सपा से हाथ मिलाएंगी मायावती!

  • उपचुनावों में हार से निराश हैं बसपा प्रमुख
  • सियासी गलियारों में चर्चा ले सकती हैं संन्यास
  • राजनीतिक शून्य और रावण से मिल रही है तगड़ी चुनौती

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने देश में किसी भी उपचुनाव में हिस्सा लेने से मना कर दिया है। राजनीतिक विषलेशक उनके इस कदम को राजनीतिक संन्यास की तरफ बढ़़ता कदम बता रहे हैं। तो क्या वाकई में वह राजनीतिक संन्यास लेंगी? या फिर अपने पुराने सियासी पार्टनर समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाएंगी। चुनाव के नतीजे तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि राजनीतिक राह पर हाथी की सवारी वह अब तभी कर पाएंगी जब साइकिल पर सवार होंगी।
उपचुनाव से दूर रहने वाली मायावती ने इस बार उपचुनाव की चुनौती को स्वीकार किया और मुस्तैदी से लड़ी। सभी जगह अपने प्रत्याशी उतारे लेकिन सभा करने कहीं नहीं गयी। उन्हें उम्मीद थी कि कटेहरी में जरूर जीतेंगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वहां भी हाथी नहीं जीत सका। लोकसभा के बाद इन उप चुनाव में भी मायावती के नतीजे सिफर रहे। एक बार फिर इस बात की चर्चा जोरों पर हो रही है कि मायावती समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर सकती है। क्योंकि 2017 के चुनाव में उन्हें सपा से हाथ मिलाने के बाद नया राजनीतिक जीवन मिला था। मायावती को लगातार चुनौतियों का समाना करना पड़ रहा है। उनके पुराने साथी साथ छोड़कर जा चुके हैं। दलित बिरादरी को छोड़कर उन्हें अन्य जातियों का वोट नहीं मिल रहा है और चन्द्रशेखर रावण सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर उभर रहे हैं।

धीरे-धीरे बढ़ रहा रावण का कद

शनै: शनै: युवा दलित मतदाताओं के मन पर आजाद समाज पार्टी के मुखिया चन्द्रशेखर रावण का जादू चलता दिखायी दे रहा है। कुदंरकी में जहां बीएसपी को 500 वोट भी नहीं मिले वहीं आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी को 2 हजार से जयादा वोट मिले। दलित राजनीतिक की करीब से समझ रखने वाले बीडी नकवी कहते हैं कि मायावती के साथ 40 आयु वर्ग से उपर के दलित मतदाता भरोसा करते हैं। जबकि चन्द्रशेख्र रावण ने युवा दलित मतदाताओं के मन में अपनी जगह बना ली है।

खत्म हो रहा है बसपा का वोटबैंक

कुछ सीटों पर बीएसपी ने मुस्लिम और सवर्ण प्रत्याशी उतारे, जिससे अन्य दलों के वोट बैंक में सेंध लगने की संभावना बनी। मीरापुर और कुंदरकी जैसी सीटों पर मुस्लिम वोटों के विभाजन से सपा को नुकसान हुआ, जबकि कटेहरी सीट पर बीएसपी ने बीजेपी को चुनौती दी पिछले प्रदर्शन की तुलना: 2010 के बाद यह पहला मौका था जब बीएसपी ने इतने सक्रिय रूप से उपचुनावों में भाग लिया। बीएसपी के लिए यह चुनाव अपनी खोई जमीन वापस पाने का एक प्रयास था। पार्टी का वोट शेयर धीरे-धीरे कम हो रहा है, और उपचुनाव में भी इस पर प्रभाव दिखा।

महाराष्ट्र में हार से हाहाकार

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की हार के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने इस्तीफे की पेशकश की है। पटोले ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्ल्किार्जुन खरग़े को अपना पद छोडऩे की पेशकश की है और जिम्मेदारी से मुक्ति किए जाने का आग्रह किया है। हालांकि, नाना पटोले की दिल्ली दौरे पर अभी तक खरग़े या लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी से व्यक्तिगत मुलाकात नहीं हो सकी है। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में पटोले की अब तक सिर्फ पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात हो सकी है। फिलहाल, पार्टी आलाकमान ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंढे ने नाना पटोले के इस्तीफे की खबरों को खारिज किया है. उन्होंने कहा, नाना पटोले दिल्ली में हैं लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। इस चुनाव में कई वरिष्ठ नेता हार गए हैं। एक प्रक्रिया है जो की जा रही है, इसलिए किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की जरूरत नहीं है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति ने बंपर जीत हासिल की है। वहीं विपक्ष ने राज्य में नतीजे हासिल करने के लिए बीजेपी पर ईवीएम में हेराफेरी का आरोप लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित कई विपक्षी नेताओं ने नतीजों पर आश्चर्य जताया और कहा, किसी भी प्रमुख मुद्दे पर ध्यान नहीं देने के बावजूद महाराष्ट्र में एनडीए की जीत देखना आश्चर्यजनक है।

यूपी के संभल में हुई हिंसा को लेकर भड़के राहुल-प्रियंका

  • सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की, बोले सांसद- भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर रही है
  • लोकसभा में विपक्ष का हंगामा, सदन स्थगित
  • संसद के शीतकालीन सत्र में कई मुद्दों पर चर्चा की तैयारी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के संभल में रविवार को मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा को लेकर विपक्ष ने भाजपा सरकार को घेरा है। समाजवादी पार्टी से लेकर बसपा और कांग्रेस ने इस मुद्दे पर निष्पक्ष जांच की मांग की है। अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस मुद्दे को उठाया है। दोनों नेताओं ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से न्याय की अपील की है।
अडानी और वक्फ संशोधन विधेयक की ही गूंज सुनाई दी। इन मामलों को उठाने के बाद राज्यसभा व लोकसभा दोनो जगह जबरदस्त हंगामा हुआ उसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही बुधवार तक स्थगित हो गई। विपक्ष ने अडानी रिश्वत प्रकरण सामने आने के बाद और भी हमलावर रुख अपना लिया है। इंडिया अडानी मामले में पहले ही दिन चर्चा कराने पर अड़ा है। दूसरी तरफ, सरकार ने विपक्ष के विरोध की परवाह न करते हुए वक्फ संशोधन विधेयक इसी सत्र में पेश करने का संकेत दिए हैं।

राज्य सरकार का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण : प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, संभल में अचानक उठे विवाद को लेकर राज्य सरकार का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इतने संवेदनशील मामले में बिना दूसरा पक्ष सुने, बिना दोनों पक्षों को विश्वास में लिए प्रशासन ने जिस तरह हड़बड़ी के साथ कार्रवाई की, वह दिखाता है कि सरकार ने खुद माहौल खराब किया। प्रशासन ने जरूरी प्रक्रिया और कर्तव्य का पालन भी जरूरी नहीं समझा।

प्रशासन की असंवेदनशीलता ने बिगाड़ा माहौल : राहुल

नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा, कि संभल, में हालिया विवाद पर राज्य सरकार का पक्षपात और जल्दबाज़ी भरा रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हिंसा और फायरिंग में जिन्होंने अपनों को खोया है उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। प्रशासन द्वारा बिना सभी पक्षों को सुने और असंवेदनशीलता से की गई कार्रवाई ने माहौल और बिगाड़ दिया और कई लोगों की मृत्यु का कारण बना जिसकी सीधी जिम्मेदार भाजपा सरकार है।

Related Articles

Back to top button