सूखे पर सियासत: कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा, केंद्र ने मानी गलती
बेंगलुरु। लोकसभा चुनावों के आगाज में अब ज्यादा वक्त बाकी नहीं रह गया है। इसलिए पूरे देश का चुनावी माहौल काफी गर्म हो गया है और सियासी हलचल काफी बढ़ गई है। यही वजह है कि अब प्रदेशों में भी सियासी पारा बढ़ा हुआ है और राजनीतिक दलों व उनके नेताओं द्वारा एक-दूसरे पर हमले भी तेज हो गए हैं। तो वहीं आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी लगातार जारी है। इस बीच साउथ में भाजपा की उम्मीद की किरण माने जा रहे कर्नाटक में भी सियासी पारा चढ़ा हुआ है। भाजपा कर्नाटक में एक बार फिर 2019 वाला करिश्मा दोहराना चाह रही है। तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस इस बार भाजपा के मंसूबों को नाकाम करने के लिए तैयार बैठी है। और काफी मेहनत कर रही है ताकि कर्नाटक में बीजेपी को कम से कम सीटों पर रोका जा सके।
फिलहाल मौजूदा हालात को देखते हुए तो बीजेपी के लिए 2019 वाला प्रदर्शन दोहरापाना काफी ज्यादा मुश्किल दिखाई पड़ रहा है। यही वजह है कि भाजपा कर्नाटक में काफी परेशान है और उसके मौजूदा हालात पार्टी की चिंताओं को आए दिन और बढ़ा रहे हैं। अपनी हार को देखकर बौखलाई भाजपा और उसके नेता अब कर्नाटक में सत्ता पर काबिज कांग्रेस पर झूठे आरोप लगा रही है और झूठ फैला रही है। कुछ दिन पूर्व कर्नाटक दौरे पर आए गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश में सूखा को लेकर राहत मांगने व देने में देरी के मामले पर प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस पर आरोप लगाया था और सीएम सिद्धारमैया पर भी निशाना साधा था। हालांकि, बाद में सीएम सिद्धारमैया ने गृहमंत्री शाह को झूठा बताया था और ये चुनौती दी थी कि अगर अमित शाह सत्य बोल रहे हैं और वो अपनी बात को साबित कर दें तो सिद्धारमैया अपने सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे।
लेकिन अगर उन्होंने अमित शाह को झूठा साबित कर दिया तो अमित शाह को गृहमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। क्या अमित शाह तब नैतिकता निभाते हुए गृहमंत्री पद छोड़ेंगे ? सिद्धारमैया के इस करारे हमले के बाद भाजपा की ओर से कोई जवाब नहीं आया था। अब एक बार फिर सिद्धारमैया ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। तो वहीं डीके शिवकुमार ने कहा कि अब आखिर वित्त मंत्री ने खुद मान लिया है कि सरकार ने सूखा राहत राशि देने में देरी की है। यानी एक बार फिर प्रदेश में हुए सूखे को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को घेरा है।
दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये कहा था कि आचार संहिता लागू होने की वजह से अनुदान जारी नहीं किया गया। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि आचार संहिता लागू होने तक धन जारी करने की प्रक्रियाओं में समय लग गया था। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक सरकार द्वारा एक ज्ञापन सौंपा गया था और केंद्रीय टीम द्वारा मूल्यांकन करने के बाद, सूखा राहत जारी करने के लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा। इसमें समय लग गया। वित्त मंत्री के अनुसार, केंद्रीय अधिकारियों ने 28 मार्च को चुनाव आयोग को एक उच्च-स्तरीय समिति बुलाने की पूर्व मंजूरी लेने के लिए एक पत्र लिखा था। सीतरमण ने कहा था कि आदर्श आचार संहिता लागू है और इस संबंध में चुनाव आयोग की मंजूरी का इंतजार है।
अब वित्त मंत्री के इसी बयान पर कांग्रेस की ओर से पलटवार किया गया है। प्रदेश के सीएम सिद्धारमैया व डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार दोनों ने ही निर्मला सीतारमण के बयान पर पलटवार किया है और केंद्र की मोदी सरकार पर कर्नाटक की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। वित्त मंत्री के आचार संहिता के चलते सूखा राहत राशि न दे पाने वाले बयान पर पलटवार करते हुए सीएम सिद्धारमैया ने वित्त मंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। सिद्धारमैया ने निर्मला सीतारमण पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री ने झूठ बोला कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण सूखा राहत कोष जारी नहीं किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य ने सूखा राहत के लिए दिसंबर में ही ज्ञापन सौंप दिया था। सीएम सिद्धारमैया ने अफसोस जताते हुए कहा कि कर्नाटक में देश में दूसरा सबसे अधिक टैक्स जमा होने के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा राज्य को राहत राशि जारी नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी 10 साल से प्रधानमंत्री हैं। क्या उन्होंने बेंगलुरु के लिए कुछ किया है? सिद्धारमैया ने कहा कि जब राज्य के लोग बाढ़ और सूखे से पीड़ित थे, तब मोदी और अमित शाह कर्नाटक नहीं आए। आज तक सूखा राहत के लिए राज्य के हिस्से से एक रुपया भी जारी नहीं किया गया है। कर्नाटक के सात करोड़ लोगों को राज्य के लोगों को धोखा देने वाली भाजपा को हराकर अपने आत्मसम्मान की रक्षा करनी चाहिए। भाजपा पर निशाना साधते हुए सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक से 4.30 लाख करोड़ रुपए टैक्स के रूप में केंद्र को जाता है और जब हम सूखा राहत के लिए राशि मांगते हैं। तो केंद्र सरकार द्वारा झूठ बोला जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने दिसंबर में राहत राशि मांगी थी। फिर भी कर्नाटक में सूखा राहत के लिए एक भी रुपया जारी नहीं किया गया। क्या यह कर्नाटक के लोगों के साथ अन्याय नहीं है?
वहीं दूसरी ओर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर पलटवार केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा है। साथ ही डीके शिवकुमार ने सूखा राहत राशि में देरी को स्वीकार करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को धन्यवाद दिया है। एक कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री शिवकुमार द्वारा संबोधन में कहा गया कि निर्मला सीतारमण ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि उन्होंने राज्य को सूखा राहत राशि देने में देरी की। डीके शिवकुमार ने कहा कि वित्त मंत्री ने कहा है कि आम चुनाव की घोषणा के कारण हम राशि नहीं दे पाए। मुझे समझ नहीं आता है कि चुनाव और सूखा राहत के बीच क्या संबंध है। गौरतलब है कि सीतारमण ने कहा था कि कर्नाटक को सूखा राहत देने में देरी हुई और यह जानबूझकर नहीं किया गया क्योंकि केंद्र को चुनाव आयोग से अनुमति लेनी पड़ी।
केंद्र पर कटाक्ष करते हुए शिवकुमार ने कहा कि लोग जानते हैं कि केंद्र ने कर्नाटक के साथ कितना अन्याय किया है। हमने चार महीने पहले अपनी सूखा राहत राशि के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। अपील के बाद चार महीने तक कोई आदर्श आचार संहिता नहीं थी। अब वह आचार संहिता का बहाना दे रही है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक ने मार्च में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और केंद्र को राज्य के लिए तुरंत सूखा राहत देने का निर्देश देने की मांग की। कर्नाटक ने राहत के रूप में 18,171.44 करोड़ रुपए मांगे हैं क्योंकि असफल मानसून के बाद 236 तालुकों में से 221 को सूखा प्रभावित घोषित किया गया था। राज्य में मानसून में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई, जिससे लगभग 48 लाख हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई।
शिवकुमार ने कहा कि लोग केंद्र के अन्याय से देख रहे हैं। कर्नाटक के डिप्टी सीएम ने मेकेदातु परियोजना के संबंध में एचडी कुमारस्वामी की टिप्पणियों का भी जवाब दिया और इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री की पिछली निष्क्रियता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कुमारस्वामी अब मेकेदातु और महादायी के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन जब वह सत्ता में थे तो उन्होंने इसके बारे में कुछ नहीं किया। जब हम मेकेदातु के लिए पदयात्रा पर थे, तो उन्होंने कबाब खाने के लिए यात्रा निकालने के लिए हमारा मजाक उड़ाया था। उन्होंने जनता के लाभ के लिए मेकेदातु बांध बनाने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
इस बीच, राजस्व मंत्री कृष्णा बैरेगौड़ा सुप्रीम कोर्ट में सूखा राहत में देरी को लेकर केंद्र के खिलाफ मामले में राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों के साथ चर्चा करने के लिए दिल्ली के दौरे पर हैं। राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ)के तहत सूखा राहत जारी करने में हस्तक्षेप की मांग करते हुए राज्य सरकार ने मार्च में केंद्र द्वारा सूखा राहत जारी करने में देरी पर शीर्ष अदालत में याचिका दायर थी। राजस्व विभाग के सूत्रों ने कहा कि मंत्री अदालत में कर्नाटक के तर्क के लिए रणनीति तैयार करने के लिए वकीलों से चर्चा करेंगे।
लोकसभा चुनाव के करीब कर्नाटक में सूखा राहत राशि को लेकर भाजपा व कांग्रेस आमने-सामने हैं और एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। फिलहाल प्रदेश का सियासी पारा हाई है। अब देखना है कि आने वाले चुनाव में क्या होता है।