मायावती का उप-चुनाव से पहले बड़ा सियासी दांव, UP में बदल सकता है खेल!

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने यूपी में 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव से पहले बड़ा सियासी दांव चला है...

4PM न्यूज़ नेटवर्क: उत्तर-प्रदेश में उपचुनाव को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। तमाम राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से अपना दमखम दिखाने में लगी हुईं हैं। इस बीच बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने यूपी में 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव से पहले बड़ा सियासी दांव चला है। आपको बता दें कि BSP चीफ मायावती ने कहा कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों के उप-वर्गीकरण की अनुमति दी गई है, जिससे उनकी पार्टी कतई सहमत नहीं है।दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यों को SC में उप-वर्गीकरण का अधिकार है, ताकि उन्हें आरक्षण दिया जा सके जो सामाजिक-शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं।

मायावती की BSP को मिल गया ‘ब्रह्मास्त्र’

इसे लेकर सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि मायावती ने इसी को बड़ा सियासी मुद्दा बनाने की कोशिश की है। BSP मुखिया ने इसे लेकर कहना शुरू कर दिया कि सभी लोग एकजुट होकर इसका विरोध करें। वहीं लोगों का मानना है कि मायावती चाहती हैं कि दलितों में कोई और कोटा नहीं हो! न ही किसी सरकार को अधिकार हो कि वह इसमें किसी और जाति के नाम जोड़ सके। हालांकि, मायावती ने जिस मुद्दे पर बल दिया है, वह कितना बड़ा मुद्दा बन जाएगा? यह तो फिलहाल नहीं कहा जा सकता पर मायावती को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है।
 मायावती की ओर से यह कदम ऐसे वक्त पर उठाया गया है, जब उनकी और BSP की दलित पॉलिटिक्स फुस्स साबित होती हुई दिखाई दे रही है। क्योंकि मायावती आम चुनाव में भी कोई कमाल न कर सकी। सियासी गलियारों में चर्चा है कि दलितों से जुड़ा यह पूरा मामला जज्बाती मसला है, जो उन्हें सोचने पर मजबूर करता है। ऐसे में यह पूरी तरह से मायावती की पॉलिटिक्स को बूस्ट कर सकता है।
इसके साथ ही मायावती ने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी सरकार का बांग्लादेश मामले पर समर्थन किया है। BSP चीफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक्स पोस्ट में लिखा कि पड़ोसी देश बांग्लादेश के तेज़ी से बदलते हुए राजनीतिक हालात के मद्देनज़र आज की सर्वदलीय बैठक अति महत्वपूर्ण है। जिसमें सभी दलों द्वारा सरकार के फैसलों के साथ रहने का निर्णय उचित व ज़रूरी। बीएसपी भी इस मामले में केन्द्र सरकार के फैसलों के साथ हैं।

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