पटना यूनिवर्सिटी में ‘लॉटरी’ से प्रिंसिपल नियुक्ति पर मायावती का सवाल
मायावती ने कहा, "बिहार के प्रसिद्ध पटना विश्वविद्यालय के पांच प्रतिष्ठित कॉलेजों में 'लॉटरी' की नई व्यवस्था के तहत प्रिंसिपलों की नियुक्ति का मामला दिलचस्प होने के कारण देश भर में खासकर मीडिया व शिक्षा जगत में काफी चर्चाओं में है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः पटना यूनिवर्सिटी के पांच कॉलेजों में बुधवार (02 जुलाई 2025) को हुई ‘लॉटरी सिस्टम’ के तहत प्रिंसिपल की नियुक्ति पर अब सियासी हलचल बढ़ गई है। इस पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रतिक्रिया दी है।
मायावती ने शुक्रवार (04 जुलाई 2025) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर इस नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर यह ‘लॉटरी’ प्रणाली जारी रहती है, तो आने वाले समय में मेडिकल कॉलेजों, आईआईटी, और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में भी इसी तरह की नियुक्तियां हो सकती हैं।
एक्स पोस्ट के जरिए मायावती ने कहा, “बिहार के प्रसिद्ध पटना विश्वविद्यालय के पांच प्रतिष्ठित कॉलेजों में ‘लॉटरी’ की नई व्यवस्था के तहत प्रिंसिपलों की नियुक्ति का मामला दिलचस्प होने के कारण देश भर में खासकर मीडिया व शिक्षा जगत में काफी चर्चाओं में है. स्थापित परंपरा से हटकर, ‘लॉटरी’ के जरिए नियुक्ति की एक प्रकार से विचित्र व्यवस्था लागू करने के कारण केवल कला (आर्ट्स) विषयों की पढ़ाई वाले 1863 में स्थापित पटना कॉलेज में केमिस्ट्री के प्राध्यापक प्रो. अनिल कुमार प्राचार्य बन गए हैं, जबकि बिहार विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान की प्राचार्य प्रो. अल्का यादव विज्ञान की उच्च शिक्षा के लिए प्रख्यात पटना साइंस कॉलेज की नई प्रिंसिपल नियुक्त हुई है.”
आगे कहा, “इतना ही नहीं बल्कि इसी प्रकार की नियुक्ति वाणिज्य महाविद्यालय में भी हुई है. यहां पहली बार कला संकाय की महिला प्राध्यापक डॉ. सुहेली मेहता प्राचार्य बनी हैं, हालांकि उनके विषय की पढ़ाई यहां इस कॉलेज में नहीं होती है. साथ ही, महिला शिक्षा जगत में प्रसिद्ध मगध महिला कॉलेज को लंबे इतिहास में दूसरी बार पुरुष प्रिंसिपल मिले हैं. प्रो. एनपी वर्मा यहां के नए प्राचार्य होंगे जबकि प्रो. योगेंद्र कुमार वर्मा की लॉटरी पटना लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में निकली है.”
‘क्या इस व्यवस्था को भाजपा-शासित अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा?’
मायावती का कहना है कि इसको लेकर लोगों में उत्सुकता है कि ‘पारदर्शिता व तटस्थता’ के नाम पर बिहार सरकार व चांसलर द्वारा इस प्रकार लॉटरी के माध्यम से की गई प्रिंसिपल की नियुक्तियों को सही ठहरा कर क्या इस व्यवस्था को भाजपा-शासित अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा? वास्तव में कॉलेजों के प्रिंसिपल जैसे महत्वपूर्ण पद पर भी पूरी पारदर्शिता, तटस्थता व ईमानदारी के साथ नियुक्ति नहीं कर पाने की अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए ही ऐसा घातक प्रयोग करना लोगों की नजर में उच्च शिक्षा व्यवस्था को सुधार का कम और खराब करने वाला ज्यादा प्रतीत होता है.
उन्होंने यह भी कहा, “इसी प्रकार, इसी परंपरा को अपना कर आगे चलकर मेडिकल कॉलेजों, आईआईटी व अंतरिक्ष विज्ञान आदि जैसी साइंस की उच्च व विशिष्ठ संस्थाओं में भी गैर-एक्सपर्ट नियुक्त किए जाएं तो यह ताज्जुब की बात नहीं होनी चाहिए. वैसे हमारी पार्टी का यह मानना है कि किसी भी विशिष्ठ क्षेत्र में इस प्रकार की मनमानी वाला विकृत प्रयोग ना किया जाए तो उचित, और इससे पहले कि यह रोग गंभीर होकर और ज्यादा फैले केंद्र की सरकार को इसका उचित व समुचित संज्ञान लेकर जन व देशहित में जितनी जल्द कार्रवाई करे उतना बेहतर, ऐसी सभी को उम्मीद.”



