सरकार बनाते ही फंस गए नीतीश कुमार, कितने दिन रहेगी सरकार खड़ा हो गया सवाल

नीतीश कुमार की 10 वीं शपथ में जो सीन सामने आया है वो न सिर्फ चौंका देने वाला बल्कि कहीं न कहीं यशवंत सिन्हा के सवालों की पूरी तरह से तो नहीं लेकिन हल्की सी झलक जरुर दिखाई दे रही है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों बिहार में नीतीश कुमार के सीएम की शपथ लेते ही एक बार फिर से बड़ा सवाल खड़ा हो गया है और ये सवाल इतना गंभीर है कि हर देखने वाला हैरान परेशान है। आपको बता दें कि दो दिन पहले बीजेपी के पूर्व मंत्री यश्वंत सिन्हा की ओर उठाया गया था कि नीतीश सरकार बहुत दिन की नहीं हैै।

और अब नीतीश कुमार की 10 वीं शपथ में जो सीन सामने आया है वो न सिर्फ चौंका देने वाला बल्कि कहीं न कहीं यशवंत सिन्हा के सवालों की पूरी तरह से तो नहीं लेकिन हल्की सी झलक जरुर दिखाई दे रही है। कैसे यशवंत सिन्हा के दावे नीतीश सरकार को लेकर सही होते दिख रहे हैं और कैसे नीतीश कुमार की सरकार पर शपथ के साथ ही सवाल उठने खड़े हो गए हैं। और कौन सी ऐसी वजह है कि नीतीश कुमार को सीएम की शपथ लेने से पहले पटना के एक होटल में ठहरे अमितशाह के पास जाकर हाजिरी लगानी पड़ी है। ये सबकुछ हम आपको आगे इस आठ मिनट की रिपोर्ट में बताने वाले हैं।

दोस्तों बिहार में आखिरकार नीतीश कुमार एक बार फिर से खुद को साबित करते हुए 10 वीं बार सीएम पद की शपथ ली है लेकिन शपथ में जो कुछ हुआ है वो कहीं न कहीं सवालों के घेरे में है और सबसे बड़ी बात यह है कि नीतीश कुमार जैसे बड़े पॉलिटिशियन ऐसा काम कैसे ये कर सकते हैं, ये समझ पाना मुश्किल है, सवाल ये खड़ा हो रहा है कि अभी तक ये समझा जा रहा था कि नीतीश कुमार ने गुजरात लॉबी को जोर का झटका दिया है लेकिन शायद पहले दिन की जो सीन है उसमें तो ये दिख रहा है कि कहीं नीतीश कुमार खुद तो नहीं झटका खा गए है।

क्योंकि जो व्यक्ति 10 बार सीएम की शपथ ले चुका हो, दो से तीन बार केंद्रीय मंत्री की शपथ ले चुका हो और कई बार मंत्री की शपथ ले चुका हो, वो कैसे शपथ के प्रति इतना हल्क रवैया अपना सकता है। चर्चा तो यहां तक है कि अगर कोई दूसरा राज्यपाल होता तो शायद फिर से शपथ लेनी पड़ती लेकिन क्योंकि सारे खेल ही एनडीए का है इसलिए सबकुछ चल गया है। आप खुद देखिए और अंदाजा लगाइए कि कम से कम 15 से 20 बार सीएम, केंद्रीय मंत्री और मंत्री की शपथ लेने वाला व्यक्ति इस तरह की शपथ लेता है।

देखा अपने कि शपथ में जिस तरीके की छोटी- मोटी गलतियां नीतीश कुमार कर रहे हैं और सही से लिखा हुआ पढ़ नहीं पा रहे हैं, तो वो सरकार कैसे चलाएंगे। और यही सवाल न सिर्फ जनता के मन में खड़ा हो गया है कि बल्कि इस पर कमेंट भी आने शुरु हो गए हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि नीतीश कुमार सिर्फ दिखाने वाले सीएम हो और कामकाज अंदर कोई और करें। आप एक और वीडियो देखिए, ये राष्ट्रगान का है और राष्ट्रगान खत्म होने से पहले ही कैसे नीतीश कुमार हाथ जोड़कर खड़े हो गए हैं। ….

ऐसे में साफ है कि दोनों शपथ के वीडियो न सिर्फ नीतीश कुमार पर संशय पैदा कर रहे है बल्कि एक और भी भयंकर खेला हुआ। पहले तो तय हो रहा था कि जदयू और बीजेपी के बराबर मंत्री होंगे। इसमें जदयू के 14 ओर बीजेपी के 16 हो सकते हैं लेकिन जो तस्वीर शपथ ग्रहण में सामने आई है वो बहुत ही चौंका देने वाली है। नीतीश कुमार के सिर्फ और सिर्फ 8 मंत्रियों ने शपथ ली है जबकि बीजेपी के 14 मंत्रियों ने शपथ ली है , दो चिराग पासवान की पार्टी के और एक-एक हम और आरएमएल के मंत्रियों ने शपथ ली है और चर्चा ये भी है कि विधान सभा अध्यक्ष का पद भी बीजेपी के खाते में गया है।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि दो डिप्टी सीएम, 12 मंत्री और आखिर में अगर विधान सभा अध्यक्ष का पद भी बीजेपी के खाते में चला गया है तो नीतीश कुमार के पास बचा क्या है और ऐसे में कहीं न कहंी ये बात साफ हो रही है कि नीतीश कुमार को कहा जा रहा था कि 2005 वाले रोल में है वो सरासर गलत होता दिख रहा है और पूरी तस्वीर ठीक इसके उलट दिखाई देेने लगी है। क्योंकि जब सुबह नीतीश कुमार गांधी मैदान शपथ लेने पहुचंे तो पटना के एक होटल में रुके अमित शाह के मिलकर शपथ लेने पहुंचे थे। खबर है कि यहां बंद कमरे में काफी देर तक बातचीत हुई।
मतलब खबर की हेडलाइन से ही साफ है कि अमितशाह से अचानक होटल मौर्य नीतीश कुमार गए थे और उनसे मुलाकात के बाद ही वो गांधी मैदान गए। कहा जा राह है कि कुछ देर बंद कमरे में दोनों नेताओं के बीच बात हुई। उसके बाद नीतीश कुमार निकल गए और गांधी मैदान पहुंच गए। अब चर्चा जोरों पर है कि अतिंम समय में नीतीश कुमार अमित शाह से मिलने होटल क्यों गए। बंद कमरे में दोनों नेताओं के बीच किस मुद्दे पर क्या बात हुई। कुछ मीडिया रिपोट्स ने सूत्र के हवाले से यह भी बताया है कि और इसी बातचीत में बीजेपी के स्पीकर प्रेम कुमार का नाम तय हुआ है, हालांकि तस्वीर का रुख अभी बिल्कुल साफ नहीं है।

आपको बता दें कि कई दिनों से स्पीकर को लेकर बीजेपी और जदयू में तगड़ी तकरार चल रही थी और इसी के लिए रात में ही अमित शाह पटना पहुंचे थे। पहले उन्होंने रात में अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की और ज्यादातर मंत्रियों के विभाग फाइनल किए, फिर उसके बाद सुबह नीतीश कुमार से स्पीकर के पद को लेकर चर्चा की है। ऐसे में साफ है कि शपथ से लेकर राष्ट्रगान और शपथ से पहले अमित शाह के पास हाजिरी से कहीं न कहीं ये सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर नीतीश कुमार नीतीश कुमार की सरकार कितने दिन की है। क्या नीतीश कुमार के उपर कोई बड़ा प्रेशर है या सच में जो पहले चर्चाएं चल रही थी कि वो पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं और जहां तक सवाल उनके स्वास्थ्य को लेकर है तो बीजेपी और जदयू ने क्यों उनको सीएम बनाया है।

हालांकि आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने भले से ही सीएम का पद संभाल लिया है और एक ओर जहां उनपर शपथ के साथ ही सवालों को दौर शुरु हो गया है तो वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार जनता के दो करोड़ रोजगार, प्लायन रोकने और 125 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा अपने घोषणा पत्र में किया है लेकिन सरकार के पास पैसे नहीं है, खजाना खाली है और इसके लिए केंद्र से विशेष पैकेज ही बिहार का भला करा सकता है। आपको बता दें कि ये नीतीश सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी और पहले दिन से विपक्ष नीतीश कुमार को उनके वादे याद दिलाने लगा है। ऐसे में नीतीश शपथ के साथ ही चौतरफा सवालों के घेरे में हैं और कहीं न कहीं नीतीश कुमार पर पहले ही दिन सवाल खडा हुआ है कि आखिर नीतीश सरकार कितने दिन की सरकार है क्योंकि शपथ से लेकर होटल तक जो रवैया नीतीश कुमार का है वो बेहद चौंकाने वाला और उम्मीदों के विपरीत है।

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