कभी यहां होता था दूल्हों का कैंपस सेलेक्शन पंजीकार करते थे छात्रों के गोत्र का मिलान

कैंपस सेलेक्शन शब्द आपने खूब सुना होगा। इसका मतलब होता है कि छात्र जिस कॉलेज में पढ़ाई कर रहे होते हैं, वहीं पर कंपनियां आती हैं और अपने पसंद के छात्रों का चयन कर नौकरी पर रखती हैं। क्या आप जानते हैं कि मिथिला राज्य में कभी दूल्हों का कैंपस सेलेक्शन हुआ करता था। गुरुकुल व्यवस्था के दिनों में लडक़ी वाले इन जगहों पर आते थे और अपनी बेटियों के लिए दूल्हे का सेलेक्शन किया करते थे। जी हां! यह सच है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि यह व्यवस्था कैसे संचालित होती थी और क्या है कहानी। पंजीकार प्रमोद कुमार मिश्र (शादी रजिस्टर्ड करने वाले) बताते हैं कि सैकड़ों वर्ष पहले स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय नहीं होते थे। उन दिनों पढ़ाई करने के लिए गुरुकुल व्यवस्था थी। मिथिला राज्य में तब राज्य के अलग-अलग हिस्सों में 12 ऐसे गुरुकुल थे, जहां छात्र आकर पढ़ाई किया करते थे। पढ़ाई पूरी होने के बाद छात्रों को प्रमाण-पत्र और अंग वस्त्र दिया जाता था। इसके साथ ही गुरुकुल के शिक्षक अपनी बेटियों के लिए मेधावी छात्रों को वर के रूप में सेलेक्ट करते थे। पंजीकार प्रमोद कुमार मिश्र ने बताया कि जब धीरे-धीरे स्कूल कॉलेज खुलने लगे तो गुरुकूल व्यवस्था भी समाप्त होने लगी। ऐसी स्थिति में लोगों ने इन 12 गुरुकुल को बंद करने के बजाए ब्राह्मण परिवार की लड़कियों के लिए दूल्हों के सेलेक्शन स्थल के रूप में विकसित कर लिया। साथ ही बताया कि यहां वर्षों तक निर्धारित तिथियों को दोनों पक्ष के अभिभावक पहुंचते थे। लडक़ी वाले दूल्हे का वहीं पर चयन करते थे। इससे दूल्हा खोजने में होने वाला खर्च बच जाता था। हालांकि अब ऐसा नहीं के बराबर होता है। पंजीकार प्रमोद कुमार मिश्र की मानें तो छह पुश्तों से उनके परिवार के लोग यहां वर-वधु की जोडिय़ों का मिलान करते आ रहे हैं। यहां के पंजीकर के पास मिथिलांचल के हर गांव के ब्राह्मण परिवार का पूरा डेटा होता है। जैसे ही आप अपने गांव और अपने किसी पूर्वज का नाम इन पंजीकारों को बताते हैं, वे आपके पूरे खानदान का नाम, उनका गोत्र, मूल, ननिहाल पक्ष का मूल और गोत्र सारी जानकारी आपके सामने रख देते हैं। इससे रिश्ता तय करते समय मूल और गोत्र संबंधी धोखाधड़ी रुक जाती है।

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