एनसीपी में सुलग रही थी बगावत की आग, पटेल ने किया खुलासा

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मुख्य राजनीतिक दलों में से एक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का भविष्य फिलहाल अधर में दिख रहा है। राकांपा के कुछ विधायकों के साथ एनडीए में शामिल हुए अजित पवार आज महाराष्ट्र में नए राकांपा दफ्तर का उद्घाटन करेंगे। ऐसे में पार्टी में टूट की चर्चाएं तेज हैं। इस बीच राकांपा के बड़े नेताओं में शुमार प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया है कि 2022 में पार्टी के 53 में से 51 विधायकों ने शरद पवार से मांग की थी कि वे महाराष्ट्र की शिंदे सरकार के साथ जुडऩे की संभावनाओं को तलाशें।
एक मराठी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में पटेल ने कहा कि अगर एनसीपी ने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार चला ली तो भाजपा के साथ क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि पिछले साल भाजपा के साथ गठबंधन पर राकांपा में कुछ आंतरिक चर्चाएं हुई थीं। विधायकों में भी इसे लेकर बातचीत हुई। लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं किया जा सका। लेकिन अब इसे आकार दिया गया है। ये फैसला (एनडीए के साथ जाने का) मेरा या अजित पवार का अकेले का नहीं, बल्कि पूरी राकांपा द्वारा लिया गया है।
प्रफुल्ल पटेल ने यह भी दावा किया कि जिन 51 विधायकों ने शरद पवार से एनडीए में जाने की संभावनाओं को तलाशने का आग्रह किया था, उनमें जयंत पाटिल भी शामिल थे। सिर्फ अनिल देशमुख और नवाब मलिक इस बैठक में मौजूद नहीं थे। एनसीपी के मंत्रियों ने भी शरद पवार को चि_ी लिखी थी और मांग की थी कि पार्टी को सत्ता से बाहर नहीं रहना चाहिए। शिंदे सरकार के साथ जाने की संभावना तलाशने में भी कोई नुकसान नहीं है।
प्रफुल्ल पटेल से इंटरव्यू में जब पूछा गया कि आखिर तब राकांपा की तरफ से सरकार में शामिल होने से जुड़े कदम क्यों नहीं उठाए गए, तो उन्होंने कहा कि तब कोई फैसला नहीं लिया गया और शायद दूसरे पक्ष (शरद पवार) को लगा होकि हमारी कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि शरद पवार के इतना करीब होने के बावजूद उन्हें नहीं पता था कि वे पार्टी अध्यक्ष पद इतनी आसानी से छोडऩे का फैसला कर लेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि शरद पवार मुझसे नाराज होंगे। वह मेरे बारे में जो भी सोचते हैं, मैं उसका सामना करूंगा।’’ जयंत पाटिल के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने वाले अजित पवार तथा आठ अन्य विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष एक याचिका दायर करने पर, पटेल ने कहा कि पार्टी में कोई आंतरिक चुनाव नहीं हुआ है।
उन्होंने दावा किया, ‘‘जयंत पाटिल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नहीं चुना गया है और उनके द्वारा लिए गए फैसले मायने नहीं रखते।’’ शरद पवार के उन्हें पार्टी से निकाले जाने पर पटेल ने कहा कि वह राकांपा अध्यक्ष के इस कदम पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। यह पूछे जाने पर कि क्या वह केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बनेंगे, इस पर पटेल ने कहा कि अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। गौरतलब है कि पटेल को राकांपा से बगावत करने वाले अजित पवार का साथ देने के कारण सोमवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।

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