अन्नदाताओं की आवाज से हिलेगी मोदी-योगी की कुर्सी!
- लाखों की संख्या में किसानों का हल्लाबोल, सरकार को याद दिलाएंगे वादे
- संसद में विपक्ष ने भाजपा व पीएम पर किए प्रहार
- स्कूलों में छुट्टी, ट्रैफिक डायवर्जन, धारा 163 लागू
- नोएडा का महामाया चौराहा बना तहरीर चौक
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बीजेपी सरकार के वादा खिलाफी, एमएसपी पर ढुलमुल रवैये किसानों के अधिग्रहण किए गए जमीनों के मुआवजे समेत अन्य कई मांगों को लेकर लाखों की संख्या में किसानों ने दिल्ली-यूपी बार्डर पर जाम लगा दिया है। किसानों की इतनी बड़ी भीड़ देखकर मोदी सरकार की पुलिस की हालत खराब हो गई है। उधर इसको लेकर विपक्ष ने एनडीए सरकार को घेरा है। कांग्रेस, सपा समेत कई दलों ने संसद में किसानों के मुद्दे का उठाने की कोशिश की। विपक्ष ने किसानों की मांग नहीं मानी गई तो एनडीए सरकार की ईंट से ईंट बजा दी जाएगी। किसानों ने पीएम मोदी व सीएम योगी को चेतावनी भी दी।
उधर सरकार ने कहा हम किसानों से बातचीत को तैयार हैं। दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसानों ने आज दिल्ली कूच किया। किसान दिन में 12 बजे के आसपास अलग-अलग संगठनों के साथ महामाया फ्लाईओवर के पास जमा हुए। वहीं कुछ और किसान संगठन ग्रेटर नोएडा के परी चौक से ट्रैक्टर ट्राली के साथ कूच किए। आंदोलन को देखते हुए महामाया फ्लाईओवर के आसपास ट्रैफिक डायवर्जन कर दिया गया है। कई स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है और कई स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं चला रहे हैं। बड़ी संख्या में पुलिस बल और पीएसी को तैनात किया गया है। दरअसल रविवार को तीनों प्राधिकरण, जिला प्रशासन और पुलिस कमिश्नर के साथ किसानों की तकरीबन 2 घंटे तक बैठक चली जो बेनतीजा निकली। मार्च में गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर सहित 20 जिलों के किसान हैं। 27 नवंबर को किसान ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी पर और 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक यमुना अऑरिटी पर प्रदर्शन कर चुके हैं। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी एरिया के करीब एक लाख किसान सड़कों पर उतरे।
सरकार किसानों से बात करने को तैयार : चिराग पासवान
किसानों के दिल्ली चलो मार्च पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा, सरकार किसानों की बात सुनने और उनसे बात करने के लिए तैयार है. पिछली बार भी सरकार ने बिना किसी शर्त के उन कानूनों को वापस ले लिया था जिन पर उन्हें आपत्ति थी। इससे सरकार की मंशा का पता चलता है कि केंद्र में हमारी एनडीए पूरी तरह से किसानों की भावनाओं के साथ काम करने की कोशिश कर रही है. सरकार ने बातचीत का रास्ता खुला रखा है. मुझे लगता है कि पहले बातचीत होनी चाहिए।
किसानों ने अधिकारियों की अपील ठुकराई
अधिकारियों ने किसानों से अपील की थी कि वह दिल्ली कूच के कार्यक्रम को स्थगित कर दें, लेकिन किसान संगठनों ने उसे दरकिनार कर दिया। पूरे जिले में धारा 163 लागू कर दी गई है।
एमएसपी की गारंटी जैसी मांगों पर जोर
ये किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी जैसी मांगों पर जोर दे रहे हैं। वहीं किसानों की मांग में 10 फीसदी विकसित भूखंड और 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा मिले। नए भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक, एक जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि का मुआवजा दिया जाए। गौतमबुद्ध नगर में 10 वर्ष से सर्किल रेट भी नहीं बढ़ा है, उसे बढ़ाया जाए। जिले में नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ लागू हों। नए भूमि अधिग्रहण कानून के सभी लाभ, हाई पावर कमेटी द्वारा किसानों के हक में भेजी गई सिफारिशें लागू की जाएं। भूमिधर, भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्विकास के लाभ मिलें।
दिल्ली के कई बॉर्डरों पर बैरिकेड
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में हजारों किसान नोएडा से दिल्ली कूच करने पर अड़े हैं। किसानों के दिल्ली कूच आह्नान को देखते हुए पुलिस की ओर से जीरो प्वाइंट पर बैरिकेड लगाकर चेकिंग की जा रही है। इसके अलावा कासना, दादरी अन्य रूट से दिल्ली जाने वाले मार्ग पर बैरिकेड लगाकर चेकिंग की जा रही है। चेकिंग की वजह से कई चौराहों पर यातायात का दबाव है। कई किसान नेताओं को उनके घर में नजरबंद किया गया है। किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए चार हजार से ज्यादा पुलिस बल सड़कों पर है। एक दिन पहले ही तीनों प्राधिकरण और जिला प्रशासन के साथ किसानों की बैठक विफल रही।
स्कूलों में छुट्टी की गई
किसानों के इस आंदोलन को देखते हुए कई स्कूलों ने सोमवार को अपने स्कूलों में छुट्टी कर दी है और कई जगह पर ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। आंदोलन की वजह से जगह-जगह जाम लगने की आशंका को देखते हुए स्कूलों ने कदम उठाया है। वहीं दूसरी तरफ आम जनता को जाम की समस्या से बचने के लिए नोएडा पुलिस के ट्रैफिक विभाग ने डायवर्जन प्लान तैयार किया है। जरूरत के हिसाब से डायवर्जन प्रभावित किया गया है। चिल्ला बॉर्डर, डीएनडी, महामाया फ्लाईओवर के पास भी बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी को तैनात किया जाएगा। गौरतलब है कि 25 नवंबर से शुरू हुआ किसान आंदोलन अब अपने चरम पर पहुंच गया है।