केसीआर के खत और नीति आयोग के बहिष्कार ने परेशान कर दिया पीएम मोदी को
केंद्र के साथ बड़े टकराव की तैयारी में तेलंगाना के सीएम
लखनऊ। केसीआर के खत और नीति आयोग के बहिष्कार ने पीएम मोदी को परेशान कर दिया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब सीधे-सीधे केंद्र सरकार से बगावत के मूड में हैं। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली नीति आयोग की बैठक में के चंद्रशेखर राव व नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए, जिससे सियासी पारा गर्म हो गया है। राव ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को लंबा-चौड़ा पत्र भी लिखा था कि भारत की विकास यात्रा में राज्यों को समान साझीदार नहीं बनाने और केंद्र सरकार द्वारा भेदभाव किए जाने के विरोध स्वरूप वह नीति निर्माण संबंधी प्रमुख इकाई नीति आयोग की 7वीं गर्वंनिंग काउंसिल की बैठक में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने नीति आयोग की बैठक पर भी सवाल उठाए। एक बैठक में उन्होंने यह तक कहा कि भारत में लोकतंत्र नहीं षड़यंत्र चल रहा है पर इसका जवाब मोदी सरकार को देश को देना होगा। तेलंगाना के सीएम का पत्र ट्विटर पर भी वायरल है। पत्र में उन्होंने स्पष्टï रूप से लिखा कि भारत तभी एक मजबूत राष्टï्र की तरह विकसित हो सकता है जब राज्य भी समान रूप से विकसित हो। नीति आयोग की स्थापना भी इसीलिए हुई थी कि राज्यों की परेशानी पूछी जाए, पर केंद्र सरकार राज्यों के खिलाफ भेदभाव करती है और सभी राज्यों के साथ समान साझेदारी का व्यवहार नहीं करती।
उन्होंने कहा कि मजबूत और आर्थिक रूप से जीवंत राज्य ही भारत को एक मजबूत देश बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार भारत को मजबूत बनाने के लिए सभी राज्यों के साथ समान व्यवहार नहीं करती और राज्यों के खिलाफ भेदभाव वाली नीति अपनाती है। राज्यों को अपने लोगों को अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने के लिए उनकी जरूरतों और शर्तों के आधार पर योजनाओं को डिजाइन और संशोधित करने का स्वतंत्रता नहीं दी जा रही थी। केंद्र सरकार के माइक्रो मैनेजिंग स्कीम में मैंने पाया है कि यह राज्यों की खास जरूरतों के हिसाब से नहीं बनाई जाती है, जिसके कारण इसे कुछ राज्यों द्वारा छोड़ भी दिया जाता है। केसीआर ने आरोप लगाते हुए लिखा है कि नीति आयोग ने मिशन काकतीय के लिए 5000 करोड़ और मिशन भागीरथ के लिए 19,205 करोड़ रुपये की सिफारिश की थी लेकिन केंद्र सरकार ने आज तक एक भी फंड रिलीज नहीं किया।
मिशन भागीरथ योजना के लिए नहीं दे रहे फंड
तेलंगाना के सीएम ने पत्र में लिखा कि केंद्र राज्यों के साथ निष्पक्ष व्यवहार करें, जो कि नहीं हो पा रहा है। आगे लिखा कि मैं बहुत पीड़ा महसूस कर रहा हूं क्योंकि नीति आयोग ने कई महत्वपूर्ण सिफारिशों को अलग रख दिया है, जो राज्यों को मजबूत बनाने की दिशा में काम करता है। इसके विपरीत केंद्र की सूक्ष्म प्रबंधन योजना कामयाब नहीं हो पा रही है। 2016 में लघु सिंचाई योजना को बहाल करने की बात कही थी, पांच हजार करोड़ के फंड की सिफारिश की थी। मिशन भागीरथ के लिए 19,205 करोड़ की मांग की, भारत सरकार ने इस योजना को ठंड बस्ते में डाल दिया। जबकि तेलंगाना सरकार की अपने प्रदेश में हर घर को समुचित पानी उपलब्ध कराने की योजना थी मिशन भागीरथ। मिशन काकतीय योजना पर भी मोदी सरकार ने पहरा लगा रखा है। नाटकीय रूप से केंद्र ने अपने पैर खींच रखे हैं। केसीआर का यह पत्र हर मुख्यमंत्री को भेजा गया कि हमारे प्रदेश से केंद्र इस तरह का व्यवहार कर रहा है। केसीआर ने आगे लिखा कि नीति आयोग के उपकर के रूप में राज्यों को लगभग 14 लाख करोड़ का भुगतान नहीं किया गया, क्या ये सही है। इस पर बहस क्यों नहीं। केसीआर ने केंद्र को सलाह दी कि राज्यों की प्रगति को कम न करें, मगर केंद्र सरकार तेलंगाना के साथ बहुत ही उपेक्षित व्यवहार कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमने पिछले वित्तीय वर्ष में एक लाख 90 करोड़ कमाए और खर्च किए, इसमें से केंद्र ने तेलंगाना को केवल 5 हजार करोड़ ही दिया। केंद्र से कुछ नहीं आया, क्या ये संघीय भावना है। केंद्र को दिल्ली की भी परवाह नहीं, वहां भी पीने के पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। यहां तक कि मनरेगा का बकाया भी नहीं मिल रहा है। राज्यों के लोगों को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करना पड़ा।
प्रधानमंत्री की हर घर नल योजना भी तेलंगाना का ही मॉडल
केसीआर ने कहा कि रुपया इतना नीचे चला गया, जितना कभी नहीं गया। जीएसटी स्कीम फ्लाप साबित हो रही है, ये सारी बातें पत्र में लिखी गई है, जो हकीकत के करीब है। क्योंकि राज्य परेशान है। केंद्र उनको पैसा नहीं दे रहा है, ऐसा आरोप कई राज्य लगा रहे हैं। राज्यों का आर्थिक ढांचा कहीं न कहीं गड़बड़ा रहा है। बीजेपी के शासित राज्यों में भी परेशानी की बात सामने आ रही है। केसीआर ने हैदराबाद में एक सम्मेलन बुलाया कि मैंने नीति आयोग की हर बैठक में राज्य का मुद्ïदा उठाया कि राज्य को परेशान किया जा रहा है। जल आपूर्ति की योजना के लिए 24 हजार करोड़ देने की अनुशंसा की थी पर केंद्र सरकार इस बात पर भी नहीं माना। बता दें कि बीजेपी जानती है कि 24 का चुनाव आसान नहीं है। अलग-अलग राज्यों से जो फीडबैक मिल रहा है, वो कम खतरनाक नहीं है। बीजेपी की कोशिश है कि तेलंगाना में इस बार बेहतर प्रदर्शन हो। पिछली बार 4 सांसद जीते थे, इस बार सांसद बढ़ाने की योजना है। बीजेपी ने इस बार राष्टï्रीय कार्यसमिति की बैठक भी रखी है। ओवेसी यहां आते हैं, जहां ओवेसी आते हैं, वहां हिन्दू-मुस्लिम कार्ड बड़ी आसानी से खेला जा सकता है। केसीआर ये सब बात जनता के सामने लाना चाहती है कि भाजपा बड़ी-बड़ी बातें करती हैं, पर हकीकत कोसों दूर हैं। तेलंगाना को उनका हक नहीं मिल रहा है। प्रधानमंत्री की हर घर नल योजना भी तेलंगाना का ही मॉडल है।