हरिओम की राख से भड़की सियासी चिंगारी

- पीडीए की धमक से 27 में बीजेपी होगी खाक
- परिवार को डरा कर बनाया गया वीडियो : राहुल
- राहुल गांधी ने की रायबरेली में मॉब लिंचिंग में मारे गये दलित युवक के परिजनों से मुलाकात
- नेत प्रतिपक्ष ने सीएम योगी से बाल्मीकि परिवार की रक्षा करने की अपील की
- पीड़ित परिवार को डरा कर वीडियो बनाने की भी बात राहुल गांधी ने कही
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
फतेहपुर। फतेहपुर की तपती दोपहर में जब राहुल गांधी हरिओम वाल्मीकि के घर पहुंचे तो माहौल में सन्नाटा घुल गया। रायबरेली की मॉब लिंचिंग में मारे गए दलित युवक के परिवार की आंखों में सिर्फ आंसू नहीं बल्कि न्याय की भूख थी। राहुल जैसे ही बैठक में दाखिल हुए हरिओम की बहन खुद को रोक नहीं पाई और वह राहुल गांधी से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगी। वहां पीडि़त परिवार की सिसकियां थी और इंसानियत बोल रही थी। राहुल गांधी करीब 25 मिनट तक वहां रूके और मृतक के पिता, भाई और बहन से बात की, उनका दर्द सुना और ज़ुल्म की हर परत को समझा। बाहर निकलते ही उन्होंने सीधा वार किया और कहा कि इस सरकार में दलितों पर अत्याचार अब व्यवस्था का हिस्सा बन चुका है। यह बयान महज शब्द नहीं था, बल्कि दलित राजनीति के इंजन में डाली गई एक नई चिंगारी थी जिसका इंतजार राहुल गांधी को यूपी की धूल भरी सड़कों पर राजनीतिक आग कब बनने का है। राहुल गांधी ने कहा कि पूरे देश में दलितों की हत्या और बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि वे हरिओम के परिवार की रक्षा करें। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि परिवार को धमकाकर वीडियो बनाया गया कि वे उनसे नहीं मिलना चाहते। राहुल गांधी का कहना है कि परिवार की सुरक्षा और स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाए। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है और लोग इस घटना पर सरकार के जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
सत्ता से सवाल पूछा
राहुल गांधी की फतेहपुर यात्रा केवल एक यात्रा नहीं रहीं बल्कि यह एक संदेश और संकल्प बन चुकी है। जहां आसू राजनीति से टकराए और सन्नाटा सत्ता से सवाल पूछ गया। हरिओम वाल्मीकि का नाम अब किसी केस फाइल में नहीं बल्कि दलित अस्मिता की लड़ाई में दर्ज हो गया है।
दलित दर्द और सत्ता की बेरुखी
उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। एनसीआरबी के मुताबिक पिछले पांच सालों में दलित उत्पीडऩ के मामलों में 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। यही नहीं दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में भी गिरावट आयी है। गांव थानों में जाति का ठप्पा अब न्याय से बड़ा हो गया है। राहुल की यह रणनीति सीधे पीएम मोदी के विकास नैरेटिव को चुनौती देती है। जहां भाजपा विकास और स्थिरता की बात करती है। वहीं राहुल सम्मान और समानता की लड़ाई को उठाते हैं। फतेहपुर की इस मुलाकात में जो आंसू गिरे वह सिर्फ एक परिवार के नहीं थे वो उस भारत के थे जहां जाति अब भी इंसानियत को मात देती है।
फिर गरमाया राहुल का पीडीए इंजन
राहुल गांधी आज सिर्फ कांग्रेस नेता नहीं बल्कि पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) समीकरण के नए मेकैनिक बन गए हैं। वह हर राज्य में अब दर्द की राजनीति को मुद्दों की भाषा में ढालने लगे हैं। चाहे मणिपुर हो, हरियाणा हो या फिर उत्तर प्रदेश राहुल गांधी का रुख साफ है उन्होंने तयकर लिया है कि यदि दलित उत्पीडऩ पर अगर सरकार चुप रहेगी तो सड़क बोलेगी। हरिओम वाल्मीकि की हत्या किसी अकेले परिवार का गम नहीं है बल्कि उस व्यवस्था का आईना है जो जाति देखकर इंसाफ तौलती है। राहुल ने उसी आईने में झांकने की कोशिश की है। उनका वाल्मीकि परिवार से मिलना संवेदना के साथ एक राजनीतिक संकेत भी है कि अब कांग्रेस दलितों की सुनवाई नहीं बल्कि साझेदारी की मांग पर उतरी है।




