्थानों पर विश्वकर्मा भगवान का जिक्र देखने को मिलता है। इसलिए उन लोगों के लिए है जो निर्माण, मशीनरी, और तकनीकी कार्यों से जुड़े हुए हैं, विश्वकर्मा पूजा बेहद अहम मानी जाती है। विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर फैक्ट्री और दुकानों में मशीन, औजार आदि की पूजा करते हैं, वहीं कलम, दवात, बहीखाता, वाहन आदि की भी पूजा होती है। विश्वकर्मा पूजा उस दिन करते हैं, जिस दिन कन्या संक्रांति होती है।

तिथि और शुभ मुहूर्त

ऐसा माना जाता है कि विश्वकर्मा भगवान की पूजा कन्या संक्रांति के दिन हुई थी। यानि जिस दिन सूर्य ने कन्या राशि में प्रवेश किया था उसी दिन विश्वकर्मा जन्मे थे। इस बार विश्वकर्मा पूजा पर दो शुभ योग बन रहे हैं। विश्वकर्मा पूजा के दिन सुकर्मा योग और रवि योग बन रहा है। विश्वकर्मा पूजा के दिन सुकर्मा योग प्रात:काल से लेकर दिन में 11 बजकर 42 मिनट तक है। उसके बाद से धृति योग बनेगा। वहीं रवि योग शाम के समय 4 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगा और यह अगले दिन 17 सितंबर को सुबह 6 बजकर 7 मिनट तक मान्य होगा।

पूजा का महत्व

विश्वकर्मा पूजा का महत्व उन लोगों के बीच बहुत अधिक है जो तकनीकी और निर्माण क्षेत्र में कार्यरत हैं, जैसे कि इंजीनियर, आर्किटेक्ट्स, मेकैनिक, और कारीगर। इस पर्व के जरिये लोग भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनसे सफलता की प्रार्थना करते हैं। माना जाता है कि इस दिन, उपकरणों और मशीनों की पूजा करने से वो सुरक्षित रहती हैं और उनके जरिये कारीगरों को लाभ प्राप्त होता है। भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से व्यापार में तरक्की मिलती है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के आदेश पर विश्वकर्मा जी ने सृष्टि का मानचित्र बनाया था। इनको संसार का पहला इंजीनियर भी कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, विश्वकर्मा जी ने पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, सोने की लंका के अलावा देवी-देवताओं के अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया था।

पूजन सामग्री

पूजा के लिए आपको एक नारियल, सुपारी, पान, फूल, अगरबत्ती, दीपक, कपूर, रोली, चंदन, धूप, मिठाई, और फल आदि पहले ही पूजा स्थल के पास रख देने चाहिए। अगर आप चाहें तो जो कार्य आप करते हैं उससे जुड़े उपकरणों को भी पूजा के स्थान पर रख सकते हैं।

पूजन विधि

पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल की भी सफाई करें और गंगाजल का वहां छिडक़ाव करें। पूजा के लिए एक स्वच्छ और पवित्र स्थान आपको चुनना चाहिए। इस स्थान पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र आप स्थापित कर सकते हैं। पूजा स्थल को आप फूलों, आम के पत्तों और रंगोली से सजा सकते हैं।

ऐसे करें पूजा

सबसे पहले आपको भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र पर पुष्प, चंदन, रोली, और अक्षत (अटूट चावल) अर्पित करने चाहिए। इसके बाद धूप और दीप जलाकर भगवान का ध्यान आपको करना चाहिए और उन्हें मिठाई और फल अर्पित करने चाहिए। तत्पश्चात विश्वकर्मा चालीसा, आरती और अन्य स्तोत्रों का पाठ आप कर सकते हैं। अंत में, घर के लोगों में प्रसाद वितरण करें और भगवान से अपने कार्य में सफलता और समृद्धि की प्रार्थना करें।

उपकरणों की होती है पूजा

विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने काम से जुड़े सभी उपकरणों और मशीनों की पूजा करने का भी विधान है। इन पर हल्दी, चंदन, और फूल चढ़ाकर दीपक जलाएं और भगवान विश्वकर्मा से उनकी सुरक्षा और समृद्धि की प्रार्थना करें। कई जगहों पर इस दिन छुट्टी रहती है और केवल मशीन और औजारों की पूजा की जाती है।

 

 

 

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