बच्चों के लिए जल्लाद न बनें मां-बाप

  • तोड़कर रख देता है टाइगर पैरंटिंग का तरीका, सुसाइड तक पहुंच सकती है बात

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
टाइगर पैरंटिंग, बच्चों की सफलता के लिए कठोर अनुशासन पर आधारित है। इसका एक प्रभाव यह है कि इससे बच्चों की बॉन्डिंग कमजोर हो सकती है। इसके अलावा, बच्चों को तनाव महसूस हो सकता है और इससे उनमें डिप्रेशन का भी प्रकोप हो सकता है। टाइगर स्टाइल पैरंटिंग स्ट्रिक्ट पैरंटिंग का एक रूप है जिसमें बच्चे को सफलता प्राप्त करने के लिए कठोर अनुशासन में रखा जाता है। पैरंटिंग न केवल माता-पिता और बच्चों के बीच की बॉन्डिंग को कमजोर करती है, बल्कि बच्चे को तनाव में भी डालती है। उनके लिए लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं और उम्मीद की जाती है कि वे उन लक्ष्यों पर खरे उतरें।

बच्चे हो सकते हैं विद्रोही

ऐसी पैरंटिंग में कई बच्चे पैरंट्स के व्यवहार से विद्रोही हो जाते हैं और नशीले पदार्थ लेने लगते हैं। माता-पिता द्वारा सफल होने के लिए डाला जा रहा दबाव उनके बच्चों में चिंता के स्तर को बढ़ा सकता है, जिसके चलते कई बार बच्चा सुसाइड तक पहुंच जाता है। उनके पास अपनी पसंद के मुताबिक निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो जाती है।

बच्चा हमेशा तनाव में रहता है

टाइगर पैरंटिंग के शिकार कुछ बच्चों पर की गई स्टडी में निकलकर आया कि ऐसे बच्चों में तनाव और कोर्टिसोल का लेवल बहुत हाई रहता है। किसी पार्ट में सूजन, इन्फेक्शन, इम्यून सिस्टम का कमजोर होना, मोटापा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), हार्ट प्रॉब्लम और कुछ मामलों में तो ऐसे बच्चों में कैंसर भी पाया गया है। बच्चे माता पिता की गाइडेंस पर जी रहे होते हैं, तो वे सामाजिक नहीं होते और दूसरों के साथ घुलने मिलने में इनको दिक्कत आती है।

ऐसा करना सही है या गलत?

बच्चे की परवरिश का यह तरीका बच्चे को डिप्रेशन और तनाव की तरफ ले जा सकता है। टाइगर पैरंटिंग में पैरंट्स बच्चे से बहुत ज्यादा उम्मीदें करते हैं जिससे बच्चा दबाव महसूस करने लगता है। उसमें असफल होने का डर पैदा हो जाता है। जब वह पैरंट्स की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाता, तो शर्मिदगी महसूस करता है और फिर धीरे-धीरे उनसे दूरियां बनाना शुरू कर देता है। लगातार ऐसे माहौल में रहने से एक समय बाद बच्चा तनाव और डिप्रेशन में आ जाता है।

जरूरी है बैलेंस बनाना

टाइगर पैरंट्स का मानना था कि बच्चे को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए सख्त तरीके अपनाने चाहिए। बच्चे को पैरंट्स गाइड नहीं करेंगे, तो वो कहां से सीखेगा कि उसे आगे क्या करना और वहां तक कैसे पहुंचना है। घर में नियम बनाने से बच्चे आत्म-नियंत्रण सीखते है इससे बच्चे को सही और गलत के बीच फर्क समझ आता है। लेकिन इसमें बैलेंस बनाकर चलना जरूरी है।

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