प्लीज मुझे माफिया न कहा जाए, मुख्तार ने लगाई कोर्ट से गुहार

लखनऊ। एक समय था जब पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी को अपने नाम के साथ भाई, माफिया, बाहुबली, डॉन आदि शब्द काफी पसंद आते थे। उसके समर्थक उसके लिए जब इस तरह के संबोधन करते थे तो उसकी छाती चौड़ी हो जाती थी। लेकिन उत्तर प्रदेश में माफिया के खिलाफ चल रही बयार से मुख्तार भयभीत है। उसे डर लगने लगा है कि कहीं योगी सरकार माफिया को मिट्टी में मिलाने के अभियान के तहत कोई बड़ा खेल ना कर दे।
ऐसे में मुख्तार ने बाराबंकी कोर्ट में अर्जी दाखिलकर उसके नाम के साथ इस तरह के संबोधन ना लगाने की गुहार लगाई है। उसने अपनी अर्जी के साथ देश के विकास में पूर्वजों के योगदान को गिनाया है। उसने कोर्ट में दाखिल अर्जी में लिखा है कि उसके परिवार के लोगों की देश के निर्माण में अमूल्य योगदान रहा है। वह खुद विधायक रहा है और समाज में उसकी प्रतिष्ठा है। लेकिन कुछ लोग उसके नाम के साथ माफिया, डॉन, बाहुबली और गुर्गा आदि शब्दों का इस्तेमाल कर उसे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।
कहा कि पुलिस के कुछ वर्तमान और कुछ पूर्व अधिकारी भी मीडिया के चलते उसे बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। मुख्तार ने कोर्ट से आग्रह किया है कि उसके नाम के साथ कहीं भी इस तरह के विवादित संबोधन ना जोड़े जाएं। अतीक की ओर से यह अर्जी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी कोर्ट में मुख्तार अंसारी के वकील रणधीर सिंह सुमन ने दाखिल की है। विशेष सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में दाखिल इस अर्जी में उसने अपने खिलाफ दुष्प्रचार रोकने की अपील की है।
इसमें कहा कि उसके खिलाफ राजनीतिक साजिश के तहत मुकदमे दर्ज कराए गए थे। इनमें से कुछ मामलों में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है, वहीं कुछ मामलों में विवेचना जारी है। बावजूद इसके अधिकारी गैंगस्टर एक्ट का दुरुपयोग कर उसे और उसके साथियों को प्रताडि़त कर रहे हैं। अपनी अर्जी में मुख्तार ने मीडिया ट्रायल के जरिए पुलिस के अधिकारियों व राजनीतिक लोगों पर दुष्प्रचार का भी आरोप लगाया।

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