Modi से आगे निकले Nitish, बनाया रिकॉर्ड, गुजरात लॉबी की बढ़ी टेंशन !

बिहार चुनाव के बाद से बीजेपी लगातार सीएम नीतीश कुमार को साइडलाइन करने में लगी हुई है...पहले गृह मंत्रालय और फिर स्पीकर पद भी उनके हाथ से छीनकर बीजेपी ने उसे अपने पास रख लिया है...

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार चुनाव के बाद से बीजेपी लगातार सीएम नीतीश कुमार को साइडलाइन करने में लगी हुई है…पहले गृह मंत्रालय और फिर स्पीकर पद भी उनके हाथ से छीनकर बीजेपी ने उसे अपने पास रख लिया है…जिसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने भी समझ लिया कि अगर अभी भी उन्होंने एक्शन नहीं लिया…

तो उनकी पार्टी JDU को बीजेपी पूरी तरह से हाईजैक कर लेगी…और सीएम नीतीश कुमार का बिहार की राजनीति में जो दबदबा है…जिस तरह से सीएम नीतीश कुमार 1-2 बार नहीं बल्कि, 10 बार बतौर मुख्यमंत्री बिहार की कमान संभाल चुके हैं…अपनी उसी साख को बीजेपी से बचाने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने ऑपरेशन तीर शुरू किया…जिसके जरिए सीएम नीतीश कुमार अब JDU को BJP से बड़ी पार्टी बनाना चाहती है…

ऑपरेशन तीर के तहत सीएम नीतीश की कोशिश है कि JDU की संख्या 90 के आसपास पहुंचे…और इसके लिए वो कदम दर कदम… बेहद सोची-समझी रणनीति पर काम कर रहे हैं…….इसी बीच सीएम नीतीश कुमार….पीएम मोदी को पछाड़ने में कामयब हो गए….तो सीएम नीतीश कुमार ने कैसे बिहार में नई सरकार के गठन के महज 18 दिन बाद ही पीएम मोदी से आगे निकलकर रिकॉर्ड दर्ज कर किया पीछे….जिससे घबराई बीजेपी ने नीतीश की कुर्सी छीनने की कैसे शुरू की तैयारी?…..

बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मची हुई है…जिसकी वजह है दो खबरें… जिनका सीधा-सीधा आपस में कोई रिश्ता तो नहीं दिखता…लेकिन अंदर ही अंदर बहुत गहरा कनेक्शन बन रहा है…पहली खबर है कि CM नीतीश ने बनाया रिकॉर्ड, लंदन की World Book of Records में आया नाम…जी हां, PM मोदी को पीछे छोड़ते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लंदन की World Book of Records में दर्ज हुआ है…ये रिकॉर्ड सीएम नीतीश कुमार की बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा है… और मीडिया में इसे नेशनल लेवल अचीवमेंट का रंग दिया जा रहा है…लेकिन दूसरी तरफ राजनीति का पूरा फोकस इस रिकॉर्ड पर नहीं… बल्कि उस खेल पर है जो उनके ही घर में खेला जा रहा है…क्योंकि जैसे ही ये रिकॉर्ड वाली खबर आई… उसी के आसपास एक और बयान ने पूरे राजनीतिक माहौल को हिला दिया…ये बयान आया संजय झा की तरफ से…संजय झा ने कहा कि…हम चाहते हैं कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार पार्टी की कमान संभालें…

संजय झा का बस… इतना कहना था… कि बिहार की सियासत में तूफान आ गया…लोगों ने तुरंत सवाल उठाना शुरू कर दिया कि ये बयान सिर्फ बयान नहीं… बल्कि इशारा है…और उस इशारे के पीछे कौन हो सकता है… उसका नाम सबसे पहले सामने आया और वो नाम है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह….क्योंकि ये कोई आम नेता नहीं हैं…ये वही संजय झा हैं…जिन्हें सीएम नीतीश कुमार ने शपथ ग्रहण से पहले अपनी हाईलेवल मीटिंग से दूर कर दिया था…जिसके बाद से मनमुटाव की खबरें लगातार सामने आ रही थीं…

अब ऐसे समय में उन्हीं संजय झा का ऐसा बयान देना…जब नीतीश कुमार खुद अपने बेटे निशांत कुमार को राजनीति में लाने से बचते रहे हैं…ये पूरी कहानी को और भी ज्यादा संदिग्ध बनाता है…लोग कह रहे हैं कि क्या ये संजय झा की बगावत है…या फिर एक प्लान्ड गेम है…जो बीजेपी अपनी रणनीति के तहत खेल रही है…क्योंकि पिछले कुछ महीनों में जो भी राजनीतिक घटनाएं हुई हैं…वो BJP की साइलेंट लेकिन स्ट्रॉन्ग स्ट्रैटेजी की तरफ इशारा करती हैं…पहले नीतीश कुमार से गृह मंत्रालय लेकर बीजेपी ने अपनी पकड़ मजबूत की….फिर स्पीकर का पद भी अपने पास रख लिया…और अब अचानक पार्टी लीडरशिप पर सवाल उठना…ये पूरे राजनीतिक समीकरण को काफी गंभीर बना देता है…

सवाल ये नहीं है कि संजय झा ने क्या कहा…सवाल ये है कि ये बयान किसके इशारे पर दिया गया…और क्या ये किसी बड़े राजनीतिक कदम की तैयारी है?….क्योंकि राजनीतिक हल्कों में चर्चा गर्म है कि संजय झा पिछले कुछ समय से अमित शाह के काफी करीब हो गए हैं….कई मौकों पर उनकी मुलाकातें भी चर्चा का विषय बनीं….ऐसे में संजय झा का बयान सिर्फ उनकी व्यक्तिगत राय नहीं लगती….बल्कि ये बीजेपी की टाइम्ड स्ट्रैटेजी का हिस्सा दिखाई देता है…जैसे कि पहले….नीतीश कुमार की शक्तियां धीरे-धीरे कम करो…फिर उनकी अपनी पार्टी के भीतर सवाल उठवाओ…और उसके बाद नेतृत्व परिवर्तन की हवा चलाओ…इस वक्त बिहार का पूरा राजनीतिक माहौल इसी शक पर टिका हुआ है…कि क्या संजय झा का बयान किसी बड़े खेल की शुरुआत है…या आने वाले दिनों में बीजेपी नीतीश कुमार की कुर्सी पर भी फाइनल मूव करने वाली है…

ये सवाल अब सिर्फ चर्चाओं तक सीमित नहीं… बल्कि पूरे राज्य की राजनीति को प्रभावित कर रहा है…और हर किसी की निगाहें अब इस बात पर हैं कि आने वाले दिनों में नीतीश कुमार की तरफ से क्या प्रतिक्रिया आती है…क्योंकि अगर उन्होंने इस बयान पर चुप्पी साध ली… तो इसका मतलब साफ होगा कि पार्टी में अंदरूनी हलचल बढ़ चुकी है…और बीजेपी उस हलचल को अपने राजनीतिक फायदे में बदलना चाहती है…बिहार की राजनीति में ये मोड़ बेहद दिलचस्प हो गया है…क्योंकि एक तरफ नीतीश कुमार वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम लिखवा रहे हैं…और दूसरी तरफ उनकी खुद की कुर्सी तक हिलती हुई दिखाई दे रही है…अब बात करते हैं उन राजनीतिक संकेतों की… जो इस पूरे मामले को और ज्यादा गंभीर बनाते हैं…

पहला संकेत कि बीजेपी ने लगातार तीन बड़े कदम उठाए हैं…जो सीधे नीतीश कुमार की शक्ति को कम करते हैं…गृह मंत्रालय लेकर उन्होंने प्रशासनिक पकड़ अपने हाथ में कर ली…स्पीकर का पद लेकर उन्होंने विधानसभा पर अपना नियंत्रण मजबूत कर लिया…और अब जब संजय झा पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं… तो ये तीसरा संकेत है कि बीजेपी की नजर अब सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है…

यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी पिछले कई महीनों से साइलेंट ऑपरेशन चला रही है…नीतीश कुमार के राजनीतिक कद को लगातार छोटा किया जा रहा है…उनकी निर्णय क्षमता को कमजोर दिखाया जा रहा है…पार्टी के नेताओं को धीरे-धीरे नए सेंटर ऑफ पावर की तरफ धकेला जा रहा है….और अब हम देख रहे हैं कि संजय झा जैसे नेता खुलकर निशांत कुमार का नाम आगे बढ़ा रहे हैं…जबकि सच ये है कि नीतीश कुमार खुद अपने बेटे को राजनीति में नहीं लाना चाहते….इसलिए ये बयान नीतीश के खिलाफ एक तरह का सॉफ्ट रिबेलियन भी माना जा रहा है….यानी धीमे-धीमे नीतीश कुमार की राजनीकि पकड़ को कमजोर करना करने की बीजेपी की रणनीति मानी जा रही है और इस रिबेलियन में बीजेपी का हाथ हो… ये शक सिर्फ लोगों का नहीं… बल्कि राजनीतिक विशेषज्ञों का भी मानना है…

कई वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि संजय झा बिना ऊपर से ग्रीन सिग्नल पाए ऐसा बयान नहीं देते और वो ग्रीन सिग्नल अमित शाह की तरफ इशारा करता है….देखा जाए तो शाह पिछले कुछ समय से बिहार की राजनीति में बहुत एक्टिव हो गए हैं….उनकी रणनीति हमेशा दो स्तरों पर चलती है….पहला, संगठन के माध्यम से दबाव… और दूसरा, सहयोगी पार्टी के भीतर हलचल पैदा करना…सीएम नीतीश कुमार के साथ भी लगभग यही पैटर्न दिखाई दे रहा है….यानी पहले सहयोग में रहकर उन्हें कमजोर करना…फिर उनकी पार्टी में असंतोष पैदा करना…और अंत में उन्हें अपने ही घर में किनारे कर देना…

दरअसल, संजय झा का बयान जेडीयू के भीतर एक ऐसी दरार पैदा करने की क्षमता रखता है…जिसका फायदा बीजेपी आने वाले विधानसभा चुनावों में उठाना चाहती है…अगर पार्टी लीडरशिप पर सवाल उठने लगें…अगर विधायक दो धड़ों में बंट जाएं…अगर पार्टी के भीतर नई पीढ़ी बनाम पुरानी पीढ़ी की लड़ाई छिड़ जाए…तो इसका सीधा नुकसान सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार को होगा…और ये ठीक वही समय होगा…जब बीजेपी अपना कुर्सी प्लान एक्टिव कर सकती है….यानी या तो नीतीश कुमार से इस्तीफा दिलवाया जाए….या फिर पार्टी में ऐसी बगावत करवाई जाए कि उन्हें खुद किनारे होना पड़े….

बता दें कि बीजेपी बिहार में ये खेल पहले भी खेल चुकी है…कई राज्यों में ऐसा मॉडल काम भी कर चुका है…..यानी पहले सहयोग… फिर नियंत्रण… और आख़िर में सत्ता परिवर्तन…..इसलिए बिहार में भी ठीक यही पैटर्न दिखाई देना कोई इत्तेफाक नहीं है…..ऐसे में अब सवाल ये है कि सीएम नीतीश कुमार इस स्थिति का जवाब कैसे देंगे?…..क्या वो संजय झा के खिलाफ कोई एक्शन लेंगे…….क्या वो बयान को नजरअंदाज करेंगे?….या फिर वो खुद बीजेपी के बढ़ते दखल से असहज होकर कोई बड़ा फैसला लेंगे?…..

क्योंकि राजनीति में अक्सर ऐसा होता है कि जब आपके ही घर से आपकी कुर्सी पर सवाल उठने लगते हैं….तो इसका मतलब सिर्फ एक होता है कि आपके खिलाफ खेल शुरू हो चुका है….और बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थितियों को देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि ये खेल अब अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच रहा है…एक तरफ सीएम नीतीश कुमार को वर्ल्ड बुक ऑफ रेकॉर्ड में बड़ी उपलब्धि मिली है…और दूसरी तरफ उनके ही सहयोगी उनकी राजनीतिक जमीन खिसकाने की कोशिश में दिखाई दे रहे हैं…

सियासत का यही विरोधाभास बिहार की कहानी को और ज्यादा रोचक बनाता है…और आने वाले दिनों में ये लड़ाई और तीखी होने वाली है…क्योंकि संजय झा का बयान अब सिर्फ बयान नहीं…बल्कि आने वाले राजनीतिक युद्ध का वार्म-अप सिग्नल माना जा रहा है…और इस सिग्नल के पीछे जिस नेता का नाम सबसे ज्यादा लिया जा रहा है…वो हैं पीएम मोदी के चाणक्य कहे जाने वाले और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह….जो किसी भी राजनीतिक खेल को अंत तक ले जाने के लिए जाने जाते हैं…..ऐसे में देखना अहम होगा कि अब बिहार के इस सियासी खेल में कौन सा नया बदलाव देखने को मिलेगा?….

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