आठ दिन में दूसरी बड़ी मुठभेड़… कठुआ में पांच तो डोडा में चार जवानों का बलिदान, हाथ न लगे आतंकी

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में दहशतगर्द लगातार शांति भंग करने में जुटे हैं। जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में आतंकी हमलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। जम्मू-कश्मीर का माहौल बिगाडऩे की लगातार कोशिश की जा रही है। पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। सोमवार को जम्मू संभाग में पिछले आठ दिनों में दूसरी बड़ी मुठभेड़ हुई। डोडा मुठभेड़ में तीन जवान और एक अधिकारी बलिदान हुए हैं। आठ जुलाई को कठुआ मुठभेड़ में भी पांच जवानों का बलिदान हुआ था। दोनों ही मुठभेड़ में दहशतगर्द हाथ नहीं लग सके हैं। दोनों ही हमलों की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली है।
आतंकियों की तलाश में जम्मू संभाग के अलग-अलग इलाकों में चल रहे सर्च ऑपरेशन के बीच दहशतगर्द फिर नुकसान पहुंचाने में सफल हो गए हैं। हालांकि आतंकियों के इस वारदात का बहादुर जवान जल्द ही बदला लेंगे। जम्मू संभाग के जिला डोडा के देसा वन क्षेत्र में सोमवार को आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई। देर रात तक चली मुठभेड़ में सेना के अधिकारी और जवान घायल हो गए। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान मंगलवार तडक़े कैप्टन, सेना के तीन जवान वीर गति को प्राप्त हो गए।
पांच सैनिकों के बलिदान के गम से देश अभी उबर नहीं पाया था कि आतंकियों ने पांच और बहादुर सैनिकों की जिंदगी छीन ली। आतंकियों की तलाश में डोडा के देसा इलाके में गहन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, ये इलाका ऊंचे पहांड़ और जंगल से घिरा हुआ है। यहां न तो बेहतर सडक़ सुविधा है और न ही फोन नेटवर्क। मानसून में मौसम भी धुंध से घिरा रहता है। इसी चीज का फायदा उठाकर आतंकी नुकसान पहुंचाने में सफल रहे।
अधिकारियों ने बताया कि डोडा में मुठभेड़ तब शुरू हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के जवानों ने शाम करीब 7.45 बजे देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरारबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया था।
सेना की ह्वाइट नाइट कोर ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, विशिष्ट खुफिया सूचनाओं के आधार पर सेना और पुलिस की ओर से डोडा के उत्तर में सामान्य क्षेत्र में एक संयुक्त अभियान जारी था। रात लगभग 9 बजे आतंकियों से संपर्क स्थापित हुआ, जिसके बाद भारी गोलीबारी हुई।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में बढ़ोतरी हुई है। नौ जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ली थी, उसी दिन दहशतगर्दों ने रियासी में तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर हमला किया था। इससे बस खाई में गिरने से नौ लोगों की मौत हो गई थी। आतंकियों की ओर से 9 से 11 जून के बीच चार हमले किए।
आठ जुलाई को कठुआ के बदनोटा इलाके में सेना के गश्ती दल पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह ने घात लगाकर हमला किया था। हमले में पांच जवान बलिदान हो गए थे।
जिला कठुआ के पहाड़ी क्षेत्र बदनोता में घायल सेना के जवानों ने आतंकियों का डटकर मुकाबला किया था। घायल जवानों को बचाने के लिए सुरक्षा बलों ने आतंकियों पर करीब छह हजार राउंड फायर किए। इससे आतंकी भागने पर मजबूर हो गए।
भारतीय सेना ने अपने पांच साथियों के बलिदान का बदला लेने के लिए जिला कठुआ के बिलावर के बदनोता में तलाशी अभियान तेजी से चल रहा है। बीते गुरुवार को जिला पुलिस लाइन कठुआ में बीएसएफ के स्पेशल डीजी, जम्मू कश्मीर डीजीपी आरआर स्वैन, पंजाब के डीजीपी सहित सेना और खुफिया एजेंसियों के आला अधिकारियों ने उच्च सतरीय बैठक की गई।

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