Akhilesh Yadav के मंच से धकियाए गए बुजुर्ग MLA, अपनों पर ही उठने लगे सवाल!
अखिलेश के मंच पर धकियाए गए मुस्लिम MLA... मचा हंगामा, उठने लगे सियासी सवाल... वरिष्ठ नेता की बेइज्जती से मुस्लिम चेहरों में नाराजगी!

4पीएम न्यज नेटवर्कः अखिलेश यादव सपा के गढ आजमगढ़ में मौजूद थे….. जहां से उन्होंने 2027 चुनाव फतह करने के लिए बिगुल फूंका….. वहीं आजमगढ़ में अखिलेश की मौजूदगी से सपाईयों का उत्साह चरम पर था…… बता दें कि उत्साह सातवें आसमान पर इसलिए भी था कि पूरे पूर्वांचल को साधने के लिए अखिलेश यादव ने आजमगढ़ को ही अपना घर बना लिया है….. जिसके लेकर पार्टी दफ्तर के उद्घाटन के लिए भव्य कार्यक्रम रखा गया….. जिसकी कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं…… इसमें से सबसे खास ये तस्वीर है….. बता दें कि जब अखिलेश यादव मंच पर थे…….. तब मंच सपा के दिग्गजों से खचाखच भरा था……. इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि अखिलेश यादव…… और सपा को सोशल मीडिया पर घेरा जाने लगा……. वहीं इन तस्वीरों में आप देखिए कि कैसे एक बुजुर्ग जो टोपी लगाए मंच पर दिखाई देते हैं…… उनको किस तरह धकिया दिया जाता है……. इधर अखिलेश यादव का मंच पर संबोधन खत्म होता है……. उधर उनके स्वागत का एलान होता……. उधर सारे सपाई दिग्गज उनको घेर कर खड़े हो जाते हैं…… भारी भरकम माला आती है…… ऐसे में भयंकर भीड़ में साइड कर दिए जाते हैं सपा के सबसे बुजुर्ग नेता….. और 5 बार के विधायक आलम बदी जी…… आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को आजमगढ़ में अपने आवास उद्घाटन किया……. जिसका नाम सपा ने पीडीए रखा….. वहीं इस कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ताओं ने फूलमाला पहनाकर उनका स्वागत किया….. लेकिन, तभी कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद सपा के पीडीए पर ही सवाल उठने लगे हैं……. अखिलेश यादव के साथ मंच पर सपा के वरिष्ठ मुस्लिम विधायक आलम बदी भी मौजूद थे…… लेकिन माला पहनाने के दौरान उन्हें धकेल कर सबसे पीछे कर दिया गया…….
दरअसल स्वागत के दौरान मंच पर अखिलेश यादव के साथ कई सपा नेता मौजूद थे….. इनमें सपा के पांच बार के बार के विधायक 93 वर्षीय आलम बदी भी मौजूद थे….. आलम बदी धर्मेंद्र यादव के बगल में खड़े थे……. स्वागत के दौरान वो आगे आना चाहते थे…… लेकिन, धर्मेंद्र यादव ने उन्हें आगे नहीं आने दिया……. और उन्होंने फिर आगे बढ़ाने की कोशिश की…… तो विधायक संग्राम यादव ने उन्हें किनारे ढकेल दिया…… सपा नेताओं ने अखिलेश यादव के साथ मंच शेयर करने के चक्कर में उन्हें सबसे पीछे कर दिया……
वहीं इससे पहले आलम बदी जब मंच पर संबोधन कर रहे थे…… अकिलेश यादव मंच पर बैठे…. मुस्कुरा रहे थे….. तब भी आलम बदी को मंच पर बोलने के लिए मना करने के लिए इशारा किया….. जिसका जबाब देते हुए बरिष्ठ मुस्लिम नेता और पांच बार के विधायक आलम बदी ने मंच से ही साफ तौर पर कहा कि….. अरे बोलने तो दीजिए…..
आपको बता दें कि ये सब तब हुआ जब अखिलेश यादव खुद मंच पर मौजूद थे……. उनकी आंखों के सामने पार्टी के वरिष्ठ मुस्लिम नेता की मंच पर हुई उपेक्षा हुई…….. जिसके बाद उनके रवैये को लेकर सवाल उठने लगे हैं…… लोग सवाल कर रहे हैं कि जिस नेता ने अपना सारा जीवन सपा के लिए खपा दिया…… उसी के साथ मंच पर इस तरह धक्का-मुक्की हुई……. वो जितने वरिष्ठ विधायक हैं……. उन्हें तो वैसे ही आगे जगह देनी चाहिए थी……. लेकिन ऐसा करने के बजाय उन्हें पीछे धकेल दिया गया……. क्या यहीं सपा की पीडीए हैं…… सपा में मुस्लिमों की बस यहीं स्थिति बची है……
वहीं आलम बदी को धकेले जाना का वीडियो का सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रहा है…….. इस मामले पर सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक यादव ने कहा कि आलम बदी आजमी हमारी पार्टी के बुजुर्ग नेता हैं……. और इस उम्र में भी वह बहुत चुस्त रहते हैं….. भीड़ की वजह से उनका पैर फिसल गया है…… इस वीडियो में उनका धक्का दिए जाने का कोई आशय नहीं दिख रहा है……. बात को बढ़ा चढ़ा कर बताया जा रहा है….. इसी के साथ सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं भी दी है….. आपको बता दें कि लक्ष्मण यादव ने एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि…… “नेता वही जो वैचारिक साथियों को न भूले, समाजवाद वही जो बुज़ुर्गों का मान करे…….
आज़मगढ़ की ज़मीन पर कल एक ऐसा सियासी लम्हा दर्ज हुआ……. जो सिर्फ हुकूमत के लिए लालायित सियासतदानों के दौर में जज़्बाती रिश्तों की कहानी कहता है…… वाकया कुछ यूँ था……. अपने नए घर और कैंप कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर सपा प्रमुख श्री अखिलेश यादव ने जब आजमगढ़ के सबसे पुराने…….. और सम्मानित विधायक आलम बदी साहब को अपने सामने से गुजरते देखा….. शायद दूसरी तरफ आलमबदी जी अपना गुलदस्ता लेने जा रहे थे……. ताकि लौटकर अपने सियासी नेता अखिलेश यादव का स्वागत कर सकें…….. तब तक अखिलेश यादव ने उन्हें अपने पास बुलाया……. आज़मगढ़ के सांसद धर्मेन्द्र यादव तब तक शॉल देकर अखिलेश यादव का स्वागत कर चुके थे…….. जनाब आलमबदी का हाथ अखिलेश यादव पकड़ कर अपने पास बुला लिया…….. अपनी शॉल आलमबदी जी को पहनाकर सम्मान दिया……. यह सिर्फ एक कपड़ा नहीं था……. वह था समाजवादी विचार के संघर्षों का सम्मान था…… अखिलेश यादव जैसा सहृदय…… संजीदा और संवेदनशील शख़्स ही ऐसा कर सकता है…….
आजमगढ़ के वरिष्ठ समाजवादी विधायक आलमबदी जी राजनीति के उस दौर के अगुआ हैं…….. जब नेता बनना मतलब था जनता की सेवा करना…….. न कि सत्ता की दौड़ में शामिल होना…… उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत संघर्ष से की…… जेपी आंदोलन और समाजवादी आंदोलनों में भाग लिया, लाठियाँ खाईं, जेल गए; मगर समाजवादी विचारों से कभी समझौता नहीं किया…… आज जब राजनीति में दलबदल और दिखावे का दौर है……. तब भी वे समाजवादी पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा से जुड़े रहे…… उनकी सबसे बड़ी पहचान है उनकी सादगी और सहजता……
धोती-कुर्ता पहनने वाले, चप्पल में चलने वाले आलमबदी जी आज भी आम जनता से वैसे ही मिलते हैं…… जैसे अपने घर के लोग मिलते हैं……. उनका जीवन हमारे दौर की नई पीढ़ी को सिखाता रहेगा कि असली मात्र समाजवाद ज़ुबानी नहीं……. ज़मीन पर ख़ुद की जीवनशैली में उतारने से आता है…… वे विधायक ही नहीं, समाजवादी मूल्य और संघर्ष की चलती-फिरती मिसाल हैं…… ऐसे नेताओं का सम्मान करना सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं……. बल्कि उस सोच का सम्मान है…… जो राजनीति को सेवा और संघर्ष का माध्यम मानती है…… समाजवाद में समता, संपन्नता, सहृदयता, सदाशयता, संवेदनशीलता का ये दृश्य लंबे वक्त तक एक नजीर पेश करता रहेगा……
वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि निज़ामाबाद, आज़मगढ़ से पाँच बार के विधायक……. 93 वर्षीय आलम बदी साहब के साथ जो कुछ मंच पर हुआ…….. वो समाजवादी पार्टी के चेहरे से नक़ाब हटाने के लिए काफ़ी है…… राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में…….. उन्हीं की पार्टी के नेता धर्मेंद्र यादव और कुछ टुच्चे लटकन नेतागण ने मंच पर एक बुज़ुर्ग……. और सम्मानित मुस्लिम नेता के साथ धक्का मुक्की की…… आलम बदी साहब को न सिर्फ़ उनके क्षेत्र में, बल्कि सदन में पक्ष-विपक्ष के लोग बहुत सम्मान करते हैं……. लेकिन समाजवादी पार्टी में अब शायद बुज़ुर्गों का…….. मुसलमानों का और शिष्टाचार का कोई मोल नहीं बचा……
वहीं इस घटना के बाद मुस्लिमों के बड़े नेताओं में काफी नाराजगी देखने को मिल रही है…… इस घटना पर राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल से जुड़े नुरुल हुदा ने कड़ी प्रक्रिया दी……. और कहा कि 22 फीसदी वाला मुसलमान सपा में सिर्फ दरी बिछाने का काम कर रहा है…….. जबकि 7 फीसदी वाला यादव प्रदेश का नेतृत्व कर रहा है…….. मुसलमान को अपनी सोच बदलनी होगी……… नहीं तो मुसलमान सिर्फ दरी बिछाएगा…… और अखिलेश यादव के लिए अपनी जवानी को कुर्बान करेगा……. आज आलम बदी के साथ जो हुआ उससे आजमगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का मुसलमान आहत है…… उन्हें अपमानित होना पड़ा जो घोर निंदनीय है……