प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड: दोषी संतोष कुमार सिंह की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला, SRB व्यवस्था में सुधार के दिए निर्देश

जस्टिस नरूला ने कहा कि इस फैसले के माध्यम से दिल्ली जेलों की सजा समीक्षा बोर्ड (SRB) के लिए कुछ आवश्यक दिशानिर्देश भी निर्धारित किए गए हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः संतोष कुमार सिंह, जो 1996 के प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड में दोषी करार दिए गए थे, ने 2023 में समयपूर्व रिहाई की याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर जस्टिस संजीव नरूला की अदालत ने 14 मई 2025 को सुनवाई पूरी की थी और फिर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। अब हाईकोर्ट ने इस पर अहम फैसला सुनाते हुए सजा समीक्षा बोर्ड (SRB) द्वारा याचिका खारिज करने के निर्णय को रद्द कर दिया है।

कोर्ट की टिप्पणी और दिशा-निर्देश:
जस्टिस नरूला ने कहा कि इस फैसले के माध्यम से दिल्ली जेलों की सजा समीक्षा बोर्ड (SRB) के लिए कुछ आवश्यक दिशानिर्देश भी निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि मौजूदा SRB व्यवस्था में किसी योग्य मेडिकल विशेषज्ञ द्वारा दोषी का औपचारिक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इस वजह से बोर्ड के लिए यह सटीक रूप से आंकलन करना कठिन हो जाता है कि क्या दोषी में फिर से अपराध करने की प्रवृत्ति समाप्त हो चुकी है या नहीं।

नया निर्देश:
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि भविष्य में SRB द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों से पहले, दोषियों का साइकोलॉजिकल मूल्यांकन अनिवार्य रूप से कराया जाए, ताकि सुधार की वास्तविक संभावना को न्यायसंगत रूप से परखा जा सके। यह फैसला न केवल दोषी की याचिका के संदर्भ में अहम है, बल्कि SRB प्रक्रिया में पारदर्शिता और विशेषज्ञ मूल्यांकन को शामिल करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

संतोष कुमार सिंह ने 2023 में याचिका दायर की थी. जस्टिस संजीव नरूला की कोर्ट ने मामले पर 14 मई को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. जस्टिस नरूला ने कहा कि इस फैसले में दिल्ली जेलों की सजा समीक्षा बोर्ड के लिए कुछ दिशानिर्देश भी निर्धारित किए गए. मौजूद SRB व्यवस्था में किसी सक्षम मेडिकल विशेषज्ञ द्वारा दोषी का औपचारिक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करने का प्रावधान नहीं है. ऐसी स्थिति में बोर्ड के लिए यह आंकलन करना मुश्किल हो जाता है कि क्या दोषी में फिर से अपराध करने की प्रवृत्ति समाप्त हो चुकी है या नहीं?

प्रियदर्शिनी मट्टू की 1996 में हुई थी हत्या
दिल्ली विश्वविद्यालय में 25 साल की कानून की छात्रा प्रियदर्शिनी मट्टू की जनवरी, 1996 में उसके फ्लैट पर बलात्कार कर हत्या कर दी गई थी. संतोष कुमार सिंह भी दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून का छात्र था. हालांकि, 3 दिसंबर 1999 को सबूतों के अभाव में ट्रायल कोर्ट ने संतोष को बरी कर दिया था.

हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 अक्टूबर, 2006 को ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए संतोष कुमार को प्रियदर्शिनी मट्टू के साथ बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराया और सजा ए मौत दी. दिल्ली हाईकोर्ट से मिली सजा को संतोष कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में संतोष की दोषसिद्धि को तो बरकरार रखा लेकिन मौत की सजा को उम्रकैद में तबदील कर दिया था.

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