बाबरी मस्जिद शिलान्यास पर सियासी घमासान, बीजेपी के एजेंट निकले हुमायूं कबीर?

बाबरी मस्जिद का मुद्दा इन दिनों एक बार फिर चर्चा में बना हुआ है। पक्ष विपक्ष इस मामले पर अपनी राय रख रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच बीते 6 दिसंबर को जो हुआ जिसने सियासी गलियारों में एक अलग आग लगा दी है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बाबरी मस्जिद का मुद्दा इन दिनों एक बार फिर चर्चा में बना हुआ है। पक्ष विपक्ष इस मामले पर अपनी राय रख रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच बीते 6 दिसंबर को जो हुआ जिसने सियासी गलियारों में एक अलग आग लगा दी है।

दरअसल बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर यूपी के अयोध्या, मथुरा और वाराणसी में अलर्ट रहा, जिलों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए। पुलिस की टीम के द्वारा एहतियात के तौर पर जगह-जगह चेकिंग अभियान भी चलाया। आपको बता दें कि बीते रोज से ठीक 33 साल पहले 6 दिसंबर सन 1992 को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को विध्वंस कर दिया था. तब से 6 दिसंबर की तारीख पर अयोध्या, मथुरा और वाराणसी में पुलिस अलर्ट पर रहती है. दरअसल कुछ हिंदू संगठन छह दिसंबर को ‘‘शौर्य दिवस’’ और कई मुस्लिम समूह इसे ‘‘काला दिवस’’ के रूप में मनाते हैं, जिससे यह दिन कानून व्यवस्था के लिए संवेदनशील बन जाता है.

लेकिन इसी दिन पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में तृणमूल कांग्रेस के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद की नींव रख दी है. साथ ही उन्होंने मस्जिद के अलावा, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, पार्क, और हेलिपैड बनाने का भी वादा किया है. वहीं, इस पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है. इस लोगों की प्रतिक्रिया आणि शुरू हो गई हैं.

इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद की नींव रखे जाने पर कहा, “मस्जिद बनने का कोई विरोध नहीं करता है, लेकिन नफ़रत के नाम पर बनाओगे और पूरे देश में नफ़रत फैलाओगे। जहां आप बहुसंख्यक हैं, वहां आप यह काम कर लोगे, लेकिन जहां मुसलमान थोड़ी तादाद में हैं, उनके खिलाफ आप नफ़रत बो दोगे।  इसके साथ ही बाबरी मस्जिद का शिलान्यास रखने के दावे पर राम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद मामले में पूर्व वादी इकबाल अंसारी ने साफ कहा कि देश में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद को लेकर अब कोई विवाद नहीं बचा है.

दरअसल तृणमूल कांग्रेस से निकाले गए विधायक हुमायूं कबीर ने बीते शनिवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद’ के नाम पर एक मस्जिद की नींव रखी. बता दें कि हुमायूं कबीर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले के भरतपुर सीट से विधायक हैं. वह पिछले कई दिनों से दावा करते रहे हैं कि 6 दिसंबर को वो भरतपुर के बेलडांगा में ‘बाबरी मस्जिद’ बनवाने के लिए नींव रखेंगे. सामने आई रिपोर्ट्स के मुताबिक कबीर ने मुर्शिदाबाद के रेजीनगर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अयोध्या की बाबरी मस्जिद के मॉडल पर बनने वाली मस्जिद का शिलान्यास किया.

कबीर ने मंच पर मौजूद अतिथि मौलवियों के साथ मिलकर प्रतीकात्मक तौर पर फीता काटा. इस दौरान समारोह स्थल पर “नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर” के नारे गूंजते रहे, यहां सुबह से अच्छी ख़ासी तादाद में लोग जमा थे. शिलान्यास समारोह के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी. रेजीनगर और उससे सटे बेलडांगा इलाके़ में बड़ी संख्या में पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स और केंद्रीय बलों की तैनाती की गई थी. वहीं इस मस्जिद की नींव रखे जाने से पहले बीजेपी ने आरोप लगाया था कि तृणमूल कांग्रेस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रही हैं.

तो इसपर टीएमसी का कहना है कि हुमायूं कबीर बीजेपी के एजेंट हैं जबकि बीजेपी का कहना है कि टीएमसी के भीतर ही लड़ाई चल रही है। आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि हुमायूं कबीर एक वक्त में बीजेपी में ही थे और वह 2019 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। बात की जाए कबीर की तो हुमायूं कबीर ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी. साल 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के एक साल बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ टीएमसी का दामन थाम लिया. लेकिन साल 2015 में हुमायूं कबीर को पार्टी के ख़िलाफ़ बोलने के कारण टीएमसी से बाहर कर दिया गया. उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को ‘राजा’ बनाना चाहती हैं. उन्होंने ममता बनर्जी के आने वाले समय में मुख्यमंत्री रहने की काबिलियत पर भी सवाल उठाए थे.

साल 2018 में हुमायूं कबीर बीजेपी का हिस्सा बन गए और मुर्शिदाबाद से लोकसभा चुनाव भी लड़े, जो वह हार गए थे. साल 2021 में वो वापस तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. नवंबर 2024 में हुमायूं कबीर को शो-कॉज़ नोटिस भी मिला क्योंकि उन्होंने मांग की थी कि ममता बनर्जी को नहीं बल्कि अभिषेक बनर्जी को गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी मिले. इस साल मार्च में पार्टी से मिले नोटिस के बाद हुमायूं कबीर को माफ़ी मांगनी पड़ी थी. उन्होंने नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी विधायक सुवेंदु अधिकारी को धमकी दी थी.

दरअसल सुवेंदु अधिकारी ने राज्य में बीजेपी की जीत होने पर मुस्लिम विधायकों के ख़िलाफ़ कदम उठाने की बात की थी, जिसके जवाब में हुमायूं कबीर ने भी आपत्तिजनक बयान दिया था. अब ताज़ा विवाद के बाद हुमायूं कबीर ने तृणमूल कांग्रेस पर मुस्लिम समुदाय को समर्थन न देने का आरोप लगाया है और कहा है कि साल 2026 के चुनावों के बाद ममता बनर्जी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगी.

उनका कहना है, “साल 2011 के बाद जब ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी थीं, उस समय राज्य में आरएसएस की करीब 400 शाखाएं थीं. आज वह संख्या 12 हज़ार तक पहुंच गई है. इससे साबित होता है कि मुख्यमंत्री किसके लिए काम कर रही हैं. जगन्नाथ मंदिर बनाने के लिए राज्य के ख़ज़ाने से पैसा किसने ख़र्च किया था? तो फिर मस्जिद बनवाने की इच्छा रखने पर मेरे प्रति इतना गुस्सा क्यों है?” हुमायूं कबीर को भले ही टीएमसी से निष्कासित कर दिया गया हो, लेकिन यह निष्कासन पार्टी सदस्यता से ही है. वह अभी भी भरतपुर के विधायक बने हुए हैं.

हालांकि इस मामले के सामने आने के बाद बंगाल में TMC और BJP आमने सामने है। वहीं टीएमसी नेता सायोनी घोष ने कहा, “बीजेपी को हमारा एक ही संदेश है कि ‘खेला होबे’. 2026 में ममता बनर्जी चौथी बार बंगाल की सत्ता संभालेंगी, क्योंकि पश्चिम बंगाल की जनता उनके साथ है और वह अब तक के सबसे बड़े जनादेशों में से एक के साथ जीत हासिल करने जा रही हैं.” उन्होंने कहा, “कोई भी मंदिर बना सकता है, कोई भी मस्जिद बना सकता है, लेकिन अगर इसके पीछे किसी की मंशा यहां धार्मिक अशांति फैलाने की है, तो सब जानते हैं कि उन्हें बीजेपी से फंडिंग मिल रही है और बीजेपी उन्हें बंगाल में कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के लिए उकसा रही है.”

गौलतलब है कि जिस तरह से मस्जिद का शिलान्यास रखा गया है इसे कहीं न कहीं बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर देखा जा रहा है। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि इसके पीछे भी भाजपा का हाथ है। खैर कौन किसका एजेंट है और इससे किसको फायदा पहुंचेगा ये तो खैर आगामी चुनावी नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा।

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