अदालत के फरमान से योगी सरकार को लगा बड़ा झटका : उत्तर प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के होंगे निकाय चुनाव
- हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का बड़ा फैसला
- सरकार को तुरंत नगर निकाय चुनाव कराने के दिये हैं आदेश
- योगी सरकार की ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को कर दिया खारिज
- जब तक ट्रिपल टेस्ट नहीं, तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं होगा
- अदालत ने सरकार के 2017 के ओबीसी रैपिड सर्वे को नहीं माना
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी निकाय चुनावों को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला मंगलवार को आ गया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार को झटका देते हुए निकाय चुनावों के लिए जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही राज्य सरकार को बगैर पिछड़ा वर्ग आरक्षण निकाय चुनाव कराने के आदेश दिए हैं। फैसले के बाद ओबीसी के लिए आरक्षित अब सभी सीटें जनरल मानी जाएंगी। अदालत का कहना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित ट्रिपल टेस्ट ना हो, तब तक आरक्षण नहीं माना जाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को 70 पेजों का फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में 2017 के ओबीसी रैपिड सर्वे को नकार दिया है। यह निर्णय न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर दाखिल 93 याचिकाओं पर एक साथ पारित किया। यूपी सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार की तरफ से निकाय चुनाव में किए गए ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है। ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें अब जनरल मानी जाएंगी। अदालत ने निकाय चुनाव तत्काल कराने के भी निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं।
पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए बनाया जाए आयोग अदालत का कहना है कि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए एक आयोग बनाया जाए। यूपी सरकार के जवाब से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं था। अदालत में पिछली सुनवाई 24 दिसंबर को हुई थी। सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने बताया था कि यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में अपने एक्शन को डिफेंड किया कि जो हमने नोटिफिकेशन जारी किया है वो बिल्कुल सही तरीके से जारी किया है। लेकिन कोर्ट उनसे बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं थी। कोर्ट का कहना था कि आपने जो ये एक्सरसाइज की है उसका कोई डाटा नहीं है। बिना डाटा के ये एक्सरसाइज पूरी कैसे कर ली है। कोर्ट उनसे डाटा मांग रही थी लेकिन सरकार ने कोर्ट के समक्ष कोई डाटा प्रस्तुत नहीं किया है।
ट्रिपल टेस्ट में पिछड़ेपन की प्रकृति का होता है आकलन
नगर निकाय चुनावों में ओबीसी का आरक्षण निर्धारित करने से पहले एक आयोग का गठन किया जाएगा, जो निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति का आकलन करेगा। इसके बाद पिछड़ों के लिए सीटों के आरक्षण को प्रस्तावित करेगा। दूसरे चरण में स्थानीय निकायों द्वारा ओबीसी की संख्या का परीक्षण कराया जाएगा और तीसरे चरण में शासन के स्तर पर सत्यापन कराया जाएगा।
रैपिड सर्वे में जिला प्रशासन की देखरेख में होती है गणना
रैपिड सर्वे में जिला प्रशासन की देखरेख में नगर निकायों द्वारा वार्डवार पिछड़ा वर्ग की गिनती कराई जाती है। इसके आधार पर ही ओबीसी की सीटों का निर्धारण करते हुए इनके लिए आरक्षण का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाता है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश का भाजपा पर बड़ा आरोप : भारत जोड़ो यात्रा को बदनाम करना चाहती है मोदी सरकार
हर रोज नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भाजपा पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार भारत जोड़ो यात्रा की निगरानी के लिए खुफिया एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। मीडिया से बातचीत में कहा है कि केंद्र सरकार भारत जोड़ो यात्रा को बदनाम करने के लिए हर रोज नए-नए हथकंडे अपना रही है।
कहा कि यात्रा में बच्चों का इस्तेमाल करने पर चुनाव आयोग और केंद्रीय बाल अधिकार आयोग ने कांग्रेस को नोटिस जारी किया। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने गुजरात विधानसभा चुनाव अभियान में एक छोटी बच्ची का इस्तेमाल किया। जबकि हमने चुनाव आयोग और बाल अधिकार आयोग को सूचित किया, मगर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कहा कि कुछ दिन पहले जब यात्रा हरियाणा में थी, तब सरकारी अधिकारी लोगों के आराम करने के लिए कंटेनर में मिले थे उससे पूछा गया तो बताया गया कि वह शौचालय का उपयोग करने आया था। हमें जानकारी मिली है कि ये अधिकारी हरियाणा सरकार के खुफिया विभाग के हैं। जयराम रमेश ने कहा कि चूंकि डबल इंजन की सरकार थी, इसलिए यह सत्यापन ऊपर से आदेश के बाद ही हुआ होगा। इस संबंध में सोहना थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी। लेकिन, हमारी यात्रा पूरी तरह पारदर्शी है। हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है।