असम में बाल विवाह पर सियासी बवाल
- धार्मिक रंग देने को लेकर वार-पलटवार
- भाजपा सरकार को विपक्ष ने घेरा
- गिरफ्तारियों के खिलाफ महिलाएं भी मैदान में
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। असम सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ जो सख्त अभियान चलाया है। उसने प्रदेश की सियासत को तो गरमा ही दिया है, लेकिन इसे धार्मिक रंग देने को लेकर वहां बवाल मचा हुआ है। असम राज्य की महिलाएं भी इन गिरफ्तारियों के खिलाफ उतर आई हैं। बाल विवाह करने वाले चार हजार से भी ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दर्ज हो चुके हैं। इस कानून के तहत अब तक दो हजार से भी ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, लेकिन आरोप ये लगाया जा रहा है कि सरकार की ये सारी कार्रवाई उन्हीं इलाकों में हो रही है, जहां मुस्लिमों की आबादी ज्यादा है, इसलिए सवाल ये उठ रहा है कि साल 2006 में बने बाल विवाह रोकथाम कानून को लागू करने के लिए क्या एक खास मजहब को ही टारगेट किया जा रहा है? हालांकि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि जो मौलवी,काजी और पंडित इस तरह की शादियां करवाते हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो रही है।
दरअसल, पिछले महीने ही असम कैबिनेट ने बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का फैसला किया था और सभी हितधारकों से इन मामलों में सहयोग मांगा था। इतना ही नहीं सरकार ने 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों के खिलाफ पोस्को एक्ट के तहत कार्रवाई वाले प्रस्ताव को भी मंजूरी दी थी। वहीं, 14 से 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों के खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने का फैसला लिया गया था। गुरुवार को हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर बताया कि असम पुलिस ने राज्य में बाल विवाह के 4004 मामले दर्ज किए हैं। मैं सभी से सहयोग की अपील करता हूं, लेकिन पुलिस की कार्रवाई शुरु होने के पहले दिन से ही इस पर सवाल उठने शुरु हो गये हैं। इस कानून का शिकंजा उन विवाहित लोगों को भी कस रहा है,जिन्होंने सात साल पहले शादी की थी और जो अब वयस्क हो चुके हैं, कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई करे वो ठीक है, लेकिन इस कानून की आड़ में 7 साल पहले शादीशुदा जोड़े जो कि अब एडल्ट हो गए हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। यह सरासर गलत है।
एक तिहाई असमिया नवजात बच्चों का विकास अवरुद्ध
बड़ा सवाल ये है कि सरकार को बाल विवाह रोकने के लिये इतनी सख्त कार्रवाई करने पर आखिर मजबूर क्यों होना पड़ा? तो इसका जवाब भी सरकारी विभाग के आंकड़े ही देते हैं। सितंबर 2018 में प्रदेश के समाज कल्याण विभाग के आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक, असम की हर तीसरी शादी बाल विवाह है। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह थी कि निचले असम के कम से कम सात प्रमुख जिलों में बाल विवाह का सामान्य विवाह से अनुपात 2.1 है। जिसका मतलब है कि इन जिलों में हर दूसरी शादी बाल विवाह है। हालांकि इस गड़बड़ी के लिए मुख्य रूप से मुस्लिम और चाय बागान में काम करने वाले समुदाय को ही दोषी ठहराया गया है, लेकिन सच ये है कि पिछले एक दशक में पूरे असम में ही बाल विवाहों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। राज्य के अधिकांश डॉक्टर मानते हैं कि बाल विवाह के कारण बच्चे कुपोषित होते हैं और एक तिहाई असमिया नवजात बच्चों का विकास ही अवरुद्ध हो जाता है, यानी उम्र बढऩे के साथ भी उनका उचित विकास नहीं हो पाता है. दरअसल, हाल ही में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार, असम में मातृ और शिशु मृत्यु दर बहुत अधिक है. इसके लिए भी बाल विवाह को ही जिम्मेदार ठहराया गया।
मुख्यमंत्री सरमा ने ठहराया जायज
मुख्यमंत्री सरमा ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर साल 2019-20 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की मौजूदा रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकार की इस कार्रवाई को जायज ठहराया है। उनके मुताबिक असम में 11.7 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने कम उम्र में माँ बनने का बोझ उठाया है। इसका मतलब यह है कि असम में बाल विवाह अब भी बड़ी तादाद में हो रहे हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार धुबरी जिले में 22 फीसदी लड़कियों की न केवल कम उम्र में शादी हुई है, बल्कि वे मां भी बनी हैं। राज्य सरकार ने निचले असम के जिन जिलों में बाल विवाह के ज्यादा मामले होने के आंकड़े दिए है, उन इलाकों में बंगाली मूल के मुसलमान समुदाय की आबादी ज्यादा है। इसके अलावा चाय बागान में काम करने वाली जनजाति और कुछ अन्य जनजातियों में भी बाल विवाह के मामले अधिक देखने को मिले हैं। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, असम की कुल जनसंख्या 3 करोड़ 10 लाख है। इसमें मुसलमानों की जनसंख्या लगभग 34 प्रतिशत है, जबकि चाय जनजातियों की जनसंख्या का 15-20 प्रतिशत होने का अनुमान है। ऐसे में चाय जनजाति वाले जोरहाट और शिवसागर जिले में भी 24.9 प्रतिशत लड़कियों की शादी 14 साल से कम उम्र में हुई है।
ओवैसी ने पूछा- शादीशुदा लड़कियों का क्या होगा
हैदराबाद से लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा रकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि जिनकी शादी हुई है उन लड़कियों का क्या कुसूर है। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि असम में बीजेपी की सरकार है और ये फेलियर सरकार है, ये स्कूल नहीं खोलते पर मदरसों को तोड़ते हैं, उन्होंने वहां बाल विवाह कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ हो रही कार्रवाई को लेकर कहा कि जिनकी शादी हुई उनकी देखभाल कौन करेगा, लडक़ी का क्या कुसूर है। उन्होंने कहा कि जिस लडक़ी की शादी हो चुकी है। उसका आप क्या करोगे। एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने कहा कि असम सरकार मुस्लिमों के लिए बायस्ड है। दरअसल असम में बाल विवाह के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की गई। सूबे की पुलिस ने शुक्रवार (3 फरवरी) को अवैध करार दी गई शादियां करवाने वाले हिंदू और मुस्लिम पुजारियों सहित 2,044 लोगों की गिरफ्तारी की है।