पीडब्ल्यूडी में करोड़ों का खेल होने की तैयारी, नियमों को ताक पर रखकर फिलिप्स को काम देने का प्लान
- शर्तों की प्रक्रिया में हेरफेर कर एक ही कंपनी फिलिप्स को टेंडर देने की योजना
- आवास एवं विकास परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष ने सीएम से की शिकायत
लखनऊ। एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साफ-साफ निर्देश है कि टेंडर में पारदर्शिता रखी जाए और काम ईमानदारी से किया जाए पर सार्वजनिक निर्माण विभाग पर इसका कोई फर्क पड़ता हुआ नहीं दिखायी दे रहा। विभागों में लाइटें लगवाने का एक 39 करोड़ का टेंडर जारी हुआ, जिसमें सारी शर्तें ऐसी रखी गयी, जिससे सिर्फ एक ही कपंनी फिलिप्स को फायदा पहुंच सके। आवास विकास परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष अच्छे लाल निषाद ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की है। उल्लेखनीय है कि पीडब्ल्यूडी यानी लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार की लगातार शिकायतें आ रही है कि विभागीय अफसर कमीशनबाजी के कारण टेंडर की ऐसी शर्तें तैयार कर रहे है, जिससे कोई और भाग ना ले सके। इसी कड़ी में अच्छे लाल निषाद ने सीएम को लिखा है कि जो टेंडर 39 करोड़ में फिलिप्स को देने की तैयारी है। यदि वो प्रतिस्पर्धा के तौर पर कराए गए होते तो यह काम पंद्रह करोड़ से भी कम में हो जाता। ऐसा इसलिये नहीं हुआ क्योंकि विभाग में कमीशनबाजी बहुत ज्यादा हावी है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष अच्छेलाल निषाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लोक निर्माण विभाग द्वारा फिलिप्स कंपनी को टेंडर देने की तैयारी को लेकर शिकायती पत्र लिखा है। उन्होंने सीएम को लिखे पत्र में बताया कि बापू भवन, विधान भवन, लोकभवन, राजभवन व लोक निर्माण विभाग के मुख्यालय आदि में लाईटिंग के कार्य में फिलिप्स कंपनी को जारी किए जा रहे टेंडर में अनियमितता बरती गई है। निषाद ने पत्र में लिखा कि विभागों की बिल्डिंग को फसाड लाइटिंग के द्वारा सौंदर्यीकरण के संबंध में लोक निर्माण विभाग के एक अधीक्षण अभियन्ता आरके सिन्हा द्वारा टेंडर जारी किया गया। टेंडर में शर्ते ऐसी रख दी कि इस दौरान मात्र एक कंपनी फिलिप्स का ही चयन किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह टेंडर स्वीकृत करके सरकारी धन का आपसी बंदरबांट किया गया। जबकि बजाज, क्राम्टन एवं अन्य कई कंपनियां भी फसाड लाइटिंग का अच्छा कार्य करती है। इन कंपनियों द्वारा यह काम 39 करोड़ की जगह पर 15-16 करोड़ में हो सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। टेंडर प्रक्रिया में पूरी तरह अनियमितता बरती जा रही है। अच्छेलाल ने सीएम से पूरे मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि उपरोक्त लाईटिंग के लिए हुए टेंडर की जांच के आदेश पारित किए जाए, ताकि सरकारी धन के दुरुप्रयोग को रोका जा सके।
जीरो टॉलेरस नीति के तहत इस विभाग में काम होता है। टेंडर प्रक्रिया नियमानुसार ही होती है। हमारे ऊपर लगे सभी आरोप गलत है। उच्च स्तर पर निर्णय लिए गए हैं।
आरके सिन्हा, अधीक्षण अभियन्ता, पीडब्ल्यूडी
ईओडब्ल्यू ने अमिताभ को 390 रुपए वापस किए
लखनऊ। पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ईओडब्ल्यू उत्तर प्रदेश ने पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को अंततोगत्वा आरटीआई में चार साल बाद 1289 पृष्ठï निशुल्क प्रदान किया। अमिताभ के खिलाफ थाना गोमतीनगर लखनऊ में आय से अधिक संपत्ति के आरोपों में मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसे सही नहीं पाते हुए ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2018 में अंतिम रिपोर्ट भेजा था। अमिताभ ने इसके बाद ईओडब्ल्यू से विभागीय पत्रावली के समस्त पृष्ठ मांगे थे, जिन्हें ईओडब्ल्यू द्वारा यह कहते हुए दिए जाने से मना किया जाता रहा कि यह विभाग की व्यक्तिगत सूचना है। राज्य सूचना आयोग ने ईओडब्ल्यू के तर्कों को पूर्णतया निराधार बताते हुए 29 अक्टूबर 2021 के आदेश द्वारा समस्त सूचना देने को कहा। इसके बाद भी ईओडब्ल्यू द्वारा सूचना नहीं दी गयी। फिर जेल से निकलने के बाद अमिताभ ने जब सूचना मांगी तो ईओडब्ल्यू ने उन्हें 195 पृष्ठïों के लिए दो रुपए के हिसाब से 390 रुपए देने को कहा। इस पर अमिताभ ने पैसे तो भेजे पर यह कहा कि चूंकि सूचना 30 दिन बाद दी गयी है, अत: शुल्क मांगा जाना गलत है। अब ईओडब्ल्यू ने अमिताभ को 1289 पृष्ठ सूचना देने के साथ उनके द्वारा भेजा गया 390 रुपए भी उन्हें वापस कर दिया है।
यूपी के राष्टï्रीय राजमार्गों के लिए केंद्र ने मंजूर किए 16 हजार करोड़
लखनऊ। केंद्र सरकार ने प्रदेश में राष्टï्रीय राजमार्गों, रेल ओवरब्रिज के निर्माण, नाले और स्ट्रीट लाइटों के लिए 16,376 करोड़ रुपये की कार्ययोजनाओं को मंजूरी दी है। नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद की बैठक में कार्ययोजनाओं को मंजूरी दी गई। बैठक में जितिन प्रसाद ने गडकरी से सेंट्रल रोड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में उत्तर प्रदेश का आवंटन बढ़ाने का अनुरोध किया। बैठक के दौरान गडकरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022-23 के दौरान राष्टï्रीय राजमार्गों के विकास के लिए 15,000 करोड़ रुपये की कार्ययोजना स्वीकृत की गई है। बैठक में लोक निर्माण विभाग की राष्टï्रीय राजमार्ग (एनएच) विंग को 15,000 करोड़ रुपये के कार्यों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भेजने के निर्देश दिए गए। वहीं सेतु निगम के माध्यम से प्रदेश में आरओबी के निर्माण के लिए 700 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की गई है। इस वर्ष के बजट में आरओबी बनाने के लिए 117.27 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे। लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि इसके सापेक्ष 700 करोड़ रुपये की स्वीकृति नि:संदेह राज्य सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि है। बैठक के दौरान प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में पुराने राष्टï्रीय राजमार्गों के सुधार और उन्हें चौड़ा करने के अलावा नालों के निर्माण और स्ट्रीट लाइट की स्थापना के लिए 676 करोड़ रुपये के एस्टीमेट स्वीकृत करने के निर्देश भारतीय राष्टï्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को दिए गए।