राकेश टिकैत ने लगाये गंभीर आरोप, कहा
पंद्रह हजार वोट के साथ सत्तापक्ष के प्रत्याशी की मतगणना शुरू करेंगे अफसर
- किसान नेता ने आयोग के निष्पक्ष चुनाव कराने के दावों पर उठाए सवाल
- प्रदेश में नहीं चलेगा हिंदू-मुस्लिम कार्ड, सियासी पार्टियां अब कर रहीं किसानों की बात
- हमारी लड़ाई सरकार के खिलाफ है किसी पार्टी के नहीं, गलत नीतियों का करते रहेंगे विरोध
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। जैसे-जैसे विधान सभा चुनाव के मतदान की तारीख करीब आती जा रही है प्रदेश का सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। सियासी दल जनता को लुभाने में जुटे हंै। घोषणाएं और वादे किए जा रहे हैं। इसी बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने यूपी के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। लखनऊ पहुंचे राकेश टिकैत ने चुनाव आयोग के निष्पक्ष चुनाव कराने के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिले के डीएम और एसएसपी सत्ता पक्ष के प्रत्याशियों के लिए 15हजार वोट लेकर आएंगे और मतगणना शुरू करेंगे और विपक्ष की काउंटिंग जीरो से शुरू करेंगे। ऐसे में समझ लीजिए कि चुनाव कैसा होगा।
एक सवाल के जवाब में राकेश टिकैत ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम वाला मॉडल पुराना हो चुका है। यह अब नहीं चलने वाला है। हालांकि वे अपनी कोशिश कर रहे हैं लेकिन इससे उनका ही नुकसान हो रहा है। किसान आंदोलन को सभी पार्टियां भुना रही है, के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिस भी पार्टी को भुनाना है, भुना ले। हम यही चाहते हैं कि सभी पार्टियां किसान और गरीबों की बात करें। हमारी लड़ाई सरकार के खिलाफ है किसी पार्टी के खिलाफ नहीं है। भारत सरकार हो या उत्तर प्रदेश सरकार उसकी हर गलत नीतियों का हम विरोध करेंगे। चुनाव आने पर सत्ता पक्ष के लोग गांवों में पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। गांव वाले जब उनसे उनके कामों का हिसाब पूछ रहे हैं तो वे बता नहीं पा रहे हैं। यही वजह है कि उनका विरोध हो रहा है। यह विरोध वहां के बेरोजगार नौजवान कर रहे हैं। वे किसान कर रहे हैं जिनके खेत पशु चर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा किसी भी पार्टी से संबंध नहीं है। हम केवल आंदोलन चलाते हैं। किसान आंदोलन के कारण अब सब पार्टियां किसानों की बात करने लगी हैं।
जाट किधर जाएंगे नहीं मालूम
कृषि कानूनों के खिलाफ लंबा आंदोलन चला चुके किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान किसके साथ हैं या जाट किधर जाएंगे, यह उन्हें नहीं मालूम है।
जो भी सरकार बनेगी उसे आंदोलन से ठीक रखेंगे: टिकैत
भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सियासी दल जनता का वोट कैसे मिले इस पर काम कर रहे हैं। विकास के लिए सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी है। विपक्ष को साथ लेकर पॉलिसी बनानी चाहिए। मैं चुनाव नहीं लड़ंूगा, मैं आंदोलन वाला व्यक्ति हूं। जो भी सरकार बनेगी उसे आंदोलन से ठीक रखेंगे। किसी भी व्यक्ति और पार्टी से बैर नहीं है।
बसपा ने लखनऊ विधान सभा की नौ सीटों पर उतारे प्रत्याशी
- 53 और उम्मीदवारों के नामों का किया ऐलान
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी विधान सभा चुनाव के लिए बसपा ने आज प्रत्याशियों की एक और सूची जारी की है। इस सूची में 53 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की गई है। इसके साथ ही मायावती ने चौथे चरण की ज्यादातर सीटों पर उम्मीदवारों की लिस्ट फाइनल कर दी। इससे पहले मायावती ने गुरुवार को 59 नए टिकट घोषित किए थे जिसमें दो पुराने प्रत्याशियों को बदल कर दो नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
सूची में लखनऊ की नौ विधान सभा सीटों पर बसपा ने नामों की घोषणा की है। मलिहाबाद से जगदीश रावत को प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं बक्शी का तालाब से सलाउद्दीन सिद्दीकी, सरोजनीनगर से मोहम्मद जलीस खां, लखनऊ पश्चिम से कायम रजा खान, लखनऊ उत्तरी से मोहम्मद सरवर मलिक, लखनऊ पूर्वी से आशीष कुमार सिन्हा, लखनऊ मध्य से आशीष चंद्रा श्रीवास्तव, लखनऊ कैंट से अनिल पांडेय और मोहनलालगंज से देवेंद्र कुमार सरोज को बसपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
प्रमोशन में आरक्षण पर बोला सुप्रीम कोर्ट
तय मानकों को नहीं किया जा सकता कम
आरक्षण देने से पहले डेटा एकत्र करने को बाध्य हैं राज्य सरकारें
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए प्रमोशन में आरक्षण की शर्तों को कम करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति व जनजाति के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने से पहले मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए बाध्य हैं। प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह अनिवार्य है। उस डेटा का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। केंद्र यह तय करे कि डेटा का मूल्यांकन तय अवधि में ही हो और यह अवधि क्या होगी यह केंद्र सरकार तय करे।
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हमने माना है कि हम प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को निर्धारित करने के लिए कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकते। एक निश्चित अवधि के बाद प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह अनिवार्य है। यह समीक्षा अवधि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि नागराज और जरनैल सिंह मामले में संविधान पीठ के फैसले के बाद शीर्ष अदालत कोई नया पैमाना नहीं बना सकती। इस मामले में कोर्ट अगली सुनवाई 24 फरवरी को करेगा। कोर्ट ने इस मुद्दे को लेकर 26 अक्टूबर, 2021 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।