अब ‘फांसी घर’ में पहुंचेगा अतीक अहमद का बेटा अली, हाई सिक्योरिटी बैरक में शिफ्ट करने का फैसला

कभी अपराधियों के अंतिम दिन का ठिकाना रहा नैनी सेंट्रल जेल का हाई-सिक्योरिटी सेल, जिसे आम भाषा में ‘फांसी घर’ कहा जाता है, अब फिर से सुर्खियों में है। माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद को इसी कड़ी सुरक्षा वाली बैरक में शिफ्ट किया जा रहा है।
क्या है ‘फांसी घर’ का इतिहास?
इस विशेष बैरक का इतिहास काफी पुराना है। यह वही जगह है जहाँ अब तक कुल 14 अपराधियों को फांसी दी जा चुकी है। फांसी से पहले दोषियों को एक दिन यहीं रखा जाता था। लेकिन देश में फांसी पर लगी रोक और कड़े मानवाधिकार कानूनों के चलते अब इस बैरक का नियमित उपयोग नहीं होता। बावजूद इसके, इस बैरक को आज भी खास और संवेदनशील बंदियों को रखने के लिए सुरक्षित स्थान माना जाता है।
क्यों किया गया अली अहमद को यहां स्थानांतरित?
अतीक अहमद का बेटा अली अहमद, जो 30 जुलाई 2022 से नैनी जेल में बंद है, अब इस हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा जाएगा। यह कदम जेल प्रशासन द्वारा एक विशेष सर्च ऑपरेशन के बाद उठाया गया है, जिसमें अली के पास से बैरक में 1100 रुपये नकद बरामद किए गए थे। जेल नियमों के उल्लंघन को गंभीर मानते हुए प्रशासन ने यह निर्णय लिया।
उमेश पाल हत्याकांड के बाद बढ़ी निगरानी
उमेश पाल हत्याकांड के बाद से अली अहमद की जेल में गतिविधियों पर विशेष नजर रखी जा रही है। प्रशासन ने उसकी आम लोगों से मुलाकात पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। अब उससे केवल उसके अधिवक्ता (वकील) ही जेल में मिल सकते हैं।
नैनी जेल की विशेष निगरानी में रहेगा अली
हाई सिक्योरिटी बैरक, जहाँ पहले केवल फांसी की सजा पाए कैदियों को रखा जाता था, अब अली अहमद जैसे प्रमुख माफिया परिवार के सदस्य के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। यह बैरक हर घंटे निगरानी में रहता है और यहां कैदियों की आवाजाही पर पूरी तरह से नियंत्रण होता है।

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