जीतू पटवारी का बड़ा बयान, कहा- उपराष्ट्रपति का इस्तीफा संविधान पर मंडरा रहा खतरे की बानगी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा,‘‘फिलहाल इस खतरे का फल धनखड़ को भोगना पड़ा है और आने वाले वाले समय में बीजेपी नेताओं एवं देश को भी भोगना पड़ेगा.’’

4पीएम न्यूज नेटवर्क: मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को संविधान पर खतरे का संकेत बताया. उन्होंने कहा कि यह खतरा बीजेपी नेताओं को भी भुगतना पड़ेगा.
कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधते हुए मंगलवार को कहा कि उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ का इस्तीफा देश के संविधान पर मंडरा रहे खतरे की बानगी है. उन्होंने दावा किया कि आने वाले दिनों में इस खतरे का फल बीजेपी नेताओं को भी भोगना पड़ेगा.
पटवारी ने यहां संवाददाताओं से कहा,‘‘उपराष्ट्रपति जैसे बड़े संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति का आनन-फानन में इस्तीफा दे देना इस ओहदे की गरिमा के साथ बड़ा कुठाराघात है. धनखड़ का यह कदम संविधान पर मंडरा रहे खतरे की एक बानगी है.’’ उन्होंने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पिछले कई दिनों से देश को चेता रहे हैं कि संविधान के साथ ही लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाएं खतरे में हैं.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा,‘‘फिलहाल इस खतरे का फल धनखड़ को भोगना पड़ा है और आने वाले वाले समय में बीजेपी नेताओं एवं देश को भी भोगना पड़ेगा.’’ पटवारी, धार जिले के मशहूर पर्यटन स्थल मांडू में कांग्रेस के दो दिवसीय ‘नव संकल्प शिविर’ में शामिल होने के बाद इंदौर पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि शिविर के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में पार्टी संगठन ने संकल्प लिया कि तेलंगाना की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी जातिगत जनगणना कराने के लिए संघर्ष किया जाएगा.
पटवारी ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार राज्य के शैक्षणिक संस्थानों और शासकीय रोजगारों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने की व्यवस्था को लागू होने से रोकने की लगातार कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा,‘‘राज्य में कमलनाथ की अगुवाई वाली पिछली कांग्रेस सरकार ने (2019 में) ओबीसी के आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था, लेकिन बीजेपी की सरकार ने इस फैसले पर अमल रुकवाने के लिए तमाम कानूनी दांव-पेंच आजमाए हैं और उसने अदालतों में पैरवी के लिए बड़े वकीलों को 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की फीस दी है.’’



