SC ने पश्चिम बंगाल में BLOs की सुरक्षा पर जताई चिंता, EC को नोटिस जारी

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में बूथ-लेवल अधिकारी की सुरक्षा पर चिंता जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग का पक्ष जानने के लिए नोटिस जारी किया है.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में बूथ-लेवल अधिकारी की सुरक्षा पर चिंता जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग का पक्ष जानने के लिए नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने BLOs को मिल रही धमकियों को गंभीर मुद्दा बताया, जिस पर CJI ने कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया. ECI ने राज्य पुलिस पर निर्भरता बताई और केंद्रीय बल तैनाती की बात कही.

पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान बीएलओ की सुरक्षा पर चिंता जाहिर की गई. CJI ने कहा कि जमीनी स्तर पर बीएलओ को मिल रही धमकियां गंभीर मुद्दा बन सकती हैं. इनकी सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. उन्होंने कहा बीएलओ से जुड़े निर्देश देशभर में लागू होंगे.

चुनाव आयोग ने कहा कि बीएलओ की सुरक्षा राज्य पुलिस के सहयोग पर निर्भर, जरूरत पड़ी तो केंद्रीय बल तैनात किए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि प्रभावित कर्मचारी राज्य ECI और जिला निर्वाचन अधिकारी से सुरक्षा के लिए संपर्क कर सकेंगे. मतदाता नामांकन और नागरिकता से जुड़े मामलों की अगली सुनवाई 17 तारीख को होगी.

कानून को किसी को हाथ में लेने की इजाज नहीं
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने यह ऑर्डर तब दिया जब ECI ने कहा कि जब तक वह लोकल पुलिस को अपने अंडर नहीं ले लेती, तब तक हालात में सुधार नहीं हो सकता. CJI सूर्यकांत ने कहा कि हम कानून किसी को हाथ में लेने की इजाज़त नहीं दे सकते.

CJI कांत ने कहा कहा कि सभी पॉलिटिशियन वगैरह यहां इसलिए आ रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह प्लेटफॉर्म उन्हें हाईलाइट कर रहा है. इसे पेंडिंग पिटीशन के साथ टैग करें. हालांकि, पिटीशनर के सीनियर एडवोकेट वीवी गिरी ने कहा कि बूथ-लेवल ऑफिसर्स के लिए कुछ प्रोटेक्शन की ज़रूरत है. इस पर, जस्टिस बागची ने बताया कि ऐसे मामलों पर रिकॉर्ड में सिर्फ़ एक केस है. उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में सिर्फ़ एक FIR है और कुछ नहीं. बाकी सब हिस्टोरिकल रेफरेंस है.

ECI के पक्ष को भी समझना जरूरी
जस्टिस बागची ने कहा कि प्लीज़ स्टेट से और फोर्स मांगें. अगर नहीं मिलती हैं, तो आप यहां आ सकते हैं. यहां FIR का एक अकेला उदाहरण दिया गया है. क्या यह कहा जा सकता है कि यह सिर्फ़ वेस्ट बंगाल के लिए है? हमें आपके मामले से हमदर्दी है. लेकिन, हमें यह देखना होगा कि क्या यह आपकी तरफ़ से कोई कहानी है. सिर्फ़ एक FIR है और क्या आप इसके आधार पर कह रहे हैं कि लॉ एंड ऑर्डर ऐसा है कि आप ECI के अंडर पुलिस चाहते हैं. तो यह सभी स्टेट्स के लिए होना चाहिए. ECI से जवाब मांगने से पहले आपको प्राइमा फ़ेसी व्यू की सीमा पार करनी होगी.

हालांकि, CJI कांत ने कहा कि कोर्ट सुनना चाहेगा कि ECI और केंद्र सरकार का क्या कहना है. CJI कांत ने आदेश दिया, “हम नोटिस जारी करेंगे और देखेंगे कि ECI का क्या कहना है. अटॉर्नी जनरल के ज़रिए ECI और यूनियन ऑफ़ इंडिया को नोटिस जारी करें.”

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