सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव!

  • जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए समूचा विपक्ष एक साथ
  • सांसदों का आरोप ऐसा पक्षपाती सभापति नहीं देखा आजतक

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बीते दो दिनों से सभापति जगदीप धनखड़ व्यवहार अचंभित करने वाला था। वह प्यार से बात कर रहे थे और राज्यसभा सांसदों को अपने साथ चाय पर भी आमंत्रित कर रहे थे। शायद उन्हें आभास हो गया था या यूं कहें कि राजनीतिक मुखबिरों ने खबर उन तक पहुंचा दी थी कि विपक्ष आप को हटाने की तैयारी कर रहा है। हुआ वहीं सुबह एक न्यूज एजेंसी के जरिये खबर आम हो गयी कि विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी पूरी कर चुका है। 70 विपक्षी सांसदों ने प्रस्ताव पर दस्तखत कर दिये हैं। जिनमें समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी शामिल है।

आखिर क्यों पहुंची यहां तक बात

दरअसल, पूर्व में राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सपा सांसद जया बच्चन ने सभापति जगदीप धनखड़ की टोन पर आपत्ति जताई थी। धनखड़ ने सपा सांसद को जया अमिताभ बच्चन कहकर संबोधित किया था। इस पर जया ने कहा था- मैं कलाकार हूं। बॉडी लैंग्वेज समझती हूं। एक्सप्रेशन समझती हूं। मुझे माफ कीजिए, लेकिन आपके बोलने का टोन स्वीकार नहीं है। जया की इस बात से धनखड़ नाराज हो गए। उन्होंने कहा था आप मेरी टोन पर सवाल उठा रही हैं। इसे बर्दाश्त नहीं करूंगा। आप सेलिब्रिटी हों या कोई और, आपको डेकोरम बनाना होगा। आप सीनियर मेंबर होकर चेयर को नीचा दिखा रही हैं। बहस के बाद धनखड़ ने राज्यसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी थी।

यहीं से बिगड़ी बात

बस इस बात के बाद सभापति और विपक्षी सदस्यों में एक गहरी लकीर खिच गयी और विपक्षी सांसद अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी में लग गये। अविश्वास प्रस्ताव उसी समय तैयार कर लिया गया था और लगभग 87 सदस्यों ने उस पर हास्ताक्षर भी कर दिये थे। लेकिन दूसरे दलों के सांसद नहीं तैयार हुए थे। हाल की घटनाओं के बाद दूसरे दलों के सदस्य भी अविश्वास प्रस्ताव पर सिग्नेचर करने के लिए तैयार हो गये।

आज सुबह की चाय पर चर्चा

दरअस्ल राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद भवन स्थित अपने कक्ष में तमाम विपक्षी नेताओं को बुलाया और चाय पर चर्चा की। उन्होंने सोमवार की शाम को भी विपक्षी सासंदों के साथ बात की थी। वह चाहते हैं कि सदन चले और इसके लिए विपक्षी सांसदों की क्या मांग है उसपर गतिरोध खत्म हो। सभापति ने गतिरोध समाप्त करने के लिए आगे और चर्चा करने का निर्णय लिया है।

लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा है प्रस्ताव

अविश्वास प्रस्ताव, लोकतंत्र में विपक्षी दलों का एक महत्वपूर्ण हथियार होता है, जिससे वे सरकार या संसद के प्रमुख पदों पर आसीन व्यक्तियों की कार्यशैली पर सवाल उठा सकते हैं। सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यह प्रक्रिया विपक्ष को अपनी चिंताओं और असंतोष को व्यक्त करने का अवसर देती है। हालांकि, इसका उपयोग बिना उचित कारण के नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे संसद की कार्यवाही पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सभापति का कर्तव्य होता है कि वे पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता से अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं, ताकि संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके।

क्या है तकनीकी पहलू

उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में बहुमत से प्रस्ताव पारित कराना होगा। प्रस्ताव लाने से 14 दिन पहले नोटिस भी देना होगा। इसके बाद लोकसभा में भी प्रस्ताव पारित कराना जरूरी होगा, क्योंकि राज्यसभा का सभापति उपराष्ट्रपति की पदेन भूमिका होती है। लोकसभा में एनडीए के 293 और इंडिया गठबधंन के 236 सदस्य हैं। बहुमत 272 पर है। विपक्ष अन्य 14 सदस्यों को साधे तो भी प्रस्ताव पारित होना मुश्किल लग रहा है। जब प्रस्ताव पेश होगा और चर्चा होगी, तब सामान्य न्याय सिद्धांत के मुताबिक सभापति राज्यसभा पीठ पर नहीं बैठेंगे।

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