भूमि अधिग्रहण प्रकरण में राज्य सरकार को नोटिस

  • बिना कार्यपरिषद की सहमति राज्य सरकार नहीं ले सकती विवि की जमीन

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के भूमि अधिग्रहण प्रकरण में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने याचिकाकर्ता की इस दलील कि बगैर कार्यपरिषद की सहमति के सरकार विश्वविद्यालय के जमीन का अधिग्रहण नहीं कर सकती है, पर सहमति व्यक्त किया है। मालूम हो कि अयोध्या में बन रहे श्रीराम अंतरराष्टï्रीय एयरपोर्ट के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने डॉ राममनोहर लोहिया अवध विवि की लगभग 25 एकड़ जमीन व लगभग 50 करोड़ के भवन बिना एक धेला किए हुए ले लिया है। विवि स्वायत्तशासी संस्था है और कार्यपरिषद इसकी सर्वोच्च निर्णायक समिति। उत्तर प्रदेश राज्य विवि अधिनियम 1973 के अनुसार कार्य परिषद का निर्णय ही अंतिम होता है। यहां तक कि कुलाधिपति/ राज्यपाल भी कोई निर्णय लेते हैं तो उसके अनुपालन के लिए कार्य परिषद को इंगित किया जाता है। भूमि अधिग्रहण के प्रकरण में विवि की कार्यपरिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार को भूमि देने से मना कर दिया था। उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने कैबिनेट में एक प्रस्ताव पास कर बिना मुआवजा दिए जमीन और भवनों का अधिग्रहण कर लिया है। राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ अवध विवि पुरातन छात्र सभा के अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल कर भूमि के बदले भूमि व भवनों के मुआवजे की मांग की है।

आप के मुख्यमंत्री उम्मीदवार रहे कोठियाल बीजेपी में शामिल

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रहे अजय कोठियाल ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। अजय कोठियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की उपस्थिति में देहरादून में बीजेपी की सदस्यता ली। उल्लेखनीय है कि कुछ ही दिनों पहले अजय कोठियाल ने आम आदमी पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और उन्होंने अपना इस्तीफा सीधे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेजा था। इस संबंध में उन्होंने खुद ट्वीट कर जानकारी दी थी। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि पूर्व सैनिकों, पूर्व अर्ध सैनिकों, बुजुर्गों और बुद्धजीवियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए मैं पार्टी छोड़ रहा हूं। अजय कोठियाल के आप की सदस्यता से इस्तीफा देने के साथ ही आम आदमी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रहे भूपेश उपाध्याय ने भी पार्टी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। बताया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी की नीतियों से खफा होकर भूपेश उपाध्याय ने ये कदम उठाया था।

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