मुलायम सिंह को मिली कोठी, बीजेपी सरकार ने छीनी, 250 रुपए महीना था किराया
मुलायम की कोठी पर अब योगी की नजर... बीजेपी सरकार ने छीनी 'साइकिल' की शान? मुलायम की कोठी अब नहीं सपा की! 250 रुपए महीना था किराया...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जहां हर गली-नुक्कड़ पर राजनीति की कहानियां गूंजती हैं.. यहां सत्ता का खेल, पार्टियों की उठापटक और नेताओं की विरासत की चर्चा आम है.. वहीं मुरादाबाद जिले में सपा का जिला कार्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है. यह कार्यालय सिविल लाइंस क्षेत्र के चक्कर की मिलक में बना है. बता दें कि साल 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की सरकार के दौरान मात्र 250 रुपये मासिक किराए पर आवंटित किया गया था. अब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इस कोठी का आवंटन रद्द कर दिया है. जिला प्रशासन ने सपा के जिला अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस कोठी को 30 दिनों के भीतर खाली करने का आदेश जारी किया है. इस फैसले ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. बल्कि सपा और बीजेपी के बीच एक नया विवाद भी खड़ा कर दिया है.. बता दें कि इस कोठी की कीमत आज करोड़ों रुपये में बताई जा रही है.. जबकि इसका किराया अभी भी केवल 900 रुपये प्रति माह है.
बता दें कि 1994 में जब मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.. उनकी सरकार ने इस जमीन को समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय के लिए लीज पर दिया था. उस समय इसका मासिक किराया केवल 250 रुपये तय किया गया था. यह राशि उस समय के बाजार मूल्य की तुलना में बेहद कम थी. जिसको लेकर सपा नेताओं का कहना है कि यह आवंटन पूरी तरह से वैध था.. और शासन स्तर पर सभी नियमों का पालन करके किया गया था.. मुरादाबाद सपा जिला अध्यक्ष जयवीर सिंह यादव ने कहा कि यह जमीन तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार में शासन स्तर से लीज पर दी गई थी.. पिछले 31 सालों से हमारा जिला कार्यालय यहां से चल रहा है.
हालांकि, इस आवंटन की प्रक्रिया पर शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं. नगर निगम अधिकारियों का दावा है कि यह आवंटन बिना जिला प्रशासन की सहमति के किया गया था. जो प्रशासनिक नियमों का उल्लंघन है.. सितंबर 2024 में नगर आयुक्त दिव्यांशु पटेल ने जिला मजिस्ट्रेट अनुज सिंह को पत्र लिखकर इस जमीन को खाली कराने की सिफारिश की थी.. वहीं वर्तमान में योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया.. मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने 28 मार्च 2025 को उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर इस कोठी की लीज को रद्द करने.. और जमीन को सरकारी उपयोग के लिए अधिग्रहित करने की मांग की.. और इस पत्र में कहा गया कि यह जमीन सरकारी संपत्ति है..
जिला प्रशासन ने सपा को 30 दिनों के भीतर कोठी खाली करने का नोटिस जारी किया है.. अगर सपा इस आदेश का पालन नहीं करती.. तो नगर निगम और जिला प्रशासन पुलिस बल की मदद से इस संपत्ति पर कब्जा कर सकते हैं.. इस कार्रवाई से सपा के स्थानीय नेताओं में चिंता बढ़ गई है.. और उनका कहना है कि यह बीजेपी सरकार की राजनीतिक बदले की कार्रवाई है… 1994 में जब यह कोठी सपा को दी गई थी. तब इसका किराया 250 रुपये महीने था.. समय के साथ किराया बढ़ाकर 900 रुपये कर दिया गया.
वहीं समाजवादी पार्टी ने इस कार्रवाई को बीजेपी सरकार की राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है.. सपा नेताओं का कहना है कि यह कोठी पिछले तीन दशकों से उनके जिला कार्यालय के रूप में इस्तेमाल हो रही है. और इसका आवंटन पूरी तरह से कानूनी था.. जयवीर सिंह यादव ने कहा कि हमें अभी तक कोई आधिकारिक नोटिस नहीं मिला है.. अगर कोई नोटिस मिलता है… तो हम उसका जवाब देंगे.. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार सपा के खिलाफ बदले की भावना से काम कर रही है. और जनता इसका जवाब देगी. सपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह कार्रवाई 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को कमजोर करने की साजिश है.
आपको बता दें कि मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति के एक बड़े नाम थे. मुलायम ने 1967 में पहली बार विधायक का चुनाव जीता.. और उसके बाद तीन बार 1989-1991, 1993-1995, 2003-2007 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.. 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना की. जो पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों की आवाज बनी.. मुलायम को 2023 में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. उनके निधन के बाद उनके बेटे अखिलेश यादव ने सपा की कमान संभाली. मुरादाबाद की यह कोठी मुलायम की विरासत का हिस्सा मानी जाती है. क्योंकि उनके मुख्यमंत्री काल में इसका आवंटन हुआ था.



