राहुल भी दें पार्टी को मिले बॉण्ड की जानकारी
हफ्ता वसूली वाले बयान पर बिफरे अमित शाह
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल की चुनावी बॉन्ड को लेकर की गई टिप्पणी पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पलटवार किया है। दरअसल, राहुल ने चुनावी बॉन्ड को हफ्ता वसूली करार दिया था। इस पर अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस नेता को यह साफ करना होगा कि उनकी पार्टी को 1,600 करोड़ रुपये कहां से मिले? शाह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि राहुल गांधी को भी 1,600 करोड़ रुपये मिले थे।
उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि उन्हें हफ्ता वसूली कहां से मिली। हम दावा करते हैं कि यह एक पारदर्शी चंदा है, लेकिन अगर वह इसे वसूली कहते हैं, तो उन्हें विस्तार से बताना चाहिए।यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा अन्य पार्टियों की तरह अपने दानदाताओं की सूची का खुलासा करेगी? शाह ने जवाब दिया कि मैं आपको आश्वासन देता हूं कि एक बार जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी गठजोड़ को जनता का सामना करना मुश्किल हो जाएगा। शाह ने कहा कि चुनावी बॉन्ड भारतीय राजनीति में काले धन को खत्म करने के लिए लाए गए थे। अब जब यह व्यवस्था खत्म कर दी गई है तो मुझे काले धन की वापसी का डर है।
अल्पसंख्यकों को दबाने के लिए आया सीएए : ओवैसी
पुणे। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर को दलित विरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर केवल अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और दलितों को परेशान करने के लिए और उन्हें दबाने के लिए लाए जा रहे हैं। छत्रपति संभाजीनगर में अपनी पार्टी के नेताओं के साथ एक बैठक के बाद ओवैसी ने यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और एनआरसी को सीएए के आलोक में देखा जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि ये कदम अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों को उनके अपने देश में परेशान करने के एकमात्र मकसद से लाए जा रहे हैं। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी के एक मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि देश में एनआरसी और एनपीआर लागू किया जाएगा। इस दौरान हिमंता बिस्वा सरमा पर आरोप लगाते हुए ओवैसी ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री कहते हैं कि सीएए के माध्यम से हिंदुओं को नागरिकता दी जाएगी। लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय के 1.5 लाख लोगों को केस लडऩा होगा। भारत में केवल 5 प्रतिशत लोग पासपोर्ट धारक हैं। यह अल्पसंख्यकों, एससी और एसटी को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने अपना रुख स्पष्ट करते हुए केंद्र से सवाल भी किया।
ओवैसी ने कहा कि वह प्रताडि़त हिंदुओं और सिखों को भारत में नागरिकता मिलने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन श्रीलंकाई तमिलों और तिब्बतियों का क्या होगा? सरकार को यह साफ करना चाहिए कि क्या 2014 की सीएए कट-ऑफ तारीख के बाद भारत में आने वाले लोगों पर मुकदमा चलाया जाएगा।