लीडरशिप पैदा करने की नर्सरी को बंद कर दिया गया : रामगोपाल

इलाहाबाद विवि छात्रसंघ बहाली का मसला संसद में गूंजा

लखनऊ। राजनीति की नर्सरी कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर छात्रनेता आंदोलनरत हैं। वहीं राजनीतिक दलों का भी उन्हें समर्थन प्राप्त हो रहा है। अब छात्रसंघ बहाली का मसला संसद में भी गूंजा। फतेहपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने संसद में इस मसले को संसद में उठाया तो सपा सांसद प्रो. राम गोपाल यादव ने भी इसका समर्थन किया। राजसभा सदस्य प्रो. रामगोपाल यादव ने समर्थन करते हुए कहा छात्रसंघ पर पाबंदी लगाने का मतलब क्या है। यह नर्सरी है लीडरशिप पैदा करने की और उसे बंद किया गया है।

सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 500 दिन से छात्रसंघ बहाली के लिए छात्र अनशनरत हैं। विवि के गौरवशाली छात्रसंघ ने देश को कई राजनेता, शिक्षाविद, संविधानविद दिए हैं। इसके बाद भी विवि प्रशासन ने असंवैधानिक तरीके से छात्रसंघ चुनाव कराने पर रोक लगा रखी है। राजनीति की नर्सरी से जनेश्वर मिश्र, मोहन सिंह, बृजभूषण तिवारी, बीपी सिंह, चंद्रशेखर सिंह, शंकर दयाल शर्मा, गोपाल स्वरूप पाठक, सूर्य बहादुर थापा, गुलजारी लाल नंदा समेत तमाम शिक्षाविद और संविधानविद निकले हैं। उन्होंने अपनी पहचान बनाई है।

सांसद ने छात्रसंघ चुनाव कराने की बात कही

सांसद ने कहा कि 17 सितंबर को केंद्रीय शिक्षा मंत्री गए भी थे। बच्चे अपने हाथों में रस्सी बांधकर फूल लेकर मिलना चाहते थे लेकिन उन पर लाठीचार्ज कर दिया गया और नहीं मिलने दिया गया। बाद में सर्किट हाउस में मंत्री से छात्रों की मुलाकात हुई और उन्होंने आश्वासन भी दिया गया कि छात्रसंघ बहाल कराएंगे। हालांकि अभी तक छात्रसंघ बहाली नहीं कराई गई। ऐसे में उन्होंने चुनाव कराने की मांग की।

अमेठी में पांच लाख से ज्यादा राइफल उत्पादन को मंजूरी

  •  इंसास राइफल की जगह लेगी एके-203

नई दिल्ली। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ एक और कदम बढ़ाते हुए शनिवार को केंद्र सरकार ने अमेठी में पांच लाख से अधिक एके-203 असॉल्ट राइफलों के उत्पादन योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश स्थित अमेठी जिले के कोरवा में राइफल कारखाना स्थापित किया जाएगा, जहां पांच लाख से ज्यादा एके-203 असॉल्ट राइफलों का उत्पादन होगा।

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक यह योजना भारत और रूस के आपसी सहयोग से पूरी होने वाली है। इंडो-रसियन राइफल प्राइवेट लिमिटेड के तहत इन असॉल्ट राइफलों का उत्पादन किया जाएगा। 7.62 एक्स 39एमएम कैलिबर वाली एके-203 असॉल्ट राइफल तीन दशक से अधिक समय से शामिल इंसास राइफल की जगह लेने वाली है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक पहली 70 हजार राइफल की खेप में रूसी कलपुर्जे लगे होंगे। इसके बाद पूरी तरह से यह राइफल स्वदेशी हो जाएगी।

एके-203 असॉल्ट राइफल को इस तरह से डिजाइन किया गया है, जिससे यह सुरक्षाकर्मियों के लिए अनुकूल बन सके। यह आधुनिक असॉल्ट राइफल है जो वजन में काफी हल्की और उपयोग में उतनी ही आसान भी है। 300 मीटर दूर बैठे दुश्मन को यह ढेर करने में सक्षम होगी। इंसास के बाद यह राइफल सैनिकों की युद्ध क्षमता को बढ़ाएगी। इसके इस्तेमाल से सैनिकों की युद्ध क्षमता और बढ़ जाएगी।

 

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