मुंडे की विरासत को मिल रही कड़ी टक्कर, प्रतिष्ठा पर बीजेपी की दांव 

लोकसभा चुनाव को लेकर देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है.... देश में तीन फेज के मतदान हो चुके हैं... और महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मराठा आराक्षण सबसे बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है... देखिए खास रिपोर्ट...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः देश में लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां जोरों पर हैं…. तीन चरणों के मतदान संपन्न हो चुके हैं…. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां प्रचार-प्रसार करने में लगी हुईं हैं…. प्रचार-प्रसार के दौरान नेता और मंत्री एक-दूसरे पर तीखे हमले करते हुए नजर आ रहे हैं…. जिससे पूरे देश में चुनावी माहौल गरम है…. वहीं यूपी के बाद सबसे ज्यादा सीटों वाले महाराष्ट्र का सियासी पारा हाई है… और चौथे चरण में मराठवाडा की बीड लोकसभा सीट पर 13 मई को चुनाव है…. यह बीजेपी की उम्मीदवार पंकजा मुंडे के लिए प्रतिष्ठा की सीट है…. इस सीट से राज्य के बीजेपी के दिग्गज नेता रहे… और पंकजा के पिता गोपीनाथ मुंडे…. और उनकी बहन प्रीतम मुंडे को जीत मिली है…. लेकिन, इस बार बीजेपी ने प्रीतम का टिकट काटकर पंकजा को उम्मीदवार बनाया है…. यहां मराठा आरक्षण आंदोलन का बड़ा असर दिख रहा है।…. इसीलिए, पंकजा को एनसीपी (शरद गुट) से उम्मीदवार बजरंग सोनावणे कड़ी टक्कर दे रहे हैं….. पिछले चुनाव में बजरंग कांग्रेस से उम्मीदवार थे…. और उन्होंने प्रीतम को कड़ी टक्कर दी थी…. हालांकि, मूल एनसीपी राज्य में महायुति के साथ है….. शरद पवार ने पिछले रिकॉर्ड देखते हुए उन्हें उम्मीदवार बनाया है….. मराठा आरक्षण की आंच में बुरी तरह झुलसे इस इलाके में मराठाओं का वर्चस्व है…. जो पंकजा की टेंशन बढ़ाने के लिए काफी है….

आपको बता दें कि गोपीनाथ मुंडे का बीड जिले में दबदबा रहा है…. उन्नीस सौ में पहली बार इस सीट से बीजेपी की उम्मीदवार रजनी पाटील को जीत मिली थी…. इसके बाद उन्नीस सौ अट्ठासी और उन्नीस सौ निन्नानबे में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दोनों बार जयसिंग पाटील को टिकट दिया और वह चुनकर आए…. लेकिन, दो हजार चार में बीजेपी से टिकट कटने पर जगसिंग एनसीपी से चुनाव लड़े और उन्हें सफलता मिली…. इसके बाद इस सीट पर कब्ज़ा करने के लिए बीजेपी ने बीड के दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे को टिकट दिया…. और वह पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे…. यह सीट फिर से बीजेपी के कब्ज़े में आ गई…. औऱ दो हजार चौदह में भी गोपीनाथ मुंडे को जीत मिली…. लेकिन, एक सड़क हादसे में उनकी मृत्यु हो गई…. तब उप चुनाव में उनकी बेटी प्रीतम भी जीतीं…. वहीं दो हजार उन्नीस के लोकसभा चुनाव में भी वह जीत गईं…. इस बार मराठा आरक्षण आंदोलन ने इस सीट को बहुत प्रभावित किया है…. इसे देखते हुए बीजेपी ने प्रीतम की बजाय उनकी बहन पंकजा को टिकट दिया है…. लेकिन, यहां पर राजनीतिक समीकरण बदलने के बावजूद पंकजा के सामने चुनौती है…. पंकजा वंजारी समाज से आती हैं….. इसलिए चुनाव में उन्हें इस समाज से फायदा मिल सकता है…. वहीं, बजरंग प्रचार में खुद को किसान पुत्र बता रहे हैं….

बता दें कि मुंडे की राजनीतिक विरासत को लेकर बेटी पंकजा और भतीजे धनंजय के बीच मतभेद थे….. यहां धनंजय अपना वर्चस्व चाहते थे….इसलिए वह एनसीपी के साथ चले गए…. तबसे इस सीट पर पंकजा और धनंजय के बीच शह-मात का खेल चल रहा था…. अब राज्य के राजनीतिक समीकरण अलग हैं… और धनंजय जिस एनसीपी के साथ हैं…. वह महायुति में शामिल है….इसीलिए, पंकजा और धनंजय भी साथ हैं…..भाई-बहन के साथ आने के बावजूद मराठा आरक्षण आंदोलन ने समीकरण बिगाड़ दिया है….. बीड में रहने वाले नवनाथ के मुताबिक, पंकजा और धनंजय के साथ होने के बावजूद इस सीट पर कड़ी लड़ाई है…. फिलहाल, एनसीपी (शरद गुट) के जिस उम्मीदवार के खिलाफ धनंजय चुनाव प्रचार कर रहे हैं… पिछली बार उन्हीं को जिताने के लिए दिन-रात एक कर दिया था….. तब एनसीपी के उम्मीदवार को पांच लाख से अधिक वोट मिले थे…. आपतो बता दें कि बीड में कांटे की टक्कर है…., इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जनसभा हुई है…. यहां पर जिस तरह से मोदी ने अपने भाषण के अंत में कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर अपना प्रणाम कहने को कहा है…. उससे संभव है कि पंकजा को चुनाव में लाभ मिले…. वहीं राज्य में शिवसेना-बीजेपी-एनसीपी की सरकार है….. मराठा आरक्षण को लेकर जिस तरह से सरकार ने कदम उठाए, उससे लोगों में नाराजगी थी…. इसके चलते तीन से चार दिन तक बीड जिला बुरी तरह प्रभावित रहा….. और प्रशासन को इंटरनेट तक बंद करना पड़ा…. वहीं इस आंदोलन के चलते बीड के विधायक से लेकर सत्ताधारी पार्टी के स्थानीय नेताओं को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है…

आपको बता दें कि बीड सीट से दो बार पिता गोपीनाथ और दो बार बहन प्रीतम के प्रचार की कमान संभालने वाली पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे इस बार खुद बीड लोकसभा सीट से ड्राइविंग सीट पर हैं….. आरक्षण के रास्ते पर चल रहीं पंकजा मुंडे की चुनाव की गाड़ी को कई स्पीड ब्रेकर से गुजरना पड़ रहा है…. मराठा आरक्षण के आंदोलन के दौरान बीड में ही हिंसा और आगजनी हुई थी…. दो विधायकों के घरों पर हमले हुए थे…. राख के ढेर में मराठा आरक्षण की चिंगारी को सुलगाए रखने का पूरा प्रयास यहां हो रहा है…. मराठा ज्यादा मुखर हैं…. पंकजा मुंडे को अपने राजनीतिक विरोधी रहे चचेरे भाई धनंजय मुंडे का साथ मिला है…. वहीं लोकसभा सीट के छह में से पांच विधायक महायुति के हैं…. और उनमें भी चार मराठा हैं….. इसके बावजूद भाजपा को बीड में कमल खिलाने के लिए कांटों पर चलना पड़ रहा है…. आम मराठा मतदाताओं के रुख को लेकर भाजपा उलझन में है…. मनोज जरांगे-पाटील का जन्म स्थान बीड ही है…. यहां मुख्य मुकाबला राकांपा (शरद) के बजरंग उर्फ बप्पा सोनवणे से है…. महाविकास आघाडी के सीटों के बंटवारे में यह सीट पवार गुट को मिली है….

वहीं यह सीट सन दो हजार नौ से लगातार भाजपा के पास है…. भाजपा के सामने वर्तमान सांसद प्रीतम मुंडे के खिलाफ एंटी-इन्कम्बेंसी, मनोज जरांगे-पाटील की लोकप्रियता… और मराठा समाज की नाराजगी से निपटने की बड़ी चुनौती है…. दिग्गज मुंडे परिवार के सदस्य पांच बार लोकसभा में पहुंचे लेकिन ‘विकास’ को कागज से धरातल पर नहीं उतार पाए…. यहां तक कि प्रीतम मुंडे अपनी सांसद निधि तक खर्च नहीं पाईं…. परिवार के प्रति सहानुभूति के कारण प्रीतम जीतती रहीं… लेकिन जनता से दूर रहीं…. बीड में सिंचाई की सुविधा, पेयजल योजनाओं, सड़कों व रेल लाइन पर ध्यान नहीं दिया…. बता दें कि दो हजार उन्नीस में विधानसभा में हुई हार के बाद पंकजा भी इलाके से दूर हो गईं…. जिस बीड शहर के नाम से मुंडे परिवार लोकसभा का प्रतिनिधित्व करता है…. वहां अब तक उनका जनसंपर्क कार्यालय तक नहीं था…. ओबीसी के कोटे से मराठा समाज को आरक्षण दिए जाने के विरोध में राज्य के मंत्री छगन भुजबल ने बीड लोकसभा क्षेत्र में सभाएं ली थीं….. लेकिन पंकजा मुंडे मराठा वोट बैंक के नाराज होने के डर से इन सभाओं से गैरहाजिर थीं… ओबीसी वर्ग इस बात को अब याद रख रहा है… बाजारगांव, लहुरगांव, केज तहसील के गांवों में पंकजा को प्रवेश करने से रोका गया…. गांव के लोगों ने कहा कि स्टाम्प पेपर पर आरक्षण देने की बात लिखकर दो तभी एन्ट्री मिलेगी…. कुल मिलाकर पिछले पंद्रह वर्ष से मुंडे परिवार के प्रति मतदाताओं की सहानुभूति की लहर इस बार कमजोर नजर आ रही है….

आपको बता दें कि खुद को धरतीपुत्र बताने वाले बजरंग सोनवणे बीड के एक विधानसभा क्षेत्र केज से आते हैं…. सोनवणे ने पिछले चुनाव में पांच लाख से अधिक वोट हासिल किए थे… ग्रामीणों की मानें तो सोनवणे की शुगर मिल है और उन्होंने किसानों को इस बार गन्ने के अच्छे दाम दिए…. सोनवणे ने आरक्षण आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों की भोजन और अन्य तरह की व्यवस्था की थी…. मराठा वोटर पंकजा की कमजोरी है… और आरक्षण का मुद्दा धधक रहा है…. पंकजा का कहना है कि आरक्षण का मुद्दा राज्य सरकार का विषय है…. जबकि चुनाव लोकसभा का हो रहा है…. बीड लोकसभा क्षेत्र में पांच लाख से अधिक मराठा वोटर हैं…. मराठों के बाद साढ़े तीन लाख वोटों वाला बंजारा समुदाय है… जिससे पंकज आती हैं…. बंजारा वोट पंकजा की ताकत हैं…. धनगर समाज के तीन लाख से अधिक वोट हैं…. जो एसटी वर्ग में शामिल न किए जाने से नाराज चल रहे हैं।… डेढ़ लाख मुस्लिम वोट हैं…. ओबीसी वोट भी अच्छी तादाद में हैं… बता दें कि साल दो हजार उन्नीस में वंचित आघाडी के उम्मीदवार विष्णु जाधव ने चौरानबे हजार वोट लिए थे…. हालांकि इस बार के उम्मीदवार अशोक हांगे का प्रभाव नजर नहीं आया….

बता दें कि मनोज जरांगे-पाटील के मराठा आरक्षण का इफेक्ट चुनाव में नजर आ रहा है…. मराठा वोट बजरंग सोनवणे की ओर जा रहा है…. वैसे तो व्यापारी चुनाव से दूर रहते हैं, पर हकीकत यही है…. और इस बार के लोकसभा चुनाव में भी मराठा आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है… और बीजेपी की पंकजा मुंडे का बीड सीट से जीत पाना इतना आसान नहीं है…. वहीं इस सीट पर एनसीपी (शरद पवार) के उम्मीदवार इस बार पंकजा मुंडे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं…. वहीं इस बार बीजेपी के लिए राह आसान नहीं दिखाई दे रही है… वहीं बीजेपी को महाराष्ट्र की जनता का कितना सपोर्ट मिलता है… यह तो आने वाला चार जून तय करेगा…

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