चंदा चोरी पर राहुल हुए आगबबूला, बता डाला सबसे बड़ा वसूली रैकेट

नई दिल्ली। इन दिनों इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर देश की सियासत गर्म है। भाजपा को चुनावी चंदे के रूप में मिली मोटी रकम का खुलासा जब से हुआ है तब से विपक्ष लगातार इस मामले को लेकर भाजपा और पीएम मोदी पर हमलावर हैं। अब चुनाव से समय में इतनी बड़ी चोरी पकड़ी जाना भाजपा के लिए इस चुनाव में घातक साबित हो सकता है। जब से ये डाटा चुनाव आयोग ने सार्वजनिक किया तब से ही इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इसे लेकर तरह तरह के खुलासे हो रहे हैं।  अब चीज़ें सामने निकल कर आ रही है कि कैसे भाजपा ने इसके सहारे इतने बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। आपको बता दें कि इस मामले पर कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दल लगातार सवाल उठा रहे थे लेकिन केंद्र में बैठी मोदी सरकार इन मामलों पर बोलने से कतराती थी। अब जब चीज़ें खुल कर सामने आ गई हैं तो भाजपाइयों को जवाब नहीं मिल रहा है। नए मुद्दों की तलाश में दर बा दर फिर रहे हैं।

इस मामले को लेकर जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने शख्ती दिखाई इससे एक बात तो तय है कि भाजपा के खेमें में खलबली मच गई है। वहीं सामने आई लिस्ट से यह भी साबित होता है कि भाजपा कैसे चंद उगाही के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करती है। जी हाँ कई सारी कंपनियां ऐसी भी हैं जिन्हे ED ने छापेमारी करके परेशान किया और उसके फौरन बाद उन कंपनियों ने भाजपा को चंदे के रूप में मोटी रकम दी। इससे न केवल भाजपा की करतूत सामने आई बल्कि देश में आज किस तरह से जांच एजेंसियों का निजी फायदे के लिए इस्तेमाल हो रहा है ये बात भी खुल कर सामने आ गई है। वहीं अब विपक्षी दलों समेत जनता भी भाजपा और पीएम मोदी पर सवाल उठा रही है। लेकिन मौजूदा समय में  भाजपा के पास कोई जवाब नहीं है, यही वजह है कि इसपर खुल कर कोई अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष है जो कि लगातार भाजपा पर प्रहार कर रहा है।

बता दें कि इस मामले को लेकर कांग्रेस का कहना है कि आज पूरे देश के सामने सरकार इस बॉन्ड के जरिए लाखों-करोड़ों रुपए की चोरी कर रही है। सरकार द्वारा जैसे ही किसी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया जाता है, उसके कुछ महीने बाद ही, इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को पैसे आने शुरू हो जाते हैं। जैसे ही ED या CBI किसी कंपनी पर केस दायर करती है, कॉरपोरेट कंपनियां पार्टी को पैसे भेजना शुरू कर देती हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी लगतार सवाल उठाते रहे हैं और भाजपा को घेरते रहे हैं।

अब ऐसे में जब भाजपा का चंदे के रूप में काला चिट्ठा सामने आ गया है तो राहुल गांधी ने भी घेरना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि देश में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण इलेक्टोरल बॉन्ड है जिसे खुद पीएम चला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी को ये भी सोचना चाहिए कि किसी न किसी दिन उनकी सरकार बदलेगी और फिर कार्रवाई होगी। लेकिन तब ऐसी कार्रवाई होगी कि फिर ये दोबारा कभी नहीं होगा। सरकार पर हमला करने के अलावा राहुल गांधी ने कहा कि ED जांच नहीं करती है, वो एक्सटोर्शन करती है बीजेपी के लिए।

वहीं चुनाव आयोग द्वारा सामने आए आकड़ों की अगर हम बात करें तो इनमें ये भी खुलासा हुआ है कि जिन टॉप कंपनियों ने ज्यादा चंदे दिए हैं उनमें से ज्यादातर कंपनियों पर ED ने छापेमारी की थी जिसके बाद चुनावी बॉन्ड खरीदे गए।  इनमें से भी 3 कंपनियों ने जांच एजेंसी की कार्रवाई के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। इनमें FUTURE-GAMING-AND-HOTEL-SERVICES-PRIVATE-LIMITED, Megha Engineering and Infrastructure Private Limited और माइनिंग कंपनी वेदांता का नाम शामिल है।चुनाव आयोग की ओर से दी गई डिटेल के अनुसार, फ्यूचर गेमिंग कंपनी ने सबसे ज्यादा 1368 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे।

वहीं कंपनी के कार्यालयों पर 2019, 2022 और 2024 में ईडी ने छापेमारी की थी और इसी दौरान कंपनी ने धडल्ले से इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। बता दें कि यह लोटरी इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनी है और इसके मालिक लोटरी किंग सेंटियागो मार्टिन हैं। कंपनी की दक्षिण और पूर्वोत्तर में 13 राज्यों में ब्रांच हैं। कंपनी पर जुलाई, 2019 में ईडी की छापेमारी में 250 करोड़ और 2 अप्रैल, 2022 की छापेमारी में करीब 409 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई थी। इसके पांच दिन बाद ही 7 अप्रैल को कंपनी ने 100 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे।

वहीं हैदराबाद की Megha Engineering and Infrastructure Private Limited कंपनी है, जिसने 5 साल में करीब 1000 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे।  कंपनी पर अक्टूबर, 2019 में इनकम टैक्स विभाग ने छापेमारी की कार्रवाई की थी और बाद में ईडी ने भी कंपनी से जुड़े मामले में जांच की। उसी साल 12 अप्रैल को एक ही दिन में कंपनी ने 50 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। कंपनी ने तेलंगाना सरकार के साथ कालेश्वरम डैम प्रोजेक्ट, जोजिला टनल और पोलावरम डैम प्रोजेक्ट में काम किया है। बता दें कि 12 अप्रैल, 2019 से 12 अक्टूबर, 2023 के दौरान कंपनी ने 966 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे।

अनिल अग्रवाल की माइनिंग कंपनी वेदांता ने 376 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं और गौर करने वाली बात ये है कि 2018 के मध्य में ईडी ने कार्रवाई की थी। वेदांता ग्रुप से जुड़े ब्राइब फोर वीजा केस में यह कार्रवाई की गई थी। कंपनी पर आरोप था कि चीनी नागरिकों को गैरकानूनी तरीके से वीजा जारी किए गए। इसके अलावा, साल 2022 में ईडी ने कंपनी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में भी जांच शुरू की थी। 16 अप्रैल, 2019 को वेदांता ने 39 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। इसके बाद 2020 से 2023 के बीच 337 करोड़ के और चुनावी बॉन्ड वेदांता ग्रुप की तरफ से खरीदे गए।

अब इन आकड़ों के सामने आने के बाद भाजपा को चारों तरफ से घेरा जा रहा है, कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों के नेता भी लगातार भाजपा पर निशाना साध रहे हैं। चुनावी बॉन्ड मामले को लेकर बीजेपी को घेर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चुनावी बॉन्ड स्कैम को एक बड़ा स्कैम बताया है। इसी के साथ उन्होंने भाजपा पर ध्रुवीकरण की रणनीति करने का आरोप लगाया है। वहीं अधीर रंजन चौधरी ने भी भाजपा को घेरते हुए कहा कि “सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा लाई गई चुनावी बॉन्ड का हमने हमेशा विरोध किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया है। यह सुप्रीम कोर्ट का बयान हमें बताता है कि यह सरकार कितनी असफल है।” चुनाव के समय जिस तरह से चुनावी बॉन्ड पर इतना बड़ा खुलासा हुआ है ऐसे में एक बात तो साफ है कि भाजपा ने बैठे बिठाए आफत मोल ले ली है और अब ढूंढने पर जवाब नहीं मिल रहा है। वहीं इलेक्टोरल  बॉन्ड घोटाले के सामने आने के बाद अब विपक्षी दल ये मांग करने लगा है कि PM Care Fund में आए पैसे का भी ऐसे ही खुलासा होना चाहिए। खैर इस मामले को लेकर राजनीति काफी तेज हो गई है अब इसका कितना असर चुनाव में देखने को मिलेगा ये तो आने वाला समय ही तय करेगा।

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