राघव चड्ढा ने राज्यसभा में सरकार से की बड़ी मांग
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने आज गुरूवार (1 अगस्त) को संसद में युवाओं की राजनीति में भागीदारी का मुद्दा उठाते हुए बड़ी मांग की है...
4PM न्यूज़ नेटवर्क: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने आज गुरूवार (1 अगस्त) को संसद में युवाओं की राजनीति में भागीदारी का मुद्दा उठाते हुए बड़ी मांग की है। राघव चड्ढा ने उन्होंने देश की औसत आयु और युवा जनसंख्या के आंकड़ों का हवाला देते हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए निर्धारित आयु सीमा को कम करने की मांग की है। आपको बता दें कि राघव चड्ढा ने राजनीति में युवाओं की सहभागिता पर बोलते हुए कहा कि भारत दुनिया में सबसे युवा देश है। देश की औसत उम्र मात्र 29 साल है। 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम की है। आधी आबादी 25 साल से कम आयु की है।
क्या हमारे नेतागन या प्रतिनधित इतने युवा हैं। आपको यह जानकर अचंभित होगा कि पहली लोकसभा चुनी गई थी तो उस समय लोकसभा में 26 प्रतिशत लोग 40 साल से कम आयु के थे। 17वीं लोकसभा में मात्र 12 प्रतिशत नेता 40 साल से कम आयु के थे।
आप सांसद ने राज्यसभा में की बड़ी मांग
AAP सांसद ने कहा कि देश में चुनाव लड़ने की उम्र 25 साल है। चाहे लोकसभा हो या विधानसभा। उन्होंने बताया कि आपके माध्यम से सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि सरकार उस उम्र को 25 से घटाकर 21 साल करे। अगर 21 साल का युवा चुनाव लड़ना चाहता हैं तो उसे इजाजत मिलनी चाहिए। जब देश में सरकार 18 साल के युवा चुन सकते हैं तो 21 साल में वो चुनाव क्यों नहीं लड़ सकते?
इसके अलावा राघव चड्ढा ने कहा कि जैसे-जैसे हमारा देश जवान हो रहा है, उसी अनुपात में चुने हुए प्रतिनिधि जवानी से दूर होते जा रहे हैं। आज हमारा युवा देश बुजुर्ग राजनेताओं से संचालित है, जबकि देश को युवा राजनेताओं की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज देश में राजनीति को बैड प्रोफेशन माना जाता है। अभिभावक अपने बेटे को इंजीनियर, डॉक्टर और वैज्ञानिक, अफसर, खिलाड़ी तो बनाना चाहता हैं, लेकिन कोई अपने बच्चे को राजनेता नहीं बनाना चाहता।
महत्वपूर्ण बिंदु
- राघव चड्ढा का यह विचार देश में युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
- इससे न केवल युवा नेताओं की संख्या बढ़ेगी, बल्कि नई और युवा सोच के साथ देश का विकास भी होगा।
- राजनीति में युवाओं की भागीदारी न केवल आवश्यक है, बल्कि यह समय की मांग भी है।