ठंडी पड़ रही मोदी-ट्रंप की दोस्ती!
अमेरिका केदो बड़े अखबारों का दावा
- अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में भारतीय पीएम को नहीं मिला न्यौता
- विपक्ष बोला- पिछले कुछ सालों से गिर रही पीएम मोदी की साख
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के विदेशी मेहमानों की अंतिम सूची में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम नहीं है। हालांकि अभी तक पूरी सूची का खुलासा नहीं हुआ है। सूत्रों का कहना है कि संभव है कि भारत के प्रधानमंत्री को भी इस समारोह में आमंत्रित किया जाए, लेकिन कुछ अमेरिकी मीडिया में ऐसी खबरें आ रहीं है कि पीएम मोदी का नाम मेहमानों की सूची में नहीं है। इसको लेकर भारत में सियासी बवाल भी मचा है।
विपक्ष का कहना है दुनिया में धीरे-धीरे प्रधान मंत्री मोदी की साख कम हो रही है। अभी हाल में सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट मामले में भारत की रैंकिं ग गिर गई है। अमेरिका के दो प्रमुख अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट’ और ‘न्यूर्याक टाइम्स’ में इस मुद्दे को लेकर विश्लेषणात्मक टिप्पणियां आई हैं। अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह, जो 20 जनवरी, 2025 को आयोजित होने वाला है, दुनिया भर के नेताओं और मीडिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है। इस समारोह में शामिल होने के लिए कौन से विदेशी नेता आमंत्रित होंगे, यह एक बड़ा सवाल बन चुका है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कई विदेशी नेताओं को इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जा चुका है। हालांकि, अभी तक किसी भी आधिकारिक स्रोत से इस बारे में पुष्टि नहीं हुई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी 7 जनवरी को एक बयान जारी करते हुए कहा कि, यदि कुछ नया होता है तो वह मीडिया को किसी भी नई जानकारी से अवगत कराएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने की थी 2017 में शिरकत
2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया, और उन्होंने इसमें भाग लिया। इस दौरान भारतीय-अमेरिकी संबंधों में और भी अधिक मजबूती आई थी। उसके बाद 2017 में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अमेरिका की यात्रा की थी।
अमेरिकी अखबारों की चर्चा भारत में गर्म
अमेरिका के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह के विदेशी मेहमानों की अंतिम सूची का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है और संभव है कि भारत के प्रधानमंत्री को भी इस समारोह में आमंत्रित किया जाए, लेकिन अमेरिका के दो प्रमुख अखबार ”वाशिंगटन पोस्ट” और ”न्यूर्याक टाइम्स” में इस मुद्दे को लेकर जो विश्लेषणात्मक टिप्पणियां आई हैं। उनके आलोक में भारतीय प्रधानमंत्री को निमंत्रण की संभावनाएं कम लग रही है। दोनों अखबारों ने यह सवाल उठाया कि क्या इस संबंध की गति में कोई रुकावट आ रही है या अमेरिकी नेतृत्व ने भारतीय प्रधानमंत्री को आमंत्रित करने का निर्णय राजनीतिक कारणों से लिया है। वाशिंगटन पोस्ट ने भारत की विदेश नीति में आ रही नई दिशा पर भी सवाल उठाए हैं।
व्हाइट हाउस से अब भी आ सकता है मोदी को न्यौता?
अब बात करते हैं 2025 के शपथ ग्रहण समारोह की। लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को इस समारोह में आमंत्रित किया जाएगा या नहीं। इसके कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहला कारण कूटनीतिक प्रोटोकॉल हो सकता है। आमतौर पर, शपथ ग्रहण समारोहों में केवल उन देशों के नेताओं को आमंत्रित किया जाता है, जिनके साथ उस समय अमेरिकी प्रशासन के गहरे कूटनीतिक संबंध होते हैं।
भारत-अमेरीकी सम्बन्धों पर नहीं पड़ेगा फर्क
उधर दावा किया गया है कि अमेरिकी शपथ ग्रहण समारोह में आमतौर पर बहुत अधिक विदेशी नेता नहीं बुलाए जाते हैं। यह आयोजन खासतौर पर अमेरिकी राजनीति और देश की आंतरिक प्रक्रियाओं पर केंद्रित होता है। इसमें विदेश नीति के बड़े चेहरे आमतौर पर शामिल नहीं होते, और इसका उद्देश्य अमेरिका के आंतरिक राजनीति और लोकतंत्र के उत्सव को मनाना होता है।
पीएम मोदी के पीआर में जुटी है केंद्र सरकार : प्रियंका
- कांग्रेस सांसद बोलीं- छात्रवृत्ति के लिए पैसा नहीं, पर प्रचार में धन की कमी नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत प्रचार पर ध्यान केंद्रित करने का आरोप लगाते हुए तीखा प्रहार किया है। कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि प्रधान मंत्री के जनसंपर्क (पीआर) पर पर्याप्त धन खर्च किया गया है, जबकि सरकार छात्रवृत्ति प्रदान करने में विफल रही जो कई युवाओं के जीवन को बदल सकती थी।
उन्होंने राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा (एनटीएसई) छात्रवृत्ति के निलंबन पर चिंता जताई, जो परंपरागत रूप से प्रतिभाशाली छात्रों को उच्च शिक्षा हासिल करने और देश के विकास में योगदान करने में मदद करती थी। एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि 1963 में शुरू किए गए छात्रवृत्ति कार्यक्रम ने देश भर में कई बच्चों के लिए अवसर प्रदान किए, लेकिन पिछले तीन वर्षों से इसे रोक दिया गया है, जिससे इच्छुक छात्रों के लिए अवसर खो गए हैं। प्रियंका गांधी ने सरकार पर युवा छात्रों के कल्याण पर प्रधान मंत्री के व्यक्तिगत प्रचार को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया और बताया कि इस अवधि के दौरान प्रधान मंत्री के लिए जनसंपर्क पर 62 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि इसी अवधि के लिए छात्रवृत्ति के लिए मात्र 40 करोड़ रुपये का वित्तपोषण किया जा सकता था।
छात्रवृत्ति बंद होने से लाखों युवाओं का भविष्य अंधेरे में
प्रियंका ने एक्स पर लिखा कि विकास के विजन पर प्रधानमंत्री जी का पीआर हावी है। उन्होंने आगे कहा कि 1963 में शुरू हुई परीक्षा से तमाम बच्चों के भविष्य का रास्ता बना, वे देश की प्रगति के भागीदार बने, उनके लिए अच्छी शिक्षा के द्वार खुले। उन्होंने कहा कि टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन सालों से इस छात्रवृत्ति को रोक दिया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री जी के निजी प्रचार के लिए परीक्षा पर चर्चा जारी है। छात्रवृत्ति बंद होने से लाखों युवाओं के उज्जवल भविष्य का रास्ता बंद हो गया, लेकिन प्रधानमंत्री जी का पीआर बंद नहीं हुआ।
फ्रॉड कर रहे हैं केंद्रीय मंत्री: संजय सिंह
- बोले- चुनाव आयोग की आंखों में धूल झोंका जा रहा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली चुनाव के लिए वोटर लिस्ट को लेकर आप और बीजेपी के बीच घमासान मचा हुआ है। संजय सिंह ने कई भाजपा नेताओं के एक ही परिसर से बड़ी संख्या में मतदाता आवेदन करने का आरोप लगाया। भाजपा के सांसद और केंद्रीय मंत्री चुनाव आयोग की आंखों में धूल झोंककर फ्रॉड कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि उम्मीदवार प्रवेश वर्मा जिस सांसद बंगले पर कब्ज़ा किए हुए हैं, वहां से 33 वोट बनवाने की एप्लीकेशन दी गयी है। उन्होंने कहा कि 8 महीने से प्रवेश वर्मा सांसद आवास पर कब्ज़ा करके बैठे हैं और उसी पते पर वोट बनवाने की आवेदन दी है।
आरोप निराधार, आप है हताश : सचदेवा
आप के दावों का जवाब देते हुए भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोपों को निराधार करार दिया और इसे आप की हताशा करार दिया। सचदेवा ने कहा कि आज के राजनीतिक बयान में अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द उनकी असभ्य सामाजिक परवरिश के साथ-साथ राजनीतिक नैतिकता की कमी को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले सितंबर से आप नेताओं को पता है कि उन्होंने राजनीतिक जमीन खो दी है, लेकिन अब उन्हें ज्ञात हो गया है कि अरविंद केजरीवाल भी हार रहे हैं, जिससे वे परेशान हैं।