दलितों पर हमले को लेकर ममता बनर्जी का बड़ा बयान, कहा- अब अल्पसंख्यक आयोग कहां है?
ओडिशा और उत्तर प्रदेश में दलितों पर हुए हमले को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मैं दलितों को दलित नहीं बल्कि इंसान के तौर पर देखती हूं.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः ओडिशा और उत्तर प्रदेश में दलितों पर हुए हमले को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मैं दलितों को दलित नहीं बल्कि इंसान के तौर पर देखती हूं. पश्चिम बंगाल में अगर कुछ होता है तो 100 आयोग आते हैं, अब आयोग कहां है?
ओडिशा और उत्तर प्रदेश में दलितों पर हुए हमले को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है. मीडिया से बातचीत में ममता ने कहा कि जो कुछ हुआ वह शर्मनाक है और मैं इसकी निंदा करती हूं. सीएम ममता ने कहा कि मैं दलितों को दलित नहीं बल्कि इंसान के तौर पर देखती हूं. उत्तर प्रदेश में दलितों पर हमले को लेकर भाजपा सरकार जो कुछ कर रही है वह बहुत बुरा है. अब राष्ट्रीय मानव आयोग कहां है? अल्पसंख्यक आयोग कहां है? पश्चिम बंगाल में अगर कुछ होता है तो 100 आयोग आते हैं, अब आयोग कहां है?
ओडिशा के गंजाम जिले में 22 जून को दो लोगों के साथ क्रूरता की गई. गो-तस्करी के शक में गौरक्षकों की भीड़ ने दोनों युवकों को पकड़ लिया. उनके सिर आधे मुंडवाए. उनके साथ मारपीट की और उन्हें घुटनों के बल चलने, मवेशियों का चारा खाने और नाले का पानी पीने के लिए मजबूर किया गया. भीड़ ने उनसे 30 हजार रुपये की मांग की थी, जिसे देने से मना करने पर यह बर्बरता की गई.
इस मामले में पुलिस ने मामले में 9 लोगों को हिरासत में लिया है और बीएनएस की अलग-अलग धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस पर जमकर बवाल खड़ा हो गया. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इसे जातिवादी मानसिकता और बीजेपी शासित राज्यों में दलितों पर बढ़ते अत्याचार का उदाहरण बताया.
यूपी में दलित की बारात का विरोध, पथराव
उत्तर प्रदेश में भी दलितों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं. हालिया घटना एटा की है, जहां ठाकुरों ने दलित की बारात का विरोध किया. हाथरस के सहपऊ से एटा आई दलित की बारात को नहीं चढ़ने दिया गया. इस पर जमकर हंगामा भी हुआ. मौके पर पहुंची पुलिस पर भी पथराव किया गया. खबर ये भी है कि दुल्हन को पीटा गया. बंधक बनाया गया. इस तरह के मामले न केवल व्यक्तिगत हिंसा को दर्शाते हैं, बल्कि भेदभाव और कानून के कमजोर क्रियान्वयन की समस्या को भी उजागर करते हैं.



