TMC नेता यूसुफ पठान पर बड़ी कार्रवाई! गुजरात HC के आदेश के बाद घर पर चलेगा बुलडोजर

गुजरात हाईकोर्ट ने TMC नेता यूसुफ पठान को जमीन खाली करने का आदेश दिया है... कोर्ट ने साफ कहा कि मशहूर हस्तियां अक्सर प्रभाव डालती हैं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों भारत में कानून सबके लिए बराबर है… चाहे कोई कितना भी मशहूर क्यों न हो… जी हां दोस्तों यह बात गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में दोहराई है… पूर्व भारतीय क्रिकेटर और टीएमसी के सांसद यूसुफ पठान को वडोदरा में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने का दोषी पाया गया है… कोर्ट ने उन्हें यह भूमि खाली करने का आदेश दिया है.. और वडोदरा नगर निगम को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं… यह फैसला 13 सितंबर 2025 को जस्टिस मौना भट्ट की एकल पीठ ने सुनाया था.. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि मशहूर हस्तियों को कानून तोड़ने पर छूट देना समाज में गलत संदेश देता है… और न्याय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास कम करता है…

वहीं यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं है… बल्कि यह दिखाता है कि कैसे सेलिब्रिटी स्टेटस का इस्तेमाल करके कुछ लोग सार्वजनिक संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं… यूसुफ पठान क्रिकेट की दुनिया में एक जाना-माना नाम हैं.. और अब राजनीति में सक्रिय हैं.. उन्होंने इस मामले में अपनी और परिवार की सुरक्षा का हवाला दिया था.. लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि कानून का पालन सबके लिए जरूरी है… खासकर उन लोगों के लिए जो पब्लिक फिगर हैं…

आपको बता दें कि यूसुफ ने अपना क्रिकेट करियर 2007 में शुरू किया और वे ऑलराउंडर के रूप में मशहूर हुए.. और उन्होंने भारत के लिए 57 वनडे और 22 टी20 मैच खेले.. जिसमें कई यादगार पारियां शामिल हैं… 2008 में आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेलते हुए उन्होंने टीम को चैंपियन बनाया.. बाद में वे कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ जुड़े और 2012 में आईपीएल जीता.. क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, यूसुफ ने राजनीति में कदम रखा.. 2024 के लोकसभा चुनाव में वे टीएमसी के टिकट पर पश्चिम बंगाल के बहरामपुर से सांसद चुने गए…

यूसुफ पठान न सिर्फ एक स्पोर्ट्स आइकन हैं.. बल्कि वे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहे हैं… उन्होंने पठान ब्रदर्स एकेडमी चलाई, जहां युवा क्रिकेटरों को ट्रेनिंग दी जाती है.. लेकिन इस मामले ने उनकी छवि पर सवाल उठाए हैं.. वडोदरा उनका गृहनगर है, जहां उनका परिवार रहता है.. विवादित भूमि उनके बंगले के ठीक बगल में है.. जो तंदलजा इलाके में स्थित है.. यह प्लॉट मूल रूप से वडोदरा नगर निगम की संपत्ति है.. और आवासीय उपयोग के लिए है.. यूसुफ ने दावा किया कि यह प्लॉट उनके परिवार की सुरक्षा के लिए जरूरी है.. क्योंकि वे और उनके भाई इरफान अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं… और उन्हें खतरे हो सकते हैं.. लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया…

वहीं यह मामला हमें याद दिलाता है कि भारत में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है.. शहरों में बढ़ती आबादी और संपत्ति की कीमतों के कारण लोग सरकारी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं.. लेकिन जब कोई मशहूर व्यक्ति ऐसा करता है.. तो यह और ज्यादा ध्यान खींचता है.. यूसुफ पठान का मामला इसी तरह का है.. जहां उन्होंने कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कर प्लॉट पर कब्जा रखा…

आपको बता दें कि यह विवाद 2012 में शुरू हुआ.. उस समय यूसुफ पठान ने वडोदरा नगर निगम से संपर्क किया.. और प्लॉट खरीदने की इच्छा जताई… और उन्होंने कहा कि यह प्लॉट उनके बंगले के बगल में है.. और परिवार की सुरक्षा के लिए जरूरी है.. वे बाजार मूल्य पर इसे खरीदने को तैयार थे.. निगम ने इस प्रस्ताव का मूल्यांकन किया.. प्लॉट का क्षेत्रफल 978 वर्ग मीटर है.. और उस समय इसकी कीमत प्रति वर्ग मीटर 57 हजार 270 रुपये आंकी गई थी.. जो कुल मिलाकर करीब 5.6 करोड़ रुपये बनती है.. वीएमसी ने बिना नीलामी के इसे 99 साल की लीज पर देने का प्रस्ताव पारित किया.. लेकिन राज्य सरकार की मंजूरी जरूरी थी..

प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया.. लेकिन 2014 में इसे अस्वीकार कर दिया गया.. कारण था कि सरकारी भूमि की बिक्री या लीज के लिए पब्लिक ऑक्शन जरूरी है.. जो यहां नहीं किया गया… प्रक्रिया में खामी थी… अस्वीकृति के बावजूद, यूसुफ पठान ने प्लॉट पर बाड़ा लगा लिया और कब्जा जारी रखा.. वे वहां घोड़ों के लिए स्थिर बनाना चाहते थे.. अगले कई सालों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई… वीएमसी ने भी चुप्पी साधे रखी, शायद इसलिए क्योंकि यूसुफ एक मशहूर हस्ती थे..

वहीं एक बार फिर मामला सुर्खियों में आया जून 2024 में जब यूसुफ टीएमसी से सांसद चुने गए.. एक वीएमसी काउंसलर ने उनकी संपत्ति पर सवाल उठाया.. निगम ने नोटिस जारी किया और प्लॉट खाली करने को कहा… यूसुफ ने इस नोटिस को चुनौती देते हुए गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की… और उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री से भी अनुमति मांगी.. तर्क दिया कि वे और इरफान अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं.. परिवार की सुरक्षा महत्वपूर्ण है.. वे बाजार मूल्य देने को तैयार थे.. लेकिन कोर्ट ने कहा कि अब पैसे देने की पेशकश से अवैध कब्जा वैध नहीं हो सकता…

यह देरी भी एक मुद्दा बनी.. कोर्ट ने वीएमसी से पूछा कि 2014 से क्यों कार्रवाई नहीं की गई.. निगम ने कहा कि उन्होंने कई बार नोटिस दिए.. लेकिन प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी.. कोर्ट ने निगम की इस लापरवाही पर टिप्पणी की… लेकिन यूसुफ को राहत नहीं दी… गुजरात हाई कोर्ट में मामला जस्टिस मौना भट्ट की एकल पीठ के सामने आया.. सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं.. यूसुफ की तरफ से कहा गया कि उन्होंने कोई गलत नहीं किया.. सिर्फ सुरक्षा के लिए प्लॉट चाहा… वे पैसे देने को तैयार हैं.. वीएमसी ने विरोध किया, कहा कि यूसुफ ने बिना अनुमति कब्जा किया, जो अतिक्रमण है.. एक अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटी होने के नाते उन्हें कानून की ज्यादा जानकारी होनी चाहिए..

13 सितंबर 2025 को फैसला आया.. कोर्ट ने यूसुफ की याचिका खारिज कर दी.. जस्टिस भट्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का प्लॉट पर कोई कानूनी अधिकार नहीं था.. इसलिए निगम का दावा सही है कि यह अतिक्रमण है.. और उन्होंने आगे कहा कि बिना पैसे दिए या बिना आवंटन आदेश के प्लॉट पर कब्जा करना गलत है.. और बाड़ा लगाकर इसे अतिक्रमण बनाना है.. कोर्ट ने यूसुफ पर जुर्माना लगाने की वीएमसी की मांग भी ठुकरा दी.. क्योंकि निगम ने खुद देर से कार्रवाई की.. लेकिन मुख्य फैसला यूसुफ के खिलाफ था.. उन्हें अतिक्रमणकारी घोषित किया गया.. और वीएमसी को तुरंत अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया.. वीएमसी के अधिकारी सुरेश तुवेर ने कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद वे प्लॉट वापस लेंगे..

जस्टिस मौना भट्ट की टिप्पणियां इस फैसले का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.. उन्होंने सेलिब्रिटीज की जिम्मेदारी पर जोर दिया.. मशहूर हस्तियां अपनी प्रसिद्धि और सार्वजनिक उपस्थिति के कारण सार्वजनिक व्यवहार और सामाजिक मूल्यों पर गहरा प्रभाव डालती हैं.. कानून की अवहेलना करने के बावजूद ऐसे व्यक्तियों को रियायत देना समाज में गलत संदेश देता है.. और न्यायिक व्यवस्था में जनता के विश्वास को कम करता है.. आप अतिक्रमणकारी हैं.. अब पैसे देने की तैयारी से अवैध कब्जा वैध नहीं हो सकता.. यह सेलिब्रिटी स्टेटस का दुरुपयोग रोकने का संदेश है.. कोर्ट ने कहा कि एक राष्ट्रीय प्रतिनिधि होने के नाते यूसुफ की जिम्मेदारी ज्यादा है.. वे पब्लिक फिगर हैं, इसलिए उनका व्यवहार दूसरों के लिए उदाहरण बनता है..

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया.. सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा है कि पब्लिक फिगर्स को कानून तोड़ने पर छूट नहीं मिलनी चाहिए.. क्योंकि इससे समाज में असमानता बढ़ती है.. सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने केस में कहा गया कि सरकारी संपत्ति सबकी है.. और इसे निजी इस्तेमाल के लिए नहीं दिया जा सकता.. गुजरात हाई कोर्ट ने इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित फैसला दिया.. यह दिखाता है कि भारतीय न्याय व्यवस्था में समानता का सिद्धांत कितना मजबूत है… यह फैसला सिर्फ यूसुफ पठान तक सीमित नहीं है… यह सभी सेलिब्रिटीज और पब्लिक फिगर्स के लिए चेतावनी है… भारत में कई मामले हैं जहां मशहूर लोग सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग करते हैं…

वहीं यह फैसला संदेश देता है कि कानून सबके लिए बराबर है.. गरीब लोग अगर अतिक्रमण करते हैं तो उन्हें हटाया जाता है… तो अमीर या मशहूर को क्यों छूट… इससे न्याय पर विश्वास बढ़ेगा… लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि वीएमसी की लापरवाही भी दोषी है.. अगर पहले कार्रवाई होती तो मामला इतना बड़ा न बनता.. यूसुफ टीएमसी सांसद हैं.. यह फैसला उनकी पार्टी की छवि पर असर डाल सकता है.. खासकर गुजरात में जहां टीएमसी कमजोर है.. लेकिन यूसुफ ने अब तक कोई बयान नहीं दिया.. आपको बता दें कि भारत में ऐसे कई मामले हैं… दिल्ली में भी कई सेलिब्रिटीज पर अतिक्रमण के आरोप लगे हैं… या महाराष्ट्र में समुद्री तट पर कब्जे… ये मामले दिखाते हैं कि सरकारी भूमि की रक्षा जरूरी है.. कानूनी प्रक्रिया का पालन करें, सेलिब्रिटी स्टेटस का फायदा न उठाएं..

 

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