सरकारी कर्मचारियों को लेकर मणिपुर सरकार का बड़ा ऐलान, काम नहीं तो वेतन नहीं

इंफाल। हिंसा के बीच मणिपुर सरकार ने ऑफिस नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए काम नहीं, वेतन नहीं नियम लागू करने का निर्णय लिया है। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को उन कर्मचारियों के डिटेल पेश करने को कहा है जो राज्य में मौजूदा स्थिति के कारण अपने आधिकारिक काम पर उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं।
जीएडी सचिव माइकल एकॉम द्वारा 26 जून की रात जारी एक सर्कुलर में कहा गया कि, 12 जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक और कार्यवाही के पैरा 5-(12) में लिए गए निर्णय के अनुसार,सभी कर्मचारी सामान्य प्रशासन विभाग से अपना वेतन प्राप्त कर रहे हैं। मणिपुर सचिवालय को सूचित किया जाता है कि उन सभी कर्मचारियों पर नो वर्क, नो पे लागू किया जा सकता है जो अधिकृत अवकाश के बिना अपनी आधिकारिक ड्यूटी पर नहीं आते हैं।
बता दें, मणिपुर सरकार में एक लाख कर्मचारी हैं। सर्कुलर में सभी प्रशासनिक सचिवों से उन कर्मचारियों की डिटेल पेश करने को कहा गया है जो राज्य में मौजूदा स्थिति के कारण अपनी आधिकारिक ड्यूटी पर उपस्थित नहीं हो सके। डिटेल में कर्मचारियों का पदनाम, नाम, ईआईएन, वर्तमान पता सामान्य प्रशासन विभाग और कार्मिक विभाग को सौंपा जाएगा। सभी पर 28 जून तक उचित आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
पूर्वोत्तर राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को पहली बार झड़पें हुई। मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी – नागा और कुकी – आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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