EVM पर तकरार बरकरार,बीजेपी का कैसे होगा बेड़ा पार!

4PM न्यूज़ नेटवर्क: इन दिनों देश में लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है। मतदाता जमकर वोटिंग के लिए उत्साह दिखा रहे हैं। पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार का चुनाव काफी ज्यादा उत्साह से भरा है। पिछली बार जहां भाजपा के सामने कोई विपक्षी चेहरा नहीं था वहीं इस बार खुद भाजपा के नेता ये मानते हैं कि इस बार के चुनाव में विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा हैं कांग्रेस नेता राहुल गांधी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी किम लोकप्रियता दिन बा दिन बढ़ती जा रही है। इस बार के चुनाव में कांग्रेस के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए भाजपा के खेमे में खलबली मची हुई है। राजनीतिक दलों के इस बढ़ते चुनावी प्रचार-प्रसार के बीच खबरें ऐसी भी आ रही हैं कि चुनाव जीतने के लिए सत्ताधारी दल भाजपा किसी भी हद तक जा रहा है। अब ऐसा हो भी क्यों न इस बार उसका मुकाबला इंडिया गठबंधन से जो है। ऐसे में चुनाव के दरमियान भी ऐसी खबरें आई जिन्होंने न केवल शासन प्रशासन पर बल्कि भाजपा सरकार पर भी ऊँगली उठाई। बता दें कि EVM मशीन को लेकर पिछले काफी समय से चर्चा चल रही है कि EVM मशीन की मदद से चुनाव में गड़बड़ी की जाती है और चुनाव को अगल दिशा में ले जाया जाता है। ऐसा हो भी क्यों न क्योंकि सत्ताधारी दल भाजपा इस बार चुनाव को किसी भी कीमत पर हारना नहीं चाहता है तभी तो जहां-जहां भाजपा को लगता है कि भाजपा का माहौल नहीं है वहां-वहां EVM मशीनों में खेल कर दिया जाता है। ये खेल कोई मशीन को हैक करके नहीं किया जाता है बल्कि जिन सीटों पर भाजपा को लगता है कि वहां उसके वोटर कम हैं वहां खराब मशीनों को भेजने का काम किया जाता है। जिसका जिक्र और विरोध दोनों इंडिया गठबंधन लगातार करता आ रहा है।

ऐसा ही कुछ हुआ इस बार के चुनाव में बीच में जब ये खबरें आने लगी कि यूपी की दो हॉट सीटें अमेठी और रायबरेली में जो भी EVM मशीन आई हैं उनमें से कई खराब है। फिर क्या इससे हड़कंप मच गया। दरअसल रायबरेली और अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने कई बूथों को लेकर शिकायत की है. सपा ने अमेठी और रायबरेली मिलाकर करीब 7-8 शिकायतें की हैं. वहीं इसे लेकर कांग्रेस ने भी हमला बोला। कांग्रेस ने कहा है कि सारे खराब ईवीएम रायबरेली भेज दिए क्या? यूपी कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा- क्या सारे खराब EVM रायबरेली भेज दिये हैं? वहीं सपा ने लिखा- रायबरेली लोकसभा के सरेनी में बूथ संख्या 143 पर ईवीएम खराब होने की सूचना है. सपा ने दावा किया कि रायबरेली लोकसभा के हरचंदनपुर में बूथ संख्या 19 पर ईवीएम खराब है. सपा ने आरोप लगाया कि रायबरेली लोकसभा के बछरावा में बूथ संख्या 332 पर भाजपा प्रत्याशी के भाई द्वारा मतदाताओं को धमकाया जा रहा है. वहीं अमेठी के लिए भी सपा की ओर से भी बड़ा दावा किया गया। सपा कि ओर से दावा करते हुए कहा गया कि अमेठी लोकसभा के सलोन में एक बूथ पर पीठासीन अधिकारी द्वारा बार बार ईवीएम बंद किए जाने की सूचना, मतदान प्रभावित करने का हो रहा प्रयास. सपा ने कहा कि रायबरेली लोकसभा की ऊंचाहार विधानसभा में बूथ संख्या 47 पर ईवीएम खराब होने की सूचना है।

वहीं इन ख़बरों के आने से हड़कंप मच गया और सवाल उठने लगा कि क्या यही है निष्पक्ष चुनाव? ऐसे ही निष्पक्ष चुनाव के दावे चुनाव आयोग करता है? इतना ही नहीं ये EVM का मामला सामने आने के बाद एक बार फिर चुनाव आयोग और EVM सवालों के घेरे में आ गया। कि अगर चुनाव बैलेट पेपर से होते तो ऐसी शिकायतें न आती और न ही चुनाव आयोग पर ऊँगली उठती। लेकिन बातें ये भी सामने आईं कि अगर EVM न होती तो भाजपा दोबारा सत्ता में ना आती। सत्ता में बने रहने के लिए ही EVM मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। बता दें कि ये कोई ऐसा नहीं है कि EVM मशीन सिर्फ यहां ही खराब है बल्कि मशीन खराब होने की खबर मुंबई से भी मिली। दरअसल मुंबई में लोकसभा चुनावों की वोटिंग के बीच में डमी ईवीएम को लेकर विवाद सामने आया है। शिवसेना यूबीटी द्वारा एक पोलिंग बूथ के पास डमी ईवीएम रखने पर पुलिस ने तीन कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है, और पुलिस की कार्रवाई पर शिवसेना यूबीटी ने भेदभावपूर्ण बताते हुए कहा है कार्यकर्ताओं के रिहा किया जाए, नहीं तो पार्टी आंदोलन को मजबूर होगी। इसे लेकर शिवसेना (यूबीटी) नेता सुनील राउत का कहना है कि डमी ईवीएम को मतदान केंद्र से 100 मीटर से अधिक दूरी पर रखा गया था, क्योंकि जो लोग नहीं जानते कि वोट कैसे देना है। पुलिस ने हमारे तीन कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है। बीजेपी जानती है कि उनका उम्मीदवार यहां से हारने वाला है, लेकिन शिवसेना (यूबीटी) इस सब से नहीं डरेगी।

ये तो सिर्फ पांचवे चरण के मतदान में हुआ है, और ऐसे न जाने कितने चरणों के मतदान में हुआ है जब EVM मशीन को लेकर शिकायत आई हैं लेकिन सत्ताधारी दल की भक्ति में लीन चुनाव आयोग इसपर किसी भी तरह की कड़ी कार्यवाई से पीछे हट रहा है। हालांकि EVM में हो रही गड़बड़ी को लेकर सवालों के घेरे में अक्सर भाजपा और चुनाव आयोग आते रहे हैं लेकिन चुनाव आयोग ने कुछ खास ध्यान नहीं दिया। कि EVM में हो रही गड़बड़ी की आशंका को लेकर अक्सर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह सवाल उठाते रहे हैं। अभी कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका जताई थी. जिसको लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में उन्होंने राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के स्ट्रॉन्ग रूम से सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) के गायब होने का आरोप लगाया है. दिग्विजय सिंह आरोप लगाते हुए कहा कि राजगढ़ प्रशासन ने SLU को चुनाव आयोग को सौंप दिया है, जबकि इसे ट्रेजरी में स्टोर करना था. दिग्विजय सिंह ने कहा कि गुना में SLU को ट्रेजरी में स्टोर कर लिया गया है, लेकिन राजगढ़ में ऐसा नहीं हुआ. राजगढ़ क्षेत्र की SLU को चुनाव आयोग को सौंप दिया गया है. बता दें कि दिग्विजय सिंह ने यह आरोप SLU को लेकर जारी सर्कुलर के हवाले से लगाए हैं. बता दें कि बीते 1 मई को SLU को लेकर एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसके आधार पर दिग्विजय सिंह ने ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका जताई है. दिग्विजय सिंह के अनुसार सर्कुलर में निर्देश दिया गया है कि SLU को चुनाव याचिकाओं के मद्देनजर 45 दिनों तक स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रखा जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

वहीं कुछ दिनों पहले ही ईवीएम से छेड़छाड़ के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला चला। मशीन की विश्वसनीयता का सवाल एक बार फिर उठ खड़ा हुआ था। दरअसल केरल में ईवीएम से छेड़छाड़ और दूसरी पार्टियों के वोट बीजेपी को ट्रांसफर करने के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजा था। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कमीशन को ईवीएम संबंधी शिकायतों पर ध्यान देने का आदेश भी दिया। कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया गया कि वहां हर वोट बीजेपी को जा रहा है। इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना ने मौखिक आदेश में चुनाव आयोग से कहा कि वह इस मामले में जो रिपोर्ट आई है उसकी जांच करें। उन्होंने आगे कहा कि मैं पश्चिम बंगाल से ही आता हूं और यहां पर ही आबादी केवल 6 करोड़ लोगों की है। जस्टिस ने कहा कि हमने उस जमाने को भी देखा है जब बैलेट पेपर से चुनाव हुआ करते थे। पीठ ने यह भी साफ कर दिया कि अगर लोगों के द्वारा किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप ना किया जाए तो मशीन ठीक तरीके से काम करती है। ऐसे में सवाल से बनता है कि अगर EVM इतनी ही पाक है तो फिर उसपर सवाल क्यों उठते हैं। क्यो भाजपा सच में सिर्फ चुनाव जीतने के लिए चुनाव आयोग की मदद से EVM में खले करके चुनाव जीतती है। EVM से इस कदर की मोहब्बत भाजपा को इस कदर रास आती है कि भाजपा EVM को जाने नहीं देना चाहती। अब जिस तरह से EVM पर सवाल उठ रहे हैं इससे एक बात तो तय है कि भाजपा के लोग EVM को अपने हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि जैसे ही इस बार का चुनाव संपन्न होगा उसके बाद अगर सरकार बदली तो कहीं न कहीं इस EVM के खात्मे में इतनेजम भी इंडिया गठबंधन कर सकता है।

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