बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन पर गरमाई सियासत, INDIA गठबंधन ने बताया NRC से भी ज्यादा खतरनाक
बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में संसोधन को लेकर सियासत गरमाई हुई है... इंडिया गठबंधन ने गुरुवार को चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं…… इस बार चुनाव से पहले एक नया सियासी विवाद खड़ा हो गया है…… जो वोटर लिस्ट को लेकर है….. भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है…… जिसमें सभी मतदाताओं को अपनी नागरिकता और जन्म से जुड़े दस्तावेज जमा करने के लिए कहा गया है……. इस कदम का उद्देश्य वोटर लिस्ट को साफ और सटीक बनाना बताया जा रहा है……. ताकि फर्जी या गलत नामों को हटाया जा सके……. लेकिन इस अभियान ने बिहार की सियासत में तूफान ला दिया है…… विपक्षी INDIA गठबंधन ने इसे बीजेपी और केंद्र सरकार की साजिश करार दिया है…… उनका दावा है कि यह कदम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से भी खतरनाक है…… और इसका मकसद लाखों मतदाताओं को वोट देने से रोकना है…..
आपको बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए एक विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू किया है……. इस अभियान के तहत बूथ लेवल ऑफिसर घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी की पुष्टि करेंगे…….. मतदाताओं को अपनी नागरिकता, जन्म तिथि, जन्म स्थान और माता-पिता की जानकारी से संबंधित दस्तावेज जमा करने होंगे…….. नए और पुराने मतदाताओं को एक घोषणा पत्र भी देना होगा…….. जिसमें वे यह लिखकर देंगे कि वे भारतीय नागरिक हैं……. यह प्रक्रिया छब्बीस जुलाई 2025 तक चलेगी……
जिसको लेकर चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम वोटर लिस्ट को पारदर्शी…… और त्रुटिरहित बनाने के लिए जरूरी है……. आयोग के अनुसार बिहार में तेजी से शहरीकरण…….. लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास…….. और विदेशी नागरिकों की मौजूदगी के कारण वोटर लिस्ट में गड़बड़ियां हो सकती हैं…….. इसलिए घर-घर जाकर सत्यापन करना जरूरी है…….. आयोग ने यह भी बताया कि बिहार के अलावा पांच अन्य राज्यों असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु……. और पश्चिम बंगाल में भी 2026 के चुनावों से पहले इसी तरह की प्रक्रिया शुरू की जाएगी……..
आंकड़ों के मुताबिक 2025 की वोटर लिस्ट में बिहार के कुल मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ अस्सी लाख बाइस हजार नौ सौ तैंतीस है…….. जिसमें अट्ठारह से उन्नीस वर्ष के नए युवा मतदाता आठ लाख आछ हजार आठ सौ सत्तावन हैं…….. आयोग का लक्ष्य है कि एक अक्टूबर 2025 तक अट्ठारह वर्ष की आयु पूरी करने वाले सभी युवाओं को वोटर लिस्ट में शामिल किया जाए……. आपको बता दें कि विपक्षी दलों, विशेष रूप से INDIA गठबंधन ने इस प्रक्रिया को लेकर तीखा विरोध जताया है….. राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, और CPI-ML (लिबरेशन) जैसे दलों का कहना है कि यह कदम लाखों मतदाताओं को वोट देने से रोकने की साजिश है……. उनका दावा है कि यह प्रक्रिया NRC की तरह है…….जो लोगों को उनकी नागरिकता साबित करने के लिए मजबूर करती है……
आपको बता दें कि RJD नेता चितरंजन गगन ने कहा कि लाखों परिवारों के पास वे दस्तावेज नहीं हैं…… जो मांगे जा रहे हैं…….. यह एक साजिश है…… जिसके तहत गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों को वोटर लिस्ट से हटाया जा रहा है….. और उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है……. और यह कदम विपक्ष के वोट बैंक को कमजोर करने के लिए उठाया गया है…… वहीं CPI-ML (लिबरेशन) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने इसे “NRC का बैकडोर तरीका” करार दिया…… और उन्होंने कहा कि इतने कम समय में इतना बड़ा काम कैसे हो सकता है……. यह असंभव है……. यह कदम उन लोगों को निशाना बना रहा है……. जो बीजेपी के खिलाफ वोट करते हैं…….
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने भी इस मुद्दे पर तीखा हमला बोला….. और उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी की कठपुतली बन गया है…….. यह वोटर लिस्ट संशोधन का नियम देश में बैकडोर से NRC लागू करने की तैयारी है…… ममता ने दावा किया कि बिहार सरकार और केंद्र सरकार मिलकर ऐसी सूची तैयार कर रही है…….. जिसमें माता-पिता के नाम और जाति प्रमाण पत्र के आधार पर लोगों को निशाना बनाया जा रहा है……
वहीं कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी और चुनाव आयोग को घेरा है……. पार्टी ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची में कटौती और छंटाई का काम बीजेपी के लिए जमीन तैयार करने के लिए किया जा रहा है……. आपको बता दें कि एक ट्वीट में कांग्रेस की बिहार इकाई ने कहा कि जब-जब बीजेपी हारती है……. तब-तब लोकतंत्र की हत्या करती है…… महाराष्ट्र की तरह अब बिहार में भी युवाओं, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश रची जा रही है……
वहीं चुनाव आयोग ने भी विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है…… और इसका उद्देश्य केवल वोटर लिस्ट को सटीक बनाना है……. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी योग्य मतदाता का नाम सूची से नहीं हटाया जाएगा……. और अगर किसी का नाम गलती से छूट गया है……. तो उसे जोड़ा जाएगा…… विपक्ष की ओर से बार-बार इस प्रक्रिया को NRC से जोड़ा जा रहा है……. लेकिन क्या यह तुलना सही है……
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर एक ऐसी प्रक्रिया है…… जिसके तहत किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की नागरिकता की जांच की जाती है……. असम में लागू NRC इसका सबसे बड़ा उदाहरण है…… जहां लाखों लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने पड़े थे…….. इस प्रक्रिया में कई लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने में मुश्किल हुई……. खासकर गरीब और अशिक्षित वर्ग को……. वहीं चुनाव आयोग की मौजूदा प्रक्रिया और NRC में कुछ समानताएं जरूर हैं…… जैसे कि दस्तावेजों के आधार पर सत्यापन…… लेकिन दोनों में कई बड़े अंतर भी हैं……
NRC का मकसद गैर-कानूनी प्रवासियों को पहचानना और उनकी नागरिकता रद्द करना है…….. जबकि वोटर लिस्ट अपडेट का उद्देश्य केवल मतदाता सूची को सटीक बनाना है…… NRC एक व्यापक और जटिल प्रक्रिया है…… जो पूरे राज्य या देश पर लागू हो सकती है…… वोटर लिस्ट अपडेट केवल चुनावी प्रक्रिया से जुड़ा है और इसका दायरा सीमित है…… वहीं NRC में अगर कोई अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाता…….. तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं…… जैसे कि निर्वासन…… लेकिन वोटर लिस्ट से नाम हटने का मतलब केवल यह है कि वह व्यक्ति उस चुनाव में वोट नहीं दे पाएगा……
जिसको लेकर विपक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया NRC की तरह इसलिए खतरनाक है……… क्योंकि यह गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को निशाना बना सकती है…… जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं…… लेकिन चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया केवल मतदाता सूची को साफ करने के लिए है और इसका कोई संबंध NRC से नहीं है……
आपको बता दें कि बिहार में 2025 का विधानसभा चुनाव एक कड़ा मुकाबला होने वाला है…….. बीजेपी और उसके सहयोगी दल, जैसे जनता दल यूनाइटेड……. और लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं…….. वहीं INDIA गठबंधन में RJD, कांग्रेस, और लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं…….. 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार की चालीस में से उनतीस सीटें जीती थीं……… जिसमें बीजेपी को बारह, JDU को बारह और LJP को पांच सीटें मिली थीं…….. यह प्रदर्शन एनडीए के लिए मजबूत आधार दिखाता है……… लेकिन विपक्ष का मानना है कि वोटर लिस्ट में बदलाव उनके वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकता है……
बता दें कि विपक्ष का दावा है कि बीजेपी और उसके सहयोगी दल उन मतदाताओं को निशाना बना रहे हैं…… जो पारंपरिक रूप से उनके खिलाफ वोट देते हैं….. खासकर, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के वोटरों को वोटर लिस्ट से हटाने की कोशिश का आरोप लगाया जा रहा है……. वहीं दूसरी ओर बीजेपी का कहना है कि विपक्ष हार के डर से बेवजह विवाद पैदा कर रहा है…… बिहार में लाखों लोग, खासकर ग्रामीण और गरीब समुदाय ऐसे हैं……… जिनके पास जन्म प्रमाण पत्र, नागरिकता प्रमाण, या अन्य दस्तावेज नहीं हैं……. ऐसे में, उनके लिए अपनी पहचान साबित करना मुश्किल हो सकता है…..
वहीं विपक्ष का कहना है कि इतने कम समय में इतने बड़े पैमाने पर सत्यापन करना असंभव है…… इससे गलतियां होने की आशंका है…… और कई योग्य मतदाताओं का नाम सूची से हट सकता है……. विपक्ष ने इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं……. उनका कहना है कि बूथ लेवल ऑफिसरों पर दबाव डाला जा सकता है……. जिससे गलत तरीके से नाम हटाए जाएंगे…… वहीं यह विवाद बिहार में सियासी ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकता है……. विपक्ष इसे एक बड़ा मुद्दा बनाकर जनता के बीच ले जा रहा है……. जिससे चुनावी माहौल और गर्म हो सकता है……
आपको बता दें कि बिहार में 2025 की वोटर लिस्ट में कुल सात करोड़ अस्सी लाख करोड़ मतदाता हैं….. जिनमें आठ लाख आठ हजार नए युवा मतदाता शामिल हैं……. सूत्रों के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर या नवंबर 2025 में हो सकते हैं…… 2004 में बिहार में ऐसा ही गहन सत्यापन हुआ था……. जो उस समय भी विवाद का केंद्र रहा था……. बिहार के अलावा असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी 2026 के लिए ऐसी ही प्रक्रिया शुरू होगी…….
बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर चल रहा विवाद न केवल चुनावी प्रक्रिया…… बल्कि लोकतंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल उठा रहा है…… चुनाव आयोग का कहना है कि उसका मकसद केवल वोटर लिस्ट को साफ करना है…….. लेकिन विपक्ष इसे एक सियासी साजिश के रूप में देख रहा है….. इस विवाद ने बिहार की सियासत को गरमा दिया है और 2025 के चुनाव को और रोमांचक बना दिया है……



