महाराष्ट्र की लड़ाई, गुजराती V/s मराठी पर आई
उत्तर पूर्व मुंबई लोकसभा सीट पर लड़ाई अपने दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है... एक-दूसरे के मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने के लिए बीजेपी के उम्मीदवार मिहिर कोटेचा... और उद्धव सेना के संजय दीना पाटील ने हिंदू-मुस्लिम से लेकर गुजराती बनाम मराठी कार्ड खेला है.... देखिए खास रिपोर्ट...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा चुनाव दो हजार चौबीस को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है… पांचवे चरण के चुनाव को लेकर सभी दल एक्टिव हो गए हैं… और चुनाव प्रचार करने में जुट गए है… बता दें इस दौरान राजनीतिक बयानवाजी का दौर भी शुरू हो गया है… वहीं देश में यूपी के बाद दूसरे सबसे बड़े लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र पर सबकी नजर टिकी हुई है… वहीं महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के पांचवें और अंतिम चरण के लिए लड़ाई तेज हो गई है…. चुनाव प्रचार अपने चरम पर पहुंच गया है…. प्रवासी वोटरों को पटाने के लिए उद्धव सेना… और कांग्रेस ने जहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है…. वहीं उद्धव के वोटरों को अपने खेमे में मिलाने के लिए बीजेपी और शिंदे सेना किसी प्रकार की कमी नहीं रख रहे हैं….
बता दें कि उत्तर पूर्व मुंबई लोकसभा सीट पर लड़ाई अपने दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है… एक-दूसरे के मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने के लिए बीजेपी के उम्मीदवार मिहिर कोटेचा… और उद्धव सेना के संजय दीना पाटील ने हिंदू-मुस्लिम से लेकर गुजराती बनाम मराठी कार्ड खेला है…. लेकिन वोटर जागरूक दिखाई दे रहा है…. इनका खेल कितना सफल रहा यह तो 4 जून को ईवीएम बोलेगी…. वहीं उत्तर पूर्व मुंबई लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी को उम्मीदवार बदलना अब भारी पड़ रहा है…. अब इसका अहसास बीजेपी नेताओं को होने लगा है…. उत्तर पूर्व सीट पर भांडुप, कांजुरमार्ग, विक्रोली…. और घाटकोपर पश्चिम क्षेत्र को शिवसेना के कट्टर समर्थकों का एरिया माना जाता है…. इन क्षेत्रों में शिवसैनिकों का जबरदस्त समर्थन संजय पाटील को मिलता दिखाई दे रहा है….
लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के मिहिर कोटेचा ने भी शिवसेना के प्रभाव वाले इन इलाकों में कई पद यात्राएं…. और बैठकें कर चुके हैं…. परंतु अब तक बालासाहेब ठाकरे के मतदाताओं को बीजेपी की ओर खींचने में सफल नहीं रहे हैं… इन क्षेत्रों में बीजेपी की पकड़ नहीं है… हालांकि पूर्व सांसद मनोज कोटक की अपनी व्यक्तिगत पकड़ जरूर है…. बालासाहेब के समर्थक टस से मस नहीं होने पाएं…. इस पर संजय पाटील लगे हैं…. बता दें कि बालासाहेब पर मोदी द्वारा की गई टिप्पणी से मराठा वोटर बहुत नाराज है… जिससे बीजेपी को महाराष्ट्र में भी बड़ी हार का सामना करना पड़ रहा हैं… आपको बता दें कि पिछले दिनों नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र में अपने चुनाव प्रचार के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि… नकली शिवसेना और उद्धव ठाकरे को नकली संतान बोला था… जिसके बाद से सियासी पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया… था और संयज राउत ने पीएम मोदी पर तीखा हमला बोला था… उसके बाद पीएम मोदी को उद्धव ठाकरे ने आड़े हाथों लिया था… और मोदी को चेतावनी देते हुए कहा था कि महाराष्ट्र के लोग बाला साहेब का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे… और पीएम मोदी के बयानवाजी का जवाब अपने वोट से देने का काम करेंगे…
आपको बता दें कि मुलुंड, घाटकोपर पूर्व का क्षेत्र बीजेपी के समर्थकों का माना जाता है…. लेकिन रमाबाई कॉलोनी, कामराज नगर संजय पाटील के साथ दिखाई दे रहा है…. मानखुर्द शिवाजी नगर विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल है….. जहां संजय पाटील मजबूत दिखाई दे रहे हैं…. यहां के वोटरों को पटाने के लिए मिहिर की रणनीति सफल होती नहीं दिख रही है…. हालांकि, मुस्लिम उम्मीदवार भी मैदान में हैं…. पर वे इतने प्रभावी नहीं हैं कि बीजेपी को इसका फायदा मिले…. कोटेचा और पाटील के समर्थक यहां के चुनाव को हिंदू बनाम मुस्लिम…. और गुजराती, राजस्थानी, उत्तर भारतीय बनाम मराठी बनाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं…. पर अब तक इसमें कोई सफल होते दिखाई नहीं दे रहे हैं…. दोनों ही उम्मीदवार के लोग कहते हैं कि छह विधानसभा क्षेत्र में मुलुंड… और घाटकोपर पूर्व कोटेचा को बड़ी बढ़त मिल सकती है…. तो संजय पाटील को भांडुप, विक्रोली… और मानखुद शिवाजी नगर विधानसभा बढ़त दिला सकता है…. घाटकोपर पश्चिम विधानसभा में किसी को ज्यादा बढ़त नहीं दिखाई दे रही है…. बीजेपी के लोग दबे स्वर में कहने लगे हैं कि मोदी पर ही सब कुछ टिका है….
वहीं अब पीएम मोदी के बयानवाजी का असर महाराष्ट्र की जनता में भी दिखाई देने लगा है… और बीजेपी उम्मीदवार को अब सिर्फ मोदी का सहारा दिखाई दे रहा है… और उनकी बातों और वादों को कोई मानने वाला नहीं है… वहीं मोदी के बायनवाजी के बाद महाराष्ट्र के वोटरों के कई फाड़ हो गए है… जैसे मोदी को पार्टियों को तोड़ने का सौक था… और तमाम पार्टिय़ों को तोड़कर अपने खेमे में शामिल कर लिया है… ठीक उसी तरह से अब महाराष्ट्र में भी वोटरों के कई फाड़ हो गए हैं… अब महाराष्ट्र में वोटरों के विभाजन से बीजेपी की नींद उड़ चुकी हैं… और बीजेपी उम्मीदवार को मोदी का सहारा ही दिखाई दे रहा है… बाकी कोई भी रास्ता नहीं बचा है…. आपको बता दें कि अब गुजराती बनाम मराठा हो गया है… जिससे बीजेपी के खेमें में खलबली मची हुई है…
आपको बता दें कि उत्तर मुंबई लोकसभा सीट पर बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को सबसे सुरक्षित सीट समझकर उतारा है…. तो कांग्रेस ने भूषण पाटील को अवसर दिया है… यहां भी हिंदू बनाम मुस्लिम… और गुजराती, राजस्थानी, उत्तर भारतीय बनाम मराठी बनाने की पुरजोर कोशिश जारी है…. पर दोनों ही सफल नहीं होते नहीं दिखाई दे रहे हैं…. कांग्रेस के उम्मीदवार भूषण पाटील कहते हैं कि उनकी पत्नी जैन समाज से हैं, इसलिए ऐसा कुछ नहीं होने वाला है….
आपको बता दें कि दक्षिण मुंबई से शिंदे सेना ने यामिनी जाधव को उम्मीदवारी देकर मराठी वोटों में सेंध लगाने की कोशिश की है…. लेकिन दक्षिण मुंबई में मराटी वोटरों के साथ-साथ मुस्लिम वोट भी डिसाइडिंग फैक्टर हैं…. इस बार मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में उद्धव ठाकरे के साथ दिखाई दे रहा हैं…. हालांकि यामिनी जाधव और उनके पति यशवंत जाधव मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ खींचने की भरसक कोशिश कर रहे हैं…. पार्टी पहले मान रही थी कि मलबार हिल, कुलाबा, वरली और भायखला विधानसभा में यामिनी को बढ़त मिलेगी…. चूंकि शिवडी विधानसभा में यशवंत जाधव का अपना खुद का जनसंपर्क का जाल है… इसलिए वहां से भी फायदा होगा…. लेकिन उद्धव सेना के अरविंद सावंत के खिलाफ कोई ऐंटि-इनकमबेंसी दिखाई नहीं दे रही है… ऐसे में इस सीट पर मुकाबला रोचक होगा….
मुंबई में इस बार लगभग हर राजनीतिक दल ने मराठी उम्मीदवारों को ही लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है… मगर मुंबई का इतिहास इससे बिलकुल अलग है…. 1951 के बाद से सभी लोकसभा चुनावों में कुल 94 सांसदों ने मुंबई की विभिन्न सीटों का प्रतिनिधित्व किया था…. इनमें से 42 फीसदी गैर-मराठी रहे…. 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी 2 सीटों पर केवल मराठी चेहरों को टिकट दिया है…. कांग्रेस ने मुंबई की उत्तर मध्य सीट से वर्षा गायकवाड़ को टिकट दिया है…. वहीं, उत्तर मुंबई से भूषण पाटिल को टिकट सौंपा…. दोनों ही मराठी चेहरे हैं…. जबकी बीजेपी मुंबई में 3 सीटों पर लड़ रही है…. इनमें 2 उम्मीदवार गैर-मराठी हैं…. उत्तर मुंबई से पीयूष गोयल और मुंबई की नार्थ ईस्ट से मिहिर कोटेचा को टिकट मिला है…. सिर्फ एक उम्मीदवार उज्ज्वल निकम हैं, जो मराठी हैं… उज्ज्वल निकम को उत्तर मध्य सीट से टिकट मिला है…. हालांकि, शिवसेना (UBT) और शिवसेना शिंदे गुट ने सिर्फ मराठी चेहरों पर ही भरोसा किया है….
लोकसभा चुनाव के लिहाज से महाराष्ट्र सब से महत्वपूर्ण राज्यों के रूप में देखा जाता है…. मुंबई में मराठी बनाम बाहरी की लड़ाई एक लंबे समय से देखने को मिलती रही है…. लेकिन एक दौर में इसी शहर के ज्यादातर सांसद गैर-मराठी रहे हैं…. हालांकि अब स्थिति ऐसी हो चली है कि 2024 में मुंबई से अधिकतर सीटों पर मराठी समाज से चेहरों को उतारा गया है… कांग्रेस प्रत्याशी वर्षा गायकवाड़ बताती हैं कि मुंबई में हर प्रांत के लोग आते हैं… रोजी-रोटी कमाने….मुंबई उनको अपनाती है…. कांग्रेस मराठी और गैर-मराठी दोनों को टिकट देती रही है … लेकिन भाजपा मराठी को मुंबई में टिकट नहीं देती…. ऐसा वह मुंबई में विभाजन करने के लिए कर रही है…. सब कुछ मुंबई से बाहर ले जाया जा रहा है… बीजेपी राजनीति कर रही है…. मुंबई में पहली बार ऐसा हो रहा है कि अधिकतर उम्मीदवार मराठी हैं….
वहीं वर्षा गायकवाड़ के बयान का जवाब देते हुए महायुति में शामिल हुए संजय निरुपम ने कहा कि मुंबई एक कॉस्मो सिटी है…. यहां पर हर प्रांत के लोग रहते हैं… यहां सखा पाटिल को हराने वाले जॉर्ज फर्नांडीज रहे हैं… जो मंगलोर से थे. यहां से मुरली देवड़ा जैसे लोग सांसद रहे हैं… जो मराठी चेहरा नहीं थे…. कांग्रेस से पूछो की उन्होंने क्यों मुझे और मिलिंद देवड़ा को टिकट दिया था…. सुनील दत्त को क्यों टिकट दिया था…. हम तो मराठी भाषी नहीं हैं, मगर हम मुंबईकर हैं….
मुंबई शहर में यूं तो हर प्रांत के लोग रहते हैं… लेकिन गुजराती और मराठी लोगों की संख्या सबसे अधिक है. इतने सालों में कांग्रेस… और भाजपा के मुंबई में ज्यादातर सांसद गैर-मराठी रहे हैं…. कांग्रेस के चुने गए 43 सांसदों में से 60% गैर-मराठी थे…. जबकि बीजेपी के खेमे में 53% सांसद मराठी समुदाय से बाहर से थे…. वहीं शिवसेना एक मात्रा पार्टी मुंबई में रही है… जिसने सिर्फ मराठी प्रतिनिधित्व को आगे रखा है… इसके सभी 15 सांसद मराठी ही रहे हैं…. मुंबई में अब तक बीजेपी की तरफ से 15 सांसद रहे हैं…. इसमें से 8 गैर-मराठी थे…. कांग्रेस के 43 सांसद रहे हैं….. जिसमें 26 गैर-मराठी रहे…. शिवसेना के अब तक 15 सांसद रहे और सभी के सभी मराठी ही रहे हैं….
वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ विवेक भावसार के अनुसार…. मुंबई में खूब चर्चा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मराठी या गैर-मराठी उम्मीदवारों में से किसको चुनना चाहिए…. मुंबई की पहचान अब हिंदी भाषी शहर से भी की जाने लगी है…. यहां की मातृभाषा पर 2011 की जनगणना रिपोर्ट से पता चला है कि…. हिंदी को अपनी मातृभाषा मानने वाले उत्तरदाताओं की संख्या मुंबई में 25.88 लाख से 40 प्रतिशत बढ़कर 35.98 लाख हो गई है…. मराठी को अपनी मातृभाषा बताने वाले उत्तरदाताओं की संख्या 2001 में 45.23 लाख से 2.64 प्रतिशत घटकर 44.04 लाख हो गई थी…. और यह भी एक बड़ा कारण था कि अधिकतर राजनीतिक दलों ने कई सालों तक गैर-मराठी लोगों को टिकट दिया… और वह जीत भी गए…. मुंबई की राजनीति में भाषा का बड़ा महत्व रहा है…. क्षेत्रीय दल मराठी भाषा और मराठी मानुष के मुद्दे पर वोट मांगते रहे हैं. देखना यह होगा की मुंबई कि जनता इस बार मुंबई में किसे चुनती है….