MVA का BJP पर गंभीर आरोप, अधर्म के रास्ते पर चल रहा महायुति गठबंधन
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार का दौर थम चुका है... इस चुनाव के लिए प्रचार के दौरान चुनाव क्षेत्र से लेकर सोशल मीडिया पर घमासान दिखा है...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार का दौर थम चुका है…. इस चुनाव के लिए प्रचार के दौरान चुनाव क्षेत्र से लेकर सोशल मीडिया पर घमासान दिखा है…. इस बीच राजनीतिक पार्टियों के सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार को लेकर पाँच सामाजिक संगठनों ने एक साथ आकर एक रिपोर्ट जारी की है…. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दो हजार चौबीस के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में फेसबुक चलाने वाली मेटा कंपनी के विज्ञापनों में महायुति गठबंधन (बीजेपी, शिवसेना शिंदे गुट, एनसीपी अजित पवार गुट) को तरजीह दी जा रही है… इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ‘मेटा’ ने इस कैंपेन के लिए अपने नियमों में भी बदलाव किया है…. और बीजेपी को क़ानून तोड़ने की आज़ादी दी है…. वहीं, महाविकास अघाड़ी ने आरोप लगाया है कि “भाजपा और महायुति गठबंधन अधर्म के रास्ते पर चल रहे हैं… और शैडो पृष्ठों के माध्यम से हमारे उम्मीदवारों को बदनाम करने वाला प्रचार किया जा रहा है…. यह भाजपा के ध्रुवीकरण के एजेंडे से संबंधित है….
बता दें कि यह रिपोर्ट सामाजिक संगठनों ‘दलित सॉलिडेरिटी फोरम’, ‘ईकेओ’, ‘हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स’, ‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल’ और ‘इंडिया सिविल वॉच इंटरनेशनल’ द्वारा जारी की गई थी…. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान में ‘मेटा’ कंपनी के फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है…. वहीं इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मेटा अपने नियमों में इस तरह से बदलाव कर रहा है कि वह बीजेपी गठबंधन को बढ़ावा देने वाला है…. वहीं यह रिपोर्ट ‘ईकेओ’ संस्था की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है…. इस रिपोर्ट का प्रमुख निष्कर्ष यह है कि इस चुनाव में सोशल मीडिया पर प्रचार के दौरान चुनाव आयोग के क़ानूनों को तोड़ने की छूट ‘मेटा’ द्वारा दी जा रही है…. राजनीतिक प्रचार पर मेटा कंपनी द्वारा जारी ‘पारदर्शिता रिपोर्ट’ के अनुसार, भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने अकेले मेटा के विभिन्न प्लेटफार्मों पर अब तक कम से कम चार दशमलव दो करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं…. दूसरी ओर, कांग्रेस के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी ने अब तक एक दशमलव तीन सात करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं….
वहीं इस रिपोर्ट से पता चला है कि इन सबमें ‘शैडो विज्ञापन’ की हिस्सेदारी सबसे बड़ी है…. रिपोर्ट के मुताबिक, मेटा ने सभी प्लेटफार्मों पर महायुति और बीजेपी के शैडो विज्ञापनों को बूस्ट किया है…. यहां बूस्ट का मतलब है फेसबुक जैसे माध्यम पर किसी विज्ञापन को अधिक लोगों तक पहुंचाना…. ‘शैडो पेज’ ऐसे पेज हैं जो राजनीतिक प्रचार को बढ़ावा देते हैं…. हालांकि ये राजनीतिक दलों के आधिकारिक पेज नहीं हैं….. जैसे कि चुनावों से पहले अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को बढ़ावा देने के लिए ‘दादाचा वडा’ नामक एक पेज शुरू हुआ….. इसी तरह फेसबुक पर ‘महाराष्ट्र अकाउंट’, ‘माझी लड़की बहिन’, ‘महाबीघाड़ी’, ‘कसाई ना शेठ’, ‘एकनाथ ब्रिगेड’, ‘हिंदुत्ववादी बाना’, ‘एकनाथ को वापस लाओ’ आदि नाम से कई शैडो पेज राजनीतिक प्रचार कर रहे हैं….. बता दें कि ये पेज सीधे तौर पर राजनीतिक दलों के आधिकारिक पेज नहीं हैं…. इसलिए इन पर प्रसारित सामग्री के लिए राजनीतिक दलों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है….
आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में किए गए दावों के मुताबिक, एक तरफ जहां बीजेपी का आधिकारिक पेज ‘बीजेपी महाराष्ट्र’ सरकारी योजनाओं, नीतियों और वादों के बारे में घोषणाएं कर रहा है….. दूसरी ओर, इन ‘शैडो पेज’ के माध्यम से धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रचार किया जा रहा है…. वहीं इन पन्नों पर जातिवादी और मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बहुत ज़्यादा कंटेंट प्रकाशित हुआ है….. रिपोर्ट में कहा गया है कि मेटा कंपनी आधिकारिक पेज की तुलना में बीजेपी के विभिन्न शैडो पेजों को अधिक ‘बढ़ावा’ देने में मदद कर रही है…. रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी के शैडो पेज ‘लेखा-जोखा महाराष्ट्रचा’ अपने कैंपेन पर अगर एक रुपया ख़र्च कर रहा है…. तो उसकी पहुंच बीजेपी के आधिकारिक पेज पर एक रुपये ख़र्च करके हासिल पहुंच से दस गुना अधिक है…. यह अंतर बीजेपी और उनकी सहयोगी पार्टियों में भी दिखता है…. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी के शैडो पेज को प्रति रुपये ख़र्च पर इक्यानबे इंप्रेशन मिलते हैं….. जबकि शिव सेना (एकनाथ शिंदे) के शैडो पेज को सत्तावन और एनसीपी (अजित पवार) के शैडो पेज को केवल अट्ठाइस इंप्रेशन मिलते हैं….. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें भी मेटा कंपनी बीजेपी को ज़्यादा फ़ायदा दे रही है….
एक ओर, मेटा का दावा है कि राजनीतिक प्रचार पर हमारी नीतियां बहुत सख्त हैं….. दूसरी ओर इस रिपोर्ट का कहना है कि इन शैडो पृष्ठों के डिस्क्लेमर में प्रदान की गई सत्यापन जानकारी या तो बेकार है या अस्तित्वहीन है…. महायुति की ओर से अब तक अनाधिकृत शैडो पृष्ठों पर तीन दशमलव तीन दो करोड़ रुपये ख़र्च किए गए हैं….. और महाविकास अघाड़ी के अनाधिकृत शैडो पृष्ठों के विज्ञापन पर इक्यावन लाख रुपये ख़र्च किए गए हैं….. रिपोर्ट के मुताबिक महाविकास अघाड़ी की तुलना में महायुति ने सात गुना राशि ख़र्च की है…. ‘मेटा’ न केवल महायुति को शैडो पृष्ठों को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है…. बल्कि सरकारी विज्ञापन करते समय आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन में भी मदद कर रहा है…. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार ने इस दौरान राजनीतिक विज्ञापनों पर दो दशमलव दो चार करोड़ रुपये अतिरिक्त ख़र्च किए हैं… इस रिपोर्ट के मुताबिक, महायुति ने विज्ञापनों पर कुल 9.69 करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं…. जबकि महाविकास अघाड़ी ने एक दशमलव आठ सात करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं….
जानकारी के मुताबिक न केवल पार्टी के आधिकारिक पेज और शैडो पेज…. बल्कि व्यक्तिगत उम्मीदवारों के सोशल मीडिया भी चुनाव क़ानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं….. प्रत्येक उम्मीदवार चुनाव अवधि के दौरान प्रचार के लिए चालीस लाख रुपये तक ख़र्च कर सकता है…. हालांकि, अजित पवार के आधिकारिक पेज ने इस सीमा को पार नहीं किया है…. लेकिन इसके साथ ही शैडो पेज ‘दादाचा वड़ा’ से बारह दशमलव पांच लाख का विज्ञापन भी किया गया है…. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, चुनाव अवधि के दौरान प्रचार के लिए सभी प्रकार के विज्ञापनों को चुनाव आयोग द्वारा पूर्व-प्रमाणित किया जाना चाहिए…. हालांकि, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन पेजों द्वारा इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है…. जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं…. वहीं इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह बताने के बावजूद कि ये शैडो पेज भारतीय चुनावों के कानूनों के साथ-साथ ‘मेटा’ की नीतियों का उल्लंघन करके ‘शैडो राजनीतिक विज्ञापन’ कर रहे हैं…. मेटा द्वारा इन पेजों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है….
वहीं महाराष्ट्र राज्य भाजपा के सह-मुख्य प्रवक्ता अजीत चव्हाण ने इस रिपोर्ट को जारी करने वाले सामाजिक संगठनों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है…. और उन्होंने कहा कि जिन भी नागरिक समाज संगठनों ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की है…. वे महाविकास अघाड़ी से निकटता से जुड़े हुए हैं…. ये संगठन बिल्कुल भी विश्वसनीय नहीं हैं…. और वे सीधे तौर पर भाजपा विरोधी विचारों वाले संगठन हैं…. इसलिए, बुनियादी सवाल यह है कि रिपोर्ट पर कितना भरोसा किया जाए…. महाविकास अघाड़ी के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वे शैडो पन्ने की बात कर रहे हैं…. लेकिन जाति, धर्म के नाम पर चलने वाले ये शैडो सामाजिक और मानवाधिकार संगठन या संगठन ही महाविकास अघाड़ी की पूंजी हैं…. इस तरीक़े से महाविकास अघाड़ी अपना प्रचार कर रही है…. उन पर पैसा कौन ख़र्च कर रहा है…. यह अहम मुद्दा है…..
वहीं इस रिपोर्ट में मेटा कंपनी पर कुछ बुनियादी आरोप लगाए गए हैं…. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मेटा विशेष रूप से, भाजपा को अपनी ही नीतियों…. और चुनाव आयोग के नियमों के उल्लंघन की छूट दे रही है…. इस संबंध में मेटा के आधिकारिक प्रवक्ता ने अपना पक्ष रखा है…. हालांकि, उन्होंने बीजेपी को ज़्यादा रियायतें या छूट देने के दावे पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है…. मेटा ने कहा कि हम उन विज्ञापनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हैं…. जो हमारे नियमों का उल्लंघन करते हैं…. हमने पहले भी इस तरह से कार्रवाई की है…. और आगे भी करते रहेंगे…. अगर कोई लगातार इस तरह से नियमों का उल्लंघन करता है….. तो उन्हें दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है….. और उन्होंने कहा कि जो कोई भी चुनावी राजनीतिक प्रचार के लिए हमारे प्लेटफॉर्म का उपयोग करना चाहता है…. उसे पहले हमारी अनुमति लेनी होगी…. विज्ञापन दाताओं को भी राजनीतिक प्रचार पर लागू सभी क़ानूनों का पालन करना होगा. हमने हमारी नीतियों का उल्लंघन करने वाले विज्ञापनों को हटा दिया है….