अनुच्छेद 370 को खत्म करने पर उठाया सवाल तो लेक्चरर पर शिक्षा विभाग ने की कार्रवाई
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के लेक्चरर जहूर अहमद भट्ट ने कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 को खत्म करने के केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती दी थी। याचिका में पक्षकार के तौर पर वो 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित भी हुए थे। इसी बीच शिक्षा विभाग ने उन्हें लेक्चरर पद से बर्खास्त कर दिया। वो राजनीति विज्ञान के सीनियर लेक्चरर हैं।
शिक्षा विभाग ने जानकारी दी है कि जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा विनियम, जम्मू-कश्मीर सरकारी कर्मचारी आचरण नियम और जम्मू कश्मीर अवकाश नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। शिक्षा विभाग के आधिकारिक आदेश के मुताबिक, भट्ट को तैनाती वाली जगह श्रीनगर से हटाकर निदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय, जम्मू से जोड़ दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि भट्ट के बर्ताव की जांच करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल, मनोज सिन्हा से जहूर अहमद भट के निलंबन पर बातचीत करने के लिए कहा है। जहूर अहमद भट्ट कश्मीर के बडगाम जिले के निवासी हैं। वो व्यक्तिगत रूप से सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पेश हुए थे। जहूर अहमद भट्ट को लेक्चरर पद से हटाए जाने पर कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के आगे कई सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने दलील दी कि भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में पेशी होने के लिए दो दिनों की छुट्टी ली थी। वो अदालत के समक्ष बहस के लिए पेश हुए और वापस चले गए। इसके बाद न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने वेंकटरमणी को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा से इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए कहा है। वहीं, वेंकटरमणि ने जवाब दिया कि वह इस मुद्दे को देखेंगे।
इस मामले पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम उनके निलंबन से संबंधित सभी जानकारी अदालत के सामने रख सकते हैं। इस बात पर कपिल सिब्बल ने कहा, मेरे पास भट्ट का निलंबन आदेश है और इसमें कहा गया है कि उन्होंने इस अदालत के समक्ष दलील दी है और इसलिए निलंबन किया गया है। यह उचित नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह लोकतंत्र को काम नहीं करना चाहिए। पीठ ने कहा कि अगर अन्य कारण हैं तो यह अलग बात है लेकिन अगर कोई व्यक्ति इस अदालत के समक्ष बहस करने के करीब ही निलंबित हो जाता है तो इस पर गौर करने की जरूरत है।
मालूम हो कि मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटा दिया था। कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान को रद्द के लिए संवैधानिक प्रक्रिया अपनाया गया है। आर्टिकल 370 के निलंबन करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में कई याचिका दायर की गई है। इन याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ कर रही है।