लखनऊ में स्थापित होगी एनसीडीसी की शाखा

  •  डिप्टी सीएम की मौजूदगी में एमओयू हुआ साइन
  •  100 एकड़ की भूमि पर बांदा में बनेगी पहली बीएसएल4 लैब

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में एनसीडीसी यानी नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की शाखा स्थापित होने जा रही है। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की मौजूदगी में केंद्र और राज्य के अधिकारियों ने लैंड ट्रांसफर की लीज डीड और एमओयू पर हस्ताक्षर किए। एनेक्सी में हुए कार्यक्रम में डिप्टी सीएम ने कहां कि एनसीडीसी की शाखा स्थापित किए जाने का मकसद प्रदेश में वेक्टर जनित और संचारी रोगों के अलावा गैर संचारी रोगों के प्रकोप की जांच और उसकी निगरानी प्रणाली को मजबूती देना है। इस सेंटर पर इन रोगों से जुड़ा मूल्यांकन और सर्वेक्षण का काम भी किया जाएगा है। इस दौरान बांदा में 100 एकड़ की भूमि पर बीएसएल4 लैब बनाने की जानकारी भी डिप्टी सीएम ने दी। डिप्टी सीएम ने बताया कि यह सेंटर प्रदेश में स्थापित होने से किसी भी प्रकार की आपदा के लिए तैयारी में भी बहुत फायदा मिलेगा। साथ ही आपदा के रोकथाम और नियंत्रण उपायों के लिए चिकित्सा अधिकारियों और पैरामेडिकल स्टॉफ के क्षमता निर्माण की दिशा में भी यह सहायक होगा। एनसीडीसी अन्य संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों के सहयोग के साथ चिकित्सा अधिकारियों और पैरामेडिकल स्टॉफ के लिए शार्ट टर्म कोर्स और अन्य राज्यों के चिकित्सा अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए 2 साल के इआईएस पाठ्यक्रम की शुरुआत करना भी इस शाखा की स्थापना के उद्देश्यों में है। अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि एनसीडीसी द्वारा देश की एकमात्र बीएसएल4 प्रयोगशाला की स्थापना भी बांदा में की जाएगी। इसके लिए शिमोमी धाम ट्रस्ट, बांदा द्वारा 100 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई जा रही है।

झांसी स्टेशन का नाम फिर बदलेगा

लखनऊ। झांसी के रेलवे स्टेशन के नाम में एक बार फिर से बदलाव होगा। स्टेशन को नया नाम ‘रानी लक्ष्मीबाई झांसीÓ दिया जाएगा। इसे लेकर रेल मंत्रालय स्तर पर कार्यवाही शुरू कर दी गई है। झांसी में रेलवे स्टेशन की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल में 1889 में की गई थी। तब से इस स्टेशन को झांसी के नाम से ही जाना जाता था, लेकिन 132 साल बाद 28 दिसंबर 2021 को इसका नाम बदलकर ‘वीरांगना लक्ष्मीबाईÓ कर दिया गया था। इस बदलाव पर झांसी वासियों ने आपत्ति जताई थी। उन्हें स्टेशन के नाम में वीरांगना लक्ष्मीबाई तो स्वीकार था, परंतु झांसी जुड़ा न होने पर आपत्ति थी। अब स्टेशन को रानी लक्ष्मीबाई झांसी नाम दिया जा रहा है।

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