जनता की मांगे अधूरी, पीएम मोदी ने मणिपुर से बनाई दूरी, 400 पार का सपना चकनाचूर ! 

मणिपुर में जातीय हिंसा एक साल पहले भड़की थी... तीन मई, दो हजार तेइस को मैतेई और कुकी-दो समुदाय के बीच संघर्ष छिड़ गया था.... इसके बाद हिंसा की कई घटनाओं ने देश भर को झकझोर कर रख दिया था.... इतना कुछ हो जाने के बाद भी पीएम मोदी ने एक बार भी मणिपुर का दौरा नहीं किया... देखिए खास रिपोर्ट...

4 पीएम न्यूज नेटवर्कः देश में लोकसभा चुनाव को लेकर रोज सियासी पारा बढ़ रहा है… लोकसभा चुनाव के चार चरणों का मतदान हो चुके हैं… अब तीन चरणों का मतदान और बाकी है… जिसको लेकर पीएम मोदी समेत बीजेपी के तमाम दिग्गजों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है… और देश के प्रत्येक राज्य में कई-कई जनसभाओं को किया है… लेकिन बीजेपी के किसी नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी… मणिपुर का दौरा नहीं किया है… और प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में एक भी चुनावी रैली नहीं कि है… वहीं आज से एक साल पहले मणिपुर में हुए हिंसा पर भी नरेंद्र मोदी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी… और न हीं आज तक बीजेपी के कोई नेता, मंत्री और विधायकों ने एक बार भी मणिपुर का दौरा नहीं किया है… वहीं लोकसभा चुनाव के चार चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है… वावजूद इसके पीएम मोदी ने मणिपुर में एक भी जनसभा नहीं किया है… बता दें कि अखंड भारत की बात करने वाले पीएम मोदी ने मणिपुर से दूरी किसलिए बनाई है… यह सोचने वाली बात है… क्या मणिपुर अखंड भारत का हिस्सा नहीं है… पीएम मोदी को मणिपुर जाने से डर लगता है… समेत तमाम प्रश्न उठते रहे हैं… जैसे यूपी, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र देश के राज्य है… वैसे ही मणिपुर भी देश का एक अभिन्न अंग है… लेकिन मोदी को मणिपुर से और वहां की जनता से कोई लेना-देना नहीं है… आपको बता दें कि मणिपुर में एक साल पहले हुई महिलाओं के साथ बर्बरता इस बात का सबूत है कि मोदी के शासन काल में महिलाएं सुरक्षित नहीं है… और महिला सुरक्षा की बात करने वाले पीएम मोदी पूरी तरह से फेल हो गए है… उनके सभी दावे पूरी तरह से फेल हो गए है… पीएम मोदी को देश की जनता से कोई मतलब नहीं है… पीएम मोदी को सिर्फ अपने सत्ता से मतलब है…

आपको बता दें कि पीएम मोदी ने जनता को वोट के लिए यूज करने वाली मशीन समझ लिया है… और चुनाव से पहले तमाम बड़े-बड़े वादे करने वाले मोदी चुनाव जीतने के बाद सब भूल गए… और अपने दस साल के कार्यकाल में जनता को सिर्फ और सिर्फ मूर्ख बनाने का काम किया है,… वहीं चुनाव आते ही पीएम मोदी चुनाव प्रचार में एक्टिव हो गए हैं… और एक के बाद एक चुनावी रैलिया और रोड-शो कर रहें है… लेकिन मणिपुर से आज तक दूरी बनाए हुए है… और मणिपुर में आज तक एक भी बार दौरा नहीं किया है… मणिपुर में हुए हिंसा के बारे में भी कभी भी किसी मंच से कोई जिक्र नहीं किया है… वहीं अबकी बार चार सौ पार का नारा का लक्ष्य लेकर चल रहे पीएम मोदी को मणिपुर से कोई लेना देना नहीं है… वहीं इस तरह की तानाशाही का क्या परिणाम निकलकर सामने आता है… यह तो आने वाला वक्त तय करेगा… और इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार होगी देश की जनता मोदी के शासन से त्रस्त हो चुकी है… और अब वह बदवाल के मूड है… जिसका रूझान चार चरणों के मतदान में दिखाई पड़ गया है…. जिससे पीएम मोदी बौखलाए हुए है… और चेहरे की चमक धूमिल हो चुकी है… और इतनी गर्मी में पसीना बहा रहे हैं…. फिर भी कोई फायदा नहीं दिखाई दे रहा है… जनता बीजेपी के सभी चालों को समझ चुकी है…. और इनके तानाशाही का जवाब चार जून को मिल जाएगा…

आपको बता दें कि मणिपुर में जातीय हिंसा एक साल पहले भड़की थी… तीन मई, दो हजार तेइस को मैतेई और कुकी-दो समुदाय के बीच संघर्ष छिड़ गया था…. इसके बाद हिंसा की कई घटनाओं ने देश भर को झकझोर कर रख दिया था…. वहीं मणिपुर की पैंतीस लाख की आबादी में से आधे से अधिक मैतेई समुदाय के लोग हैं…. जो ख़ास तौर पर इम्फ़ाल और उसके आसपास के इलाकों में रहते हैं और इनका एक बड़ा हिस्सा हिंदू है…. वहीं कुकी-ज़ो और नगा जनजातियां पहाड़ी ज़िलों में रहती आईं हैं…. कुकी-ज़ो समुदाय के लोग मुख़्य तौर पर ईसाई हैं…. इन दोनों ही समुदाय के बीच छिड़े संघर्ष की वजह से राज्य में कई दौर की हिंसा… मौत और इंटरनेट बंदी देखी गई…. इन सबके बीच विपक्ष बार-बार मणिपुर के हालात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाता रहा है…. विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से ये भी पूछता रहा है कि आख़िर वो मणिपुर क्यों नहीं जा रहे हैं…. वहीं हिंसा के बीच उन्नीस जुलाई दो हजार तेइस को जब मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक भयावह वीडियो सामने आया तो पूरा देश हिल गया….

इस घटना के लंबे समय बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मॉनसून सत्र से पहले मीडिया से बातचीत में मणिपुर की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा था कि उनका हृदय पीड़ा से भरा हुआ है…. जिसके बाद से पीएम मोदी ने मणिपुर मामले पर एक शब्द भी नहीं बोला… और पीएम मोदी ने कहा था कि देश की बेइज़्ज़ती हो रही है…. और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा…. यह पहली बार था कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में जारी हिंसा पर कुछ कहा…. वहीं विपक्ष मणिपुर पर पीएम मोदी के न बोलने को लेकर लंबे समय से सवाल उठा रहा था…. मणिपुर पुलिस ने इस वीडियो की पुष्टि करते हुए बताया था कि ये महिलाएं बीती चार मई को मणिपुर के थोबल ज़िले में यौन उत्पीड़न की शिकार हुई थीं…. जिसके बाद पीएम मोदी ने कहा था कि राज्य की स्थिति सामान्य है… और इस बात पर जोर दिया कि कैसे गृह मंत्री अमित शाह, संघर्ष के दौरान राज्य में रहे… और इसे सुलझाने के लिए कई पक्षों के साथ पंद्रह से अधिक बैठकें की….

आपको बता दे कि अमित शाह ने अपनी यात्रा के दौरान कुकी सिविल सोसाइटी समूहों से शांति की अपील की थी… और उनसे हथियार सरेंडर करने के लिए कहा था…. गृह मंत्री अमित शाह तो राज्य के दौरे पर पहुंचे…. लेकिन हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया….. वहीं सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि मणिपुर में शुरुआती उथल-पुथल के सप्ताह में प्रधानमंत्री मोदी ने दो घरेलू यात्राएं की थीं….. पहली यात्रा कर्नाटक की, और दूसरी राजस्थान की…. औरल मई दो हजार तेइस से अप्रैल दो हजार चौबीस के बीच उन्होंने अलग-अलग राज्यों की लगभग एक सौ साठ यात्राएँ की…. जिनमें सबसे ज़्यादा चौबीस बार वो राजस्थान के दौरे पर रहे…. औपचारिक और गैर-आधिकारिक दौरों को मिलाकर पीएम ने बाइस बार मध्य प्रदेश का और सत्रह बार उत्तर प्रदेश का दौरा किया….

वहीं पिछले साल अगस्त में एक संसदीय बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में शांति की अपील की थी… ये अपील तब आई जब विपक्षी नेता उन पर चुप्पी साधने का आरोप लगा रहे थे…. विपक्ष के नेताओं का कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में एक तरफ जातीय संघर्ष से मणिपुर जल रहा है… दूसरी तरफ़ वो चुप्पी साधे हुए हैं…. इस साल फरवरी-मार्च में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया…. लेकिन मणिपुर नहीं गए. .. और उन्होंने असम के तीन दौरे, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का एक-एक दौरा किया है…. पिछले साल नवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे…. वो राज्य थे मिज़ोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना…. प्रधानमंत्री मोदी बाकी सभी राज्यों में गए… लेकिन मिज़ोरम नहीं गए जो कि मणिपुर से सटा हुआ राज्य है… और वहां मणिपुर की हिंसा से विस्थापित लोग बड़ी तादाद में हैं…. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत, विकसित उत्तर-पूर्व कार्यक्रम के लिए नौ मार्च को पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था….. वहीं घरेलू यात्राओं के अलावा पीएम मोदी ने ख़ास तौर से एशियाई और मध्य पूर्व के चौदह अंतरराष्ट्रीय दौरे भी मई दो हजार तेइस के बाद से किए हैं…. जातीय संघर्ष के एक साल पहले साल दो हजार बाइस में मणिपुर में विधानसभा चुनाव हुए थे…. इन चुनावों में बीजेपी गठबंधन को जीत मिली थी…. एन बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद संभाला था…. इस साल अप्रैल में राज्य ने लोकसभा चुनाव के लिए भी वोट डाले हैं….

आपको बता दें कि मणिपुर में हिंसा की शुरुआत को एक साल पूरा हो रहा है… इस बीच महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ यौन उत्पीड़न करने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है…. अब इस मामले में सीबीआई की चार्जशीट से जो जानकारियां सामने आई हैं वो बेहद परेशान करने वाली हैं…. सीबीआई की चार्जशीट में इस बात का ज़िक्र किया गया है कि… जिस समय भीड़ इन महिलाओं का पीछा कर रही थी… उस दौरान वो सड़क के किनारे खड़ी पुलिस की एक जिप्सी के अंदर बैठने में कामयाब हो गई थीं…. लेकिन जब उन्होंने पुलिस से वाहन चलाने का अनुरोध किया तो पुलिस चालक ने उन्हें बताया कि गाड़ी की चाबी नहीं है….. सीबीआई की चार्जशीट में पुलिस की मौजूदगी में हुए इस अपराध पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए मणिपुर के पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह ने कहा कि घटना का पता लगते ही थाना प्रभारी समेत उन सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ पहले ही विभागीय कार्रवाई की जा चुकी है…. मणिपुर पुलिस ने ही सातों आरोपियों को गिरफ्तार किया था…. वहीं सीबीआई ने बाद में आकर जांच शुरू की…. यह करीब एक साल पुराना मामला है… और अब इसकी जांच सीबीआई कर रही है…. तो दोषियों को उसी आधार पर सज़ा दी जाएगी…. लेकिन यह कहना ठीक नहीं होगा कि मणिपुर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की…

आपको बता दें कि पिछले एक साल में मणिपुर ने बहुत कुछ खो दिया…. बहुत बड़ी संख्या में लोगों को बेघर होना पड़ा है… बड़ी संख्या में लोग लापता हैं…. वहीं साल दो हजार तेइस में दुनिया भर में इंटरनेट शटडाउन से हुए नुकसान को ट्रैक करने वाले पोर्टल Top10vpn के मुताबिक़…. मणिपुर में शटडाउन की वजह से डेढ़ करोड़ डॉलर यानी तकरीबन एक सौ पच्चीस करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है…. इसमें घरों-दुकानों और कारोबार बंद रहने की वजह से हुई क्षति शामिल नहीं है….. वहीं मणिपुर पांच हज़ार घंटे बिना इंटरनेट के रहा है…. इतना कुछ हो जाने के बाद और एक साल बाद भी मणिपुर में तनाव जारी है….. इस तनाव को ख़त्म करने का फॉर्मूला अब तक सरकारें नहीं निकाल सकी हैं….वहीं अब देखना यह होगा की आगामी सरकारें मणिपुर तनाव को लेकर क्या फार्मूला निकालती है… और मणिपुर के तनाव के खत्म करने के लिए क्या करती है… यह तो आने वाला वक्त तय करेगा…

 

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